तारों की राख से बना है , इंसान,एक ब्रह्मांडीय सच!

Global times 7
जब हम रात के अंधेरे में आसमान की ओर देखते हैं तो हमें टिमटिमाते तारे दिखाई देते हैं। लेकिन शायद आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उन तारों की राख ही हमारी असली पहचान है। वैज्ञानिक सचमुच मानते हैं कि हम सब स्टारडस्ट हैं।
शुरुआत: ब्रह्मांड में सिर्फ हल्के तत्व
13.8 अरब साल पहले बिग बैंग के बाद ब्रह्मांड में केवल दो हल्के तत्व थे,हाइड्रोजन और हीलियम। बाकी सारे भारी तत्वों का अस्तित्व तब तक नहीं था।
तारे ब्रह्मांड के कारखाने
तारे अपने अंदर परमाणु संलयन (Nuclear Fusion) के जरिए नए-नए तत्व बनाते हैं। हल्के तत्व आपस में मिलकर कार्बन,ऑक्सीजन और लोहे जैसे भारी तत्व बनाते हैं। यह प्रक्रिया लाखों-करोड़ों साल तक चलती है, जब तक तारा अपने जीवन के अंत तक नहीं पहुँच जाता।
सुपरनोवा तारों का आखिरी तोहफ़ा
जब विशाल तारे अपना ईंधन खत्म कर लेते हैं तो वे सुपरनोवा नामक भीषण विस्फोट में फट जाते हैं। इस विस्फोट में तारे के अंदर बने सारे भारी तत्व अंतरिक्ष में फैल जाते हैं। यही तारा-धूल (Stellar Dust) ब्रह्मांड में घूमती रहती है।
पृथ्वी और जीवन का जन्म
अरबों साल पहले ऐसे ही तारों की राख इकट्ठी होकर हमारे सौरमंडल और पृथ्वी का निर्माण करती है।
* हमारी हड्डियों में मौजूद कैल्शियम
* हमारे खून में मौजूद लोहा और हमारे डीएनए में मौजूद कार्बन,यह सब कभी किसी तारे के दिल में बना था।
हम सिर्फ इंसान नहीं,हम ब्रह्मांड के बच्चे हैं
जब आप अपने बारे में सोचें,तो याद रखिए,आपका शरीर अरबों साल पुरानी ब्रह्मांडीय कहानी का हिस्सा है। हम सिर्फ इस धरती के नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड के वारिस हैं।
जैसा कि प्रसिद्ध खगोलशास्त्री कार्ल सेगन ने कहा था
हम स्टारस्टफ से बने हैं।