अमेठी के शुकुल बाजार में केंद्र एवं राज्य सरकार की कई योजनाएं चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट

सरजू प्रसाद तिवारी अमेठी
ग्लोबल टाइम्स 7 न्यूज नेटवर्क
शोकपिट और कूड़ेदान में घटिया सामग्री का हुआ इस्तेमाल स्थलीय सत्यापन की मांग
शुकुल बाजार अमेठी। जनपद के विकासखंड शुकुल बाजार की ग्राम सभा मवैया रहमतगढ़ में लाखों की लागत से बने शोकपिट और कूड़ेदान के निर्माण में हुआ घटिया सामग्री का इस्तेमाल, ग्रामसभा वासियों ने जांच एवं स्थलीय सत्यापन कराए जाने की कि मांग।जहां सरकार की मंशा ग्रामीण क्षेत्रों के हालात सुधारने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों को शहर जैसी सुख सुविधा देने की है। तथा स्वच्छ भारत मिशन के तहत लगातार सरकार दिल खोलकर धन खर्च कर रहे हैं वही अमेठी जनपद के शुकुल बाजार विकासखंड में सरकार की एक नहीं अनेक योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। अगर विकासखंड शुकुल बाजार में स्थलीय सत्यापन कराया जाए तो कागज पर शौचालयों के आंकड़े कुछ और हैं लेकिन यथार्थ में आंकड़े कुछ और हैं। कई शौचालय ऐसे हैं जो कागज पर दर्शा दिए गए हैं लेकिन यथार्थ में बने ही नहीं जो शौचालय बने भी वह घटिया सामग्री और ठेकेदारी प्रथा से बने। कागजों पर गांव को ओडीएफ दिखा दिया गया लेकिन असल में हकीकत खुले में शौच से मुक्त शुकुल बाजार विकासखंड नहीं हो पाया और सरकार का लाखों करोड़ों रुपए पानी में बह गया। कहीं ना कहीं अधिकारियों कर्मचारियों एवं ग्राम प्रधानों की मिलीभगत के चलते योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई उसके बाद सामुदायिक सुलभ शौचालय भी सभी ग्राम सभा में बनाए गए लेकिन कई ग्राम सभाओं में यूज़ लेस हैं तो कई ग्राम सभाओं में ताला बंद रहता है। ताजा मामला अमेठी जनपद के विकासखंड शुकुल बाजार की ग्राम सभा मवैया रहमतगढ़ का है जहां ग्रामसभा वासियों का कहना है कि ओडीएफ प्लस के लिए गांव में शोकपीट और कूड़ा दान बनवाए गए जिसमें घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ। क्षेत्र वासियों ने स्थलीय सत्यापन कराए जाने की मांग की है क्षेत्रवासियों की मांग पर मीडिया कर्मियों ने ट्वीट के माध्यम से डीएम अमेठी सहित उच्च अधिकारियों को जानकारी दी। जिस पर डीएम अमेठी द्वारा ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी गई कि खंड विकास अधिकारी शुकुल बाजार को जांच सौंपी गई है। लेकिन लोगों का मानना है कि जांच कम से कम सीडीओ स्तर से हो तभी निष्पक्ष जांच और सही जांच हो सकती है ग्रामसभा वासियों का यह भी कहना है कि पहली चीज तो मानक विहीन सामग्री का इस्तेमाल किया गया। दूसरी जहां पर शोकपिट और कूड़ेदान की सबसे अधिक आवश्यकता थी वहां पर नहीं बनवाए गए चहेते और मनपसंद लोगों के स्थानों पर ही शोक पिट और कूड़ेदान बनवाए गए। फिलहाल यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि शोक पिट और कूड़ेदान में कितना भ्रष्टाचार हुआ लेकिन शौचालय का भ्रष्टाचार तो साफ-साफ दिखाई दे रहा है।