पानी और वाणी को बहुत ही तौल कर प्रयोग करना चाहिए-आचार्य मनोज अवस्थी

सातवें दिन आचार्य ने श्रीमद भगवत कथा में बांध दिया समा
ग्लोबल टाइम्स-7, डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क, जिला संवाददाता राम प्रकाश शर्मा औरैया।
औरैया। विकासखंड भाग्य नगर क्षेत्र के ग्राम बरौआ मे चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सप्तम दिवस मे अन्तराष्ट्रीय कथाकार एवं समाज सुधारक आचार्या मनोज अवस्थी ने ऊषा अनुरुद्ध के विवाह के प्रसंग को सुनाया। आचार्या ने युधिष्ठिर के राजसू यज्य का वर्णन किया, और कहा की धर्म के कार्य के लिये कोई भी कर्म छोटा नही होता भगवान कृष्णा ने भी यघ्य मे सभी पत्त्लो को उठना एवं सभी के पैर धोने का काम किया। जरासन्ध वध की कथा को सुनाया।
उसके उपरांत आचार्या ने कहा की हमे पानी ओर वाणी दोनो को तौल कर प्रयोग करना चाहिए द्रोपदी ने वाणी का प्रयोग सही नही किया।

द्रोपदी का एक शब्द से ही इस भारत मे महाभारत हो गया। वैसे ही हमे पानी को भी बहुत ध्यान से प्रयोग करना चाहिये। जलसंरक्षण आज हमारी पहली प्राथमिकता है। फिर महाराज श्री ने सुदामा चरित्र का बहुत सुन्दर वर्णन किया, ओर कहा की कभी किसी गरीब व्यक्ति को कुछ बोलना नही चाहिए, क्यूंकि गरीब का दिल दुखाना ही इस संसार मे सबसे बडा पाप है, और इससे उसको भी कस्ट होता है। उसके बाद मे महाराज जी ने 9 योगिस्वरो की कथा को सुनाया और कहा की धर्म हमे आडम्बर नही सिखाता। हमे धर्म मे आडम्बरी नही होना चाहिए। उसके बाद मे 24 गुरु की कथा को सुनाया और कहा की हमे हर व्यक्ति और वस्तु से लघु शिक्षा लेनी चाहिए। कथा में महाराज श्री ने विश्राम में कहा कि जो भी कोई व्यक्ति कथा को आदर्श मान कर राम कृष्ण के चरित्र को आदर्श मानकर जीवन जीते है। उनका जीवन समाज का आईना बनता है। आज हम सबको चाहिए कि युवाओं को राम-कृष्ण की कथा सुनवाए, उन्हें सनातन धर्म के आदर्श पता चल सके। इस अवसर पर आयोजक प्रमोद मिश्रा, धमेंद्र आदि लोग उपस्तिथ रहे, एवं कथा मे उम्दा विशाल जनमानस उमडा। कथा में श्रोता एवं श्रद्धालु भक्तजनों का भरपूर सहयोग रहा।