माँ का पहला दूध नवजात शिशु के लिए अमृत के समान- जिलाधिकारी

पानी नहीं केवल स्तनपान अभियान कार्यक्रम का जिलाधिकारी ने किया शुभारंभ
जीटी-70017, राम प्रकाश शर्मा ब्यूरोचीफ औरैया।
01 मई 2023
#औरैया।
01 मई 2023 से 30 जून 2023 तक आयोजित होने वाले पानी नहीं केवल स्तनपान अभियान कार्यक्रम का शुभारम्भ जिलाधिकारी प्रकाश चन्द्र श्रीवास्तव व मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार सिंह ने प्राथमिक विद्यालय परिसर बिरिया में संचालित आंगनवाड़ी केंद्र में संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। 01 मई 2023 से 30 जून 2023 तक आयोजित होने वाले पानी नही केवल स्तनपान अभियान के शुभारम्भ के अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि इस अभ्यिान का उद्देश्य महिलाओं को जागरूक करना है कि शिशु की 06 माह की आयु तक शीघ्र व केवल स्तनपान उसके जीवन की रक्षा के लिए अत्यन्त आवश्यक है। शिशु के जन्म के एक घण्टे के अन्दर स्तनपान कराया जा सकें तथा इसमे बढोत्तरी हो सकें।
उन्होनें जानकारी देते हुए कहा कि माँ का पहला दूध (कोलस्ट्रम) नवजात शिशु के लिए अमृत के समान है। यह शिशु का पहला टीकाकरण है, जो उसे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाता है। साथ ही यह शिशु का पेट साफ करने में सहायता करता है। माँ के दूध में 90 प्रतिशत पानी होता है। खासकर स्तनों से आने वाला पहला दूध, जो शिशु की पानी की आवश्यकता पूरी करता है, बाद में निकलने वाला गाडा दूध शिशु की आवश्यकता के समस्त पोषक तत्व प्रदान करता है। शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए माँ के दूध में समस्त पोषक तत्व व उर्जा होती है जो पानी से बिलकुल नहीं मिलती। यदि शिशु भूखा हो, तो उसे माँ का दूध दें। यदि शिशु प्यासा हो, तो भी उसे केवल माँ का दूध दें। मौसम के तापमान, आर्द्रता/नमी तथा शिशु के वजन के अनुसार, उसे प्रतिदिन 80-100 मि०लि०/किलो जन्म के पहले सप्ताह में तथा 140-160 मि०लि०/किलो 3 से 6 माह की आयु में तरल पदार्थ की आवश्यकता होती है। यदि माँ शिशु को केवल स्तनपान करा रही है तो शिशु की सारी तरल पदार्थों की आवश्यकता स्तनपान से ही पूरी हो जाती है।
उन्होंने कहा कि 6 माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराना चाहिए। अपवाद के रूप में केवल ओआरएस, विटामिन सीरप या दवाइयां दी जा सकती हैं, वह भी प्रशिक्षित चिकित्सक से परामर्श के पश्चात। उन्होनें कहा कि समाज में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं व मिथकों के कारण 6 माह तक केवल स्तनपान सुनिश्चित नहीं हो पाता है, बल्कि परिवार के सदस्यों द्वारा शिशु को घुट्टी, शहद, चीनी का घोल आदि का सेवन करा दिया जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप शिशुओं में कई प्रकार के संक्रमण हो जाते है, जोकि शिशु के स्वस्थ जीवन के लिए अत्यन्त घातक सिद्ध होता है। शोध में पाया गया है कि शिशुओं को केवल स्तनपान कराने में, माँ के दूध के साथ-साथ पानी पिलाना प्रमुख बाधाओं में से एक है, और यह व्यवहार गर्मियों में बढ़ जाता है। मां के दूध में अन्य पौष्टिक तत्वों के साथ-साथ पानी भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है और शिशु की पानी की आवश्यकता केवल स्तनपान से पूरी हो जाती है। अतः शिशु को 6 माह तक उपर से पानी देने की आवश्यकता नहीं होती है। ऊपर से पानी देने से शिशु में संक्रमण की सम्भावना बढ़ जाती है। स्तनपान अभियान आयोजित कर स्तनपान की दर में वृद्धि होने के साथ ही शिशु मृत्यु दर में सुधार लाया जा सके। इस मौके पर मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार सिंह, जिला पूर्ति अधिकारी देवमणि मिश्रा, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अनिल कुमार, जिला कार्यक्रम अधिकारी, समस्त मुख्य सेविका एवं आंगनबाडी कार्यकत्रियॉ सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्र से मातायें आदि उपस्थित रहीं।