उत्तर प्रदेशलखनऊ

जन समस्याओं के निराकरण हेतु संचालित जन सुनवाई पोर्टल भी हुआ अनियमितताओं का शिकार

30 दिन में निस्तारण की बाध्यताओं के बाद भी की गई शिकायत लगभग 04 वर्ष 10 माह बाद भी लंबित

ग्लोबल टाइम्स-7 न्यूज़ नेटवर्क
राकेश कुमार मिश्र
संवाददाता तहसील मैथा
09 नवम्बर 2022
शिवली कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा प्रदेश से भ्रष्टाचार समाप्त करने तथा आम जनमानस को होने वाले कठिनाइयों से निजात दिलाने हेतु अनेक सुविधाओं को प्रदान करने का भरसक प्रयास किया गया है, फिर भी जन मानस की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं उसका मुख्य कारण शासन द्वारा किए जा रहे प्रयास को अनुपालकों द्वारा उपेक्षित करना है |
बिगत वर्ष 2014- 2017 के मध्य उत्तर प्रदेश वेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज द्वारा 72825 प्रशिक्षु सहायक शिक्षकों (प्राथमिक स्तर) तथा उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 29334 विज्ञान/ गणित के सहायक अध्यापकों के चयन की प्रक्रिया संचालित की गई थी जिसमें U. P. T. E. T. 2011 के परिणाम पर आधारित की गई चयन प्रक्रिया में विभाग द्वारा घोर अनियमितताएं करते हुए हजारों की की संख्या में अपात्र और अयोग्य स्तर के आवेदकों को शिक्षक चयनित किया गया |
सर्व प्रथम हम यहाँ पर प्राथमिक विद्यालयों में 72825 प्रशिक्षु सहायक अध्यापकों के चयन में गम्भीर स्तर पर की गई अनियमितताओं का उल्लेख कर रहे हैं- बेश आफ सलेक्शन के निर्धारण हेतु योजित एस. एल. पी. में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 17/12/2014 को दिए गए अंतरिम आदेश के निर्देश का अनुपालन विभाग के अधिकारियों द्वारा किया ही नहीं गया है क्योंकि माल प्रैक्टिस में शामिल अभ्यर्थियों की पहचान केवल यू. पी. टी.ई. टी.2011 के परीक्षा की मूल ओ. एम. आर. सीटों से ही सम्भव होगा, जो 04/०3/2012 को परीक्षा व परिणाम में किए गए भ्रष्टाचार के कारण जांच पुलिस (अकबरपुर कानपुर देहात) द्वारा अपनी अभिरक्षा में लेकर सीज कर दिया गया था और आर. टी. आई. द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनाँक 31/07/2017तक भी सीज था, ऐसी स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश/निर्देश का अनुपालन कैसे किया गया? यह एक गम्भीर प्रकृति का अपराध जानबूझकर किया गया था और हजारों अपात्र और अयोग्य स्तरीय शिक्षकों का चयन करके प्रदेश के नौनिहालों के भविष्य के साथ विश्वासघात किया गया है तथा हजारों पात्र और योग्य अभ्यर्थियों के वैधानिक हक को भी छीना गया है|विभाग के पास केवल सरणींयन पंजिका ही है जिसमें केवल अंकों का विवरण ही होता है जिनकोे अपनी सुविधा व इच्छानुसार कभी भी परिवर्तित किया जा सकता है|
दूसरा प्रकरण 29334 विज्ञान/गणित के सहायक अध्यापकों के चयन का है, अध्यापक चयन सेवा नियमावली वेसिक 1981 कक्षा 1-8 तक एक ही होती है, ऐसी स्थिति में एक ही समय में दोनों चयन प्रक्रिआएं एक साथ भिन्न भिन्न नियमावली के अनुसार कैसे संचालित की गईं? इसका जवाब किसी भी अधिकारी के पास नहीं है, जब चयन का आधार के निर्धारण का मामला सर्वोच्च न्यायालय में लम्बित था और वेसिक शिक्षा परिषद के द्वारा एक शासनादेश भी निर्गत किया गया था जिसमें स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि 29334 विज्ञान/गणित के सहायक अध्यापकों के चयन की प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय में लम्बित याचिका पर निर्णय आने बाद ही संचालित की जाएगी, अंतिम निर्णय दिनाँक 25/०7/2017 को किया गया किंतु वेसिक शिक्षा परिषद अपनी इच्छा के अनुसार वर्ष 2015-16 में ही अध्यापक चयन सेवा नियमावली 1981 के निरस्त किये गए 15 वें संशोधन के अनुसार ही अधिकांश पदों को पूर्ण कर दिए, यहाँ गौर करने वाला तथ्य यह है कि वेसिक शिक्षा परिषद/विभाग के अधिकारियों के आगे न्यायालय का आदेश/निर्देश भी नगण्य है, इस प्रक्रिया से सम्बन्धित आर. टी. आई. द्वारा मांगी गई जानकारी भी परिषद द्वारा अब तक उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है जबकि राज्य सूचना आयोग तक प्रकरण ले जाने के बाद भी किस सेटिंग से दर्ज की गई याचिका को निस्तारित करा दिया गया जबकि करोना काल के समय प्रेषित आपत्ति पत्र को कार्यालय द्वारा आयुक्त महोदय के समझ पेश ही नहीं किया गया और बिना उत्तर के ही किन परिस्थितियों में निस्तारित इस सूचना अधिकार कानून का उपहास बना दिया गया |
शिकायतकर्ता द्वारा बताया गया कि वेसिक शिक्षा विभाग/परिषद के भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा मेरे जैसे हजारों नवयुवकों का जीवन बर्बाद कर दिया गया है,मुख्यमंत्री महोदय द्वारा पीड़ित व व्यथित लोगों की समस्याओं के निराकरण हेतु संचालित जन सुनवाई पोर्टल पर भरोसा करते हुए अपनी शिकायत संख्या 18163180031129 दिनाँक 20/01/2018 को इस उम्मीद के साथ दर्ज कराई थी कि 30 दिन के अन्तर्गत न्याय मिल जाएगा किंतु अफसोस ऐसा नहीं हो सका, आज लगभग पांच वर्ष होने जा रहे हैं किंतु अब तक समस्या का कोई निदान नहीं हो सका, ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह पोर्टल स्वयं अनियमितताओं की भेंट चढ़ गया है |

Global Times 7

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