उत्तर प्रदेश
बीरबल ने बनवाया था बिहारेश्वर महादेव मंदिर

आस्था के आयाम-
- मराठा क्षत्रप शिवाजी ने ली थी मंदिर में पनाह
- कानपुर सागर राजमार्ग के किनारे स्थित है
31 जुलाई
अवध दीक्षित मुख्य न्यूज़ एडीटर gt-7
कानपुर परिक्षेत्र (कानपुर)। सावन के महीने में शिवालयों में हर-हर महादेव के स्वर गूंज रहे हैं। आस्था से सराबोर भक्तगण अपने अपने स्तर से आराध्य का पूजन-अर्चन कर रहे हैं। इस मौके पर जहां लाखों की संख्या में लोग कावड़ यात्रा कर रहे हैं। वहीं, स्थानीय स्तर पर प्रमुख शिवालयों में मेले जैसा नजारा देखने को मिल रहा है।
कानपुर नगर जनपद की घाटमपुर तहसील क्षेत्र में सम्राट अकबर के प्रिय मंत्री बीरबल द्वारा बनवाया गया बिहारेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर है। जिसकी आस्था और ख्याति दूर-दूर तक है।
बता दें कि बीरबल घाटमपुर क्षेत्र के ही दहिलर गांव में जन्मे थे। और उनका बाल्यकाल यहीं बीता। किशोर अवस्था बीतने के बाद वह किसी तरह दिल्ली दरबार पहुंचे। जहां पर अपनी योग्यता के दम पर उन्होंने दिल्ली के तत्कालीन बादशाह अकबर के दरबार में नवरत्नों में अपनी अलग पहचान बनाई। हाजिर जवाबी के लिए विख्यात बीरबल के किस्से आज भी मशहूर हैं। उनकी प्रतिभा से प्रसन्न होकर के सम्राट अकबर ने बीरबल को अपने क्षेत्र में मंदिर और तालाब बनवाने के लिए धन उपलब्ध कराया था।
इसी कड़ी में उन्होंने सजेती क्षेत्र के अज्योरी गांव में इस विशाल मंदिर का निर्माण कराया था। जबकि, पड़ोसी गांव बीबीपुर में शिव मंदिर, रानी महल और तालाब का भी निर्माण कराया था। जिनके भग्नावशेष आज भी मौजूद हैं।
बिहारेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग काफी विशाल और आकर्षक है। मंदिर के मुख्य द्वार पर लगे शिलापट की भाषा आज तक कोई नहीं पढ़ पाया है। मुख्य बात यह है कि शिलापट को जब भी नापा जाएगा, तो वह हर बार नाप में घट-बढ़ जाता है।
इतिहासकारों के मुताबिक औरंगजेब की कैद से फरार होने के बाद मराठा क्षत्रप शिवाजी इसी मंदिर में काफी दिनों तक भेष बदलकर रहे थे। वर्तमान में मंदिर की देखरेख स्थानीय लोग ही कर रहे हैं। पिछले दिनों स्थानीय विधायक द्वारा इस मंदिर को पुरातत्व विभाग में लेने के लिए सरकार से सिफारिश की है। जिसके चलते जल्द ही इस मंदिर के दिन बहुरेंगे।
फोटो- बिहारेश्वर महादेव का मंदिर, उसमें स्थापित शिवलिंग और मुख्य द्वार पर लगा शिलालेख का पत्थर।

