स्वास्थ्य विभाग — झोलाछाप कैंसर डाक्टर की अजब कहानी,चटनी पानी से मिटा रहा कैंसर की बीमारी

विधनू तकसींगपुर में झोलाछाप वैध महिनों से कैंसर मरीजों को पानी,चटनी चटाकर गरीब से बना मालामाल
बताते चले कानपुर जनपद के बिधनू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से महज 4 किलोमीटर दूर पर राकेश की दुकान चल रही है लाखों रुपये की कमाई का जरिया बन गयी है जिम्मेदार अंजान होकर आम झोलाछाप डॉक्टरों की तरह राकेश की दुकान में चल रहे कैंसर जैसे घातक बीमारी के इलाज को देख रहे है ।
:- कानपुर के जे के कैंसर को भी पीछे छोड़ गयी झोलाछाप वैध के यहां मरीजों की संख्या,सीएमओ ने पल्ला झाड़ा
:- झोलाछाप डॉक्टर के बाद अब आया झोलाछाप वैध का भी नाम,कर रहा कैंसर का इलाज,स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार हैं अंजान
:- 2 दिनों में आते है तकरीबन 2 हजार से ज्यादा मरीज,1साल में गरीब से बन गया मालामाल
:- 8 साल पहले बरगद के पेड़ की नीचे बैठकर करता था झोलाछाप डॉक्टरी,आज बनी हवेली
Global Times7 News Network Lucknow Uttar Pradesh
ALOK MISHRA
गरीब – मजबूरों की जिंदगी दांव पर लगाने वाले झोलाछाप डॉक्टर्स और वैद्यों की गांव व शहर में भरमार सी हो गई हैं। कारण स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता कहें या फिर सेटिंग व कमीशन खोरी का सिलसिला। जहां कहीं भी मामले उजागर भी होते हैं वहां स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अंजान बनकर अपना पल्ला झाड़कर बचते हुए नजर आते हैं।
परिणामत: स्वास्थ्य महकमा ऐसे मामलों में कार्रवाई करने से कतराता हुआ नजर आता रहता है।
बताते चलें कि ऐसे ही कानपुर जनपद के एक झोला छाप वैद्य बिधनू इलाके में भी हैं जो हल्दी,चटनी और इंजेक्शन के दम पर कैंसर के खात्मे का दावा करता है। खास बात ये कि उस पर अंधविश्वास करने वालों की कमी भी नहीं हैं। मरीजों को दवा देने और उनका कैंसर ठीक करने वाले इस वैद्य की दुकान सप्ताह में िसर्फ दो दिन सजती है और उन दो दिनों में इतनी भीड़ हो जाती है जैसे मानों कोई मेला लगा हो। बैरिकेटिंग लगाकर लोगों की भीड़ को रोका जाता है। सुबह से लेकर शाम तक मरीजों की भीड़ अपना नंबर आने का इंतजार करती रहती है। खास बात ये कि इस वैद्य की दवा से कितने लोगों का कैंसर जड़ से खत्म हुआ या कितने मरीजों को आराम मिला या नही इसका कोई भी आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
जनपद के बिधनू विकास-खंड की कठुई ग्राम पंचायत का मजरा तकसींगपुर एक छोटा सा गॉव जिसमें ज्यादातर लोग खेतों में सब्जी उगाकर या मजदूरी करके अपनी जीविका चलाते थे और इस गॉव को अब कानपुर ही नही आस पास के जिलों के साथ ही दिल्ली,हरियाणा, गुजरात,मुम्बई जैसे बड़े बड़े शहरों के लोग भी जानने लगे वजह भी खास है क्योंकि यहां पर एक कैंसर डॉक्टर आ गए है जो कि कैंसर रोगियों को हरी चटनी, पानी व लाल रंग का इंजेक्शन देकर उन्हें ठीक करने का दावा करते हैं, जहां कैंसर डॉक्टर नाम का नाम राकेश राजपूत है और ये खुद ही कुछ सालों पहले मुंह के कैंसर से पीड़ित था । और दाने – दाने के लिए मोहताज राकेश अपनी मौत की राह देख रहा था तभी जिंदगी ने ऐसी करवट ली कि कैंसर भी सही हुआ और अन्य कैंसर रोगियों को इलाज के नाम पर अपनी दुकान चलाकर गरीबी का दंश भी खत्म हुआ ।
रविवार व मंगलवार को लगता है झोलाछाप वैध के यहां कैंसर रोगियों का मेला,रू 500 की फीस में होता इलाज, खुद को वैध बताने वाले राकेश की
सुबह से ही लाइन में खड़े हो जाते है ,,कुछ तो मरीज ऐसे भी होते है जो कि गम्भीर हालत में एम्बुलेंस के जरिये वहां पहुंचते है और उन्हें भी एम्बुलेंस में लेटकर अपनी बार का इंतजार करना पड़ता है । तकरीबन 1 साल पहले खुली क्लीनिक के जरिए कैंसर को ठीक करने की दुकान में देखते ही देखते भीड़ इतनी ज्यादा हो गयी कि वहां पर गाड़ियों की पार्किंग के साथ साथ मरीजों को लाइन में लगाने के लिए बल्लियों के जरिये बैरिकेडिंग भी लगानी पड़ गयी इसके साथ ही प्रकृति की गोद से मिलने वाली दवा के रेट निर्धारित करते हुए 500 रुपये प्रति पुड़िया के साथ ही एक लाल रंग का निडिल में भरा हुआ इंजेक्शन दिया जाने लगा और मोटी रकम कमाने का जरिया बन गया है ।
करिश्माई पानी भी देने लगे जनाब,कैंसर रोगियों के साथ हो रहा खिलवाड़
बताते चले इन दिनों राकेश के यहां हफ्ते में दो दिन बैठने पर तकरीबन 2 हजार मरीज आते है जिसमें आधे से ज्यादा मरीज कैंसर की दूसरी व लास्ट स्टेज से जूझ रहे होते है सुनी सुनाई बातों व सस्ते इलाज के लालच में वो स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को छोड़कर यहां आकर अपनी जिंदगी को और भी कम करते हुए नजर आ रहे है । और उन्हें एक पैकेट में हरे रंग की पिसी हुई दवा व एक बिना नाम पते का इंजेक्शन सीरेंज में भरकर दिया जाता है ।
जहां वैध साहब द्वारा चटनी व लाल इंजेक्शन के साथ साथ राकेश ने नया तरीका अपना और बीते कुछ महीनों से एक बाल्टी में पानी भरकर बाहर रखा जाता है और बारी बारी से कैंसर रोगियों को छोटे गिलास में उसे कैंसर को दूर करने के जल के नाम से पिलाया जाता है जिसे पीने के लिए भीड़ उमड़ पड़ती है ।
नही मिल रहा लाभ, फिर भी करा रहे इलाज,मुंह हो या पेट का कैंसर सबकी दवा बस वही हरी चटनी
विकास खंड बिधनू क्षेत्र के आस पास के कैंसर मरीजों ने अपना नाम गुप्त रखते हुए, बताया कि दवा से लाभ नही मिला लेकिन क्या करें उम्मीद और सस्ते इलाज की वजह से तकरीबन 2 महीने दवा खाई है फिर वापस जेके कैंसर में इलाज करा रहे है, वहीं खुद को वैध बताने वाले राकेश का दावा है उसके पास किसी भी तरह का कैसंर हो जड़ से खत्म होता है कैंसर बोन का हो पेट का हो या स्तन का हो ब्लड का हो या फिर मुहं का कैंसर सभी प्रकार के कैंसर की दवा एक ही प्रकार की होती है ।
राकेश का अर्स से फर्श तक का सफर,कैंसर के घातक कीटाणु की नही परवाह
ग्रमीणों की माने तो राकेश 8 साल पहले बरगद के पेड़ के नीचे बैठरक झोलाछाप डॉक्टरी करता था और अचानक मुंह के कैंसर से पीड़ित हो गया जिसके बाद उसे घरवालों ने दूर कर दिया राकेश कई महीनों तक गायब रहा उसके बाद वो सही होकर वापस आया तो सभी हैरान थे कि राकेश की कैंसर की बीमारी कैसे ठीक हुई उसके बाद से राकेश कैंसर की दवा देने लगा यहीं नही देखते ही देखते उसकी कमाई इतनी बढ़ गयी कि महीने में 4 से 5 लाख तक की कमाई करने लगा और लक्जरी कार के साथ आधुनिक सुख सुविधाओं से पूर्ण जीवन जीने लगा और इलाके में डॉक्टर कैंसर के नाम से मशहूर हो गया ।
बताते चले कैंसर रोगी के शरीर से लाखों की संख्या में कीटाणु बाहर निकलते रहते है और जो कि बहुत ही घातक होते है या हम यूं कह ले कि रोगी के पास मौजूद आस पास के लोग भी कीटाणुओं की चपेट में आकर कैंसर रोग का शिकार हो सकते है लेकिन इन सब चीजों को नजरअंदाज करते हुए खुले मैदान में कैंसर रोगियों को लाइन में लगाया जाता है ।
स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे चल रही दुकान,जानकारी पूंछने पर सीएमओ ने अपना पल्ला झाड़ा
इस सम्बंध में जब
चिकित्साअधीक्षक डॉ एसपी यादव से मामले को लेकर मीडिया टीम द्वारा बात की गई तो उन्होंने बताया कि
उक्त मामले की जानकारी प्राप्त हुई है, इनका कोई रजिस्ट्रेशन व डिग्री नहीं है, विभाग के उच्च अधिकारियों तक जानकारी दे दी गयी है, यदि मुझे जांच हेतु निर्देशित किया जाएगा,तो हर बिंदु अवश्य ही जांच की जाएगी, वैसे उच्च अधिकारियों द्वारा गठित टीम जल्द आकर जांच एवं कार्यवाही करेगी,
वहीं जब कानपुर सीएमओ डॉ आलोक रंजन के सम्पर्क सूत्र नं
+919415088420 पर बात करने व जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की उन्होंने जानकारी न होने व मीटिंग में होने का हवाला थमाकर पल्ला झाड़ कर इतिश्री कर ली गई।