2 जनवरी को खुलेगा बैकुंठ द्वार:रंगनाथ मंदिर में वर्ष में एक बार होते हैं बैकुंठ द्वार के दर्शन

गोपाल चतुर्वेदी
ग्लोबल टाईम्स 7 न्यूज
मथुरा
मथुरा के वृंदावन ने स्थित उत्तर भारत के विशालतम रंगनाथ मंदिर में उत्सव की प्रधानता है। यहां वर्ष भर हर दिन कोई न कोई उत्सव मनाया जाता है। 2 जनवरी को मंदिर में बैकुंठ एकादशी पर्व की तैयारी चल रही है। यहां वर्ष भर में एक बार बैकुंठ द्वार खोला जाता है। बैकुंठ एकादशी के दिन खुलने वाले बैकुंठ द्वार से लाखों भक्त भगवान की सवारी के साथ निकलते हैं और करते हैं भगवान से बैकुंठ की कामना।
रंगनाथ मंदिर में बैकुंठ द्वार पौष माह की बैकुंठ एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में खोला जाता है। पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन खुलने वाले इस द्वार से निकलने के लिए भक्त लालायित नजर आते हैं। भक्त भगवान रंगनाथ ( लक्ष्मी जी और विष्णु जी) की सवारी के साथ इस द्वार से निकलते हैं और लगाते हैं भगवान रंगनाथ के जयकारे।
बैकुंठ उत्सव के लिए मंदिर में तैयारी शुरू हो गई हैं। मंदिर में बैकुंठ द्वार के पास मंडप बनाया जा रहा है। जिसमें बैकुंठ एकादशी पर देशी विदेशी फूल लगाए जायेंगे। बैकुंठ लोक की साफ सफाई की जा रही है। मंदिर के कर्मचारी बैकुंठ लोक के हर हिस्से को अच्छे से धो रहे हैं।
बैकुंठ एकादशी के दिन भगवान रंगनाथ माता गोदा जी के साथ बैकुंठ द्वार से निकलते हैं। इसके बाद भगवान की सवारी मंदिर परिसर में भ्रमण करने के बाद मंदिर के शेषसाई भगवान विष्णु जी के मंदिर बैकुंठ लोक में जा कर विराजमान होती है। यहां करीब 2 घंटे तक विराजमान हो कर भगवान रंगनाथ भक्तों को दर्शन देते हैं।