उत्तर प्रदेशलखनऊ

कजली महोत्सव में कवि सम्मेलन

  • क्षेत्रीय सांसद ने की शिरकत
    18 अगस्त
    अवध दीक्षित मुख्य न्यूज़ एडीटर GT-7
    कानपुर परिक्षेत्र (कानपुर)।
    स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर बुन्देलखण्ड के सुप्रसिद्ध कवि व लेखक “चेतन” नितिन खरे, महोबा और उनकी टीम द्वारा अंबे पैलेस महोबा में शानदार कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें प्रसिद्ध कवियों व कवित्रियों ने देशभक्ति रचनाओं से समां बांध दिया।
    कार्यक्रम के दौरान कवि फलनवा ने कहा कि कवियों ने सदैव से देश की दिशा और दशा तय की है। कहा कि वीर सावरकर और नाथूराम गोडसे ने अखण्ड भारत की परिकल्पना की थी। इसके साथ ही विंध्य प्रदेश की भौगोलिक सीमाएं एवं राजनैतिक अतीत को भी स्मरण किया गया।
    कवि ने कहा की आज स्वयं अटल जी ने स्वप्न में मुझसे कहा की कोई भी देश भारत को अब कमजोर न समझे। ये सर्जिकल स्ट्राइक वाला भारत है। क्योंकि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को कवि कुल गौरव अटल बिहारी वाजपेई का स्वप्न पूरा करना है।
    भाजपा नेता नरेंद्र मिश्रा के बुलावे पर महोबा पहुंचे हिंदी साहित्य भारती अंतरराष्ट्रीय के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. रवीन्द्र शुक्ल “रवि” (पूर्व शिक्षा/कृषि मंत्री उत्तर प्रदेश झांसी) ने कहा की हमें भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए जातिवाद और आपसी संघर्ष से ऊपर उठना पड़ेगा। हमें बुन्देलखण्ड और महोबा के गौरव को नहीं भूलना चाहिए। बुन्देलखण्ड ऋषियों, मुनियों, कवियों और मनीषियों की भूमि है। यहां श्रृंगी ऋषि, भिंड ऋषि, गुरु गोरखनाथ जैसे महान ऋषि मुनि और औघड़ हुए तो वहीं मानस रचयिता गोस्वामी तुलसीदास, मुंशी प्रेमचंद, राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त भी हुए।
    कवि मुकेश श्रीवास्तव ने अपनी कविताओं से सभागार में राष्ट्रभक्ति और क्रांति की ज्वाल प्रज्वलित कर दी । उन्होंने स्वंतत्रता के आंदोलन में पंडित उपाधि से विभूषित अमर क्रांतिकारी और बलिदानी परमानंद खरे के योगदान को स्मरण किया।
    कवियत्री शिखा सिंह (आगरा), सौम्या श्रीवास्तव, ने शानदार काव्यपाठ किया। बुन्देलखण्ड के बड़े कवि डॉ. देवदत्त द्विवेदी “सरस” बुंदेली में कविताएं और व्यंग कहे ।
    इस अवसर पर जेके शिवहरे, प्रदीप दिहुलिया, कौशल शर्मा, नरेंद्र मिश्रा, प्रशांत गुप्ता, सचिन खरे, कल्लू विधायक, सत्येंद्र प्रताप, ऋषि पुरवार, नीतू श्रीवास्तव, सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
    फोटो- मंच पर कविता पाठ करते कवि।
Global Times 7

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