कैसे हेकड़ी निकाल दी पाकिस्तान की मोदी जी ने।

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ग्लोबल टाइम्स 7 डिजिटल न्यूज नेट वर्क,लेखनी कंचौसी रिपोर्टर
बृजेश बाथम
पाकिस्तान आतंकवादियों का देश है और टेरर फंडिग करना उसकी आदत है।आतंकिस्तान के नाम से जाना जाने बाला यह देश अब भुखमरी के कगार पर है जहां आटे के लिए जनता लाइन में खड़ी है वहां के सांसद सदन में रोटी लेकर आते है और इसका जिक्र इस प्रकार किया जाता है जैसे रोटी पाकिस्तान में पहली बार देखी गई हो।कटोरा लेकर दर दर भीख मांगने वाले इस देश को अब कोई भीख भी देने को तैयार नहीं है। पाव पाव भर के परमाणु बम की गीदड़ धमकी देने वाले इस देश की कैसे हेकड़ी मिटा दी भारत के ही नही बल्कि विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता मोदीजी ने जानते हैं विस्तार में।
सबसे पहले मोदी ने पाकिस्तान को समझाया कि शिक्षा ,विज्ञान टेक्नोलॉजी आदि में भारत के साथ आगे बढ़ो।लेकिन विनाशकाले विपरीत बुद्धि। यदि कुत्ते को गुड़ की बट्टी दिखाओ तो उसे पत्थर नजर आता है,ऐसा ही समझा पाकिस्तान ने और आतंक का रास्ता नही छोड़ा।
कश्मीर का सहारा लेकर पाकिस्तान के सभी प्रधामंत्रियों ने विदेशों से कर्ज लेकर आतंकवादियों की मदद की ओर अपना खजाना भरा। परमाणु बम की गीदड़ धमकी तो वहां के नेताओं का नारा ही बन गया। आतंकवादियों पालने परोसने में पाकिस्तान सरकार से ज्यादा वहां की सेना का योगदान रहा।
जब आतंक चरम सीमा पर पहुंच गया तब मोदी जी ने सबसे पहले विश्व पटल यह आवाज उठाई और यह सिद्ध कर दिया कि पाकिस्तान से पूरी दुनियां में आतंक फैलाया जाता है तथा ग्लोबल टेररिस्ट भी पाकिस्तान में मौजूद है।
फिर क्या था एक दो देशों को छोड़कर सभी देशों ने अपने हाथ पीछे खींच लिए, कर्ज देना बंद कर दिया,व्यापारिक संबंध खत्म कर दिए, आयात,निर्यात बंद होते ही पाकिस्तान की कमर टूट गई ।भारत ने भी सभी आवश्यक वस्तुओं को पाकिस्तान भेजने पर रोक लगा दी।
देखते ही देखते पाकिस्तान की जी डी पी धड़ाम से गिर गई।पाकिस्तान का रुपया डालर के मुकाबले निम्न स्तर पर पहुंच गया।
अब पाकिस्तान की हालत इतनी खराब हैं कि वहां डीजल पेट्रोल की कीमतें आसमान छूं रही है । दो और चार पहिया वाहनों की कीमतें भारत से पांच गुना अधिक हो गई है,फल सब्जियां लोग खाने को तरस रहे है। श्री लंका की तरह पाकिस्तान में कभी भी विद्रोह फैल सकता है।
इसीलिए यह कहावत सच है,, कि मोदी है तो सब कुछ मुमकिन है। सांप भी मर गया और लाठी भी नही टूटी, और पाकिस्तान की हेकड़ी धरी की धरी रह गई।