उत्तर प्रदेश

अवकाश तालिका में दी गई छुट्टी को रद्द करना तुगलकी फरमान

शिक्षकों की अवकाश तालिका में गोलमाल, जब खुलते हैं स्कूल तो किस बात का अवकाश

ग्लोबल टाइम्स-7
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न्यूज नेटवर्क
अनूप गौङ
जिला संवाददाता
कानपुर देहात

कानपुर देहात

शिक्षा विभाग के नित नये नये आदेशों ने शिक्षा व्यवस्था की कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है। शिक्षकों को अवकाश दिए कम जाते हैं और अवकाश तालिका में प्रदर्शित अधिक किए जाते हैं जिससे शिक्षकों की छवि जनमानस के बीच में खराब हो रही है। परिषदीय स्कूलों में वर्ष 2024 के लिए अवकाश से सम्बन्धित सूची जारी करने का समय धीरे धीरे नजदीक आ रहा है। इसे देखते हुए शिक्षक शासन द्वारा आगामी वर्ष के लिए सार्वजनिक एवं निर्बन्धित अवकाश की सूची जारी करने से पहले कुछ तथ्यों पर गौर करने की अपील करने लगे हैं। शिक्षक अंदरखाने इस तथ्य का विरोध कर रहे हैं कि जब राष्ट्रीय पर्वों व कुछ महापुरूषों के जन्मदिवस में विद्यालय खोले जाते हैं तो उन्हें परिषद द्वारा जारी अवकाश सूची में शामिल क्यों किया जाता है। शिक्षकों का तर्क है कि स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती एवं अन्य महापुरूषों की जयंतियों को परिषदीय स्कूलों को खोलकर धूमधाम से मनाया जाता है।
शासन ने भी कुछ महापुरूषों की जयंतियों में घोषित होने वाले अवकाशों को समाप्त कर विद्यालयों में इन्हें उल्लास पूर्वक मनाने के निर्देश दिए हैं तो फिर अवकाश तालिका में उन्हें क्यों दर्ज किया जाता है।
बता दें बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों की छुट्टियों के सत्र 2023 की अवकाश तालिका में 32 दिन का अवकाश प्रदर्शित है जबकि उसमें मात्र 24 दिन वास्तविक अवकाश हैं। 4 अवकाश में रविवार को जयंतियों एवं 4 दिन राष्ट्रीय त्यौहार में स्कूल खोलना है इतना तो छोड़िए बाद में कई अन्य कार्यक्रमों में तीन रविवार को और विद्यालय खोल दिया गया इस प्रकार शिक्षकों को मात्र 21 दिन ही अवकाश मिल सका। इतने कम अवकाश के बाद भी लोग अक्सर यह ताना मारते दिख जाएंगे कि परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को छुट्टियां अधिक मिलती हैं। इस कारण से शिक्षकों का कहना है कि उन्हें जो वास्तविक अवकाश मिलते हैं अवकाश तालिका में सिर्फ उन्हें ही दर्ज किया जाए जिस दिन विद्यालय खोले जाते हैं उस दिन का अवकाश, अवकाश तालिका में कदापि प्रदर्शित न किया जाए।
विभिन्न शिक्षक संगठनों का कहना है कि अवकाश तालिका बनाते समय बेसिक शिक्षा परिषद के सदस्यों को भी आमंत्रित किया जाना चाहिए। जन्म दिवसों और पर्वों को अवकाश सूची में स्थान देने की बजाए उनके लिए अलग से निर्देश दिए जाएं ताकि आम जनमानस शिक्षकों के अवकाश को लेकर गलत बयानबाजी न करें.

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