उत्तर प्रदेश

जिले की पंचायती राज व्यवस्था इन दिनों पूर्णतया चर्मराई !

*ब्लाक बीडीओ बलराम सिंह ने ब्लाक कर्मियों से पंचायत सचिवों की रिपोर्ट है मंगाई,*

  *विकाश खंड की ग्राम सभाओं में तैनात तो है बेचारे पंचायत सचिव साहब,लेकिन फिर भी महिनों से पंचायत सचिवों बिन मानौ जैसे ग्राम सभायें अनाथ सी हो गई*

*आखिर क्या ग्राम सभाओं में सरकारी बजट का पंचायतों में लग गया था धन का  टोटा, तो ऐसी दशाओं में जांच का बिषय तो बनता ही है,भईया, पंचायतों में तैनात पंचायत कर्मियों के पास पिछले छह से सात महिनो तक का नही पहुचा पाया अभी तक उनकी पगार का एक भी धेला रूपईया*,   


खास रिपोर्ट ,

कानपुर नगर
जिले की पंचायती राज व्यवस्था इन दिनों पूर्णतया ध्वस्त चल रही है, कहीं पर फर्जी तरीके से सचिव डोंगल के जरिये पेंमेंट निकाल कर सरकारी बजट का चूना लगाने से नही चूक रहे तो कही कही पर पंचायतों में कार्यरत पंचायत कर्मियों के विगत लगभग साल से छह महिनों तक समय बीतने की कगार पर पहुंच रहा लेकिन मानदेय का भुकतान तक लापरवाह पंचायत सचिवों के द्वारा नही हो पा रहा , जिससे कि पंचायत में तैनात पंचायत कर्मियों के अंदर भी अपने  विभागीय अधिकारियों की कार्यशैलियों से कामों के प्रति खिन्नता और कार्यभार छोडने जैसी नौबतें जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आजकल आम तौर पर देखने को मिल रही है, इससे तो यह कहा जा सकता है कि या तो सरकार के पास ग्राम पंचायतों में कार्यरत कर्मियों यथा केयरटेकर, सफाई कर्मी, पंचायत सहायक, मनरेगा मजदूरों आदि को मिलने वाले मानदेय का सरकारी बजट इन दिनों सरकर के पास खत्म हो चुका है, यदि ऐसा नही है तो फिर जिला व ब्लाकों में तैनात जिम्मेदार अधिकारियों की घोर लापवाही और अपने दाईत्वों का सही ढंग से निर्वहन न करना, अपने से निचले स्तर पर तैनात कर्मियों का आर्थिक और मानसिक शोषण करने जैसी नौबत सामने उभरकर निकल रही है,
ऐसा ही कुछ मामला एक फौरी तौर पर शोषित कर्मियों की दबी आवाजों से मीडिया संज्ञान में आया, उदाहरण तौर पर जिले के विकाश खंड शिवराजपुर की ग्राम सभाओं में तैनात कुछ लापरवाह पंचायत सचिवों की कार्यशैलियां उभर कर सामने आई, जहां जिले की पंचायती राज व्यवस्था को खुलेआम चुनौती भेंट कर पिछले कई महिनो से पंचायतों में कार्यरत पंचायत कर्मियों के मानदेय भुकतान तक नही किये गये, इतना ही नही और तो और महिनों से पंचायत सचिवों के ग्रामीणों को ग्राम सभा में दर्शन तक नही हो पा रहे हैं, मानौ जैसे ग्राम पंचायतें सचिव विना अनाथ हो चुकी हों,
इधर पूर समस्याओं को लेकर जिले की जिला पंचायत कार्यालय में से जानकारी ली गई कार्यलय में तैनात अधिकारी विस्मित से हो कर जिले से लेकर ब्लाक ग्राम पंचायतों में कार्यरत पंचायत सहायकों केयर टेकरों के पास फोन घनघाने की घंटियां बजने लग गई और आनलाईन पोर्टल के जरिये विवरण मांगा जाने लगा, तो वही ऐसे में इधर जानकारी मिलने के बाद विकाश खंड की ग्राम सभाओं में तैनात सचिवों से  शिवराजपुर बीडीओ बलराम सिंह भी समीक्षा रिपोर्ट तैयार करवाने में जुट गये, इतना ही नही अपधी अपनी कमिया़ छिपाने के चलते होशियार पंचायत सचिवों ने पंचायत में तैनात कर्मियों की रात रात मानदेय भुकतान कराकर बीडीओ के लिखित सवाल जवाब से साफ बचने का प्रयास करने में जुट गये, सवाल यह बनता है कि ऐसी लापरवाही भर कार्यशैलियो पर कुछ सुधार भी होगा, क्या जिम्मेदारों द्वारा लापरवाह पंचायत सचिवों को भी मिलने वाली मासिक भुकतान रूपी पगार पर भी कुछ कार्यवाही की जायेगी याफिर अपनी ढपली अपना अपनी राग ही इस अलवेले सरकारी तंत्र में अलापा जाता रहेगा,

Global Times 7

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