उत्तर प्रदेश

सहभागिता आँकलन से किया जागरूक    

                                                                                                           *जीटी 7 डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क टीम औरैया, कानपुर मंडलब्यूरो रिपोर्ट, रामप्रकाश शर्मा। 01 जून 2025*                                                 *#औरैया।*  अपेक्षा महिला एवं बाल विकास समिति द्वारा विकास खण्ड औरैया के 12 गांव की 50 महिलाओं के साथ आज रविवार को  20 वर्ष पहले और 20 वर्ष बाद में  मानव जीवन के  रहन-सहन एवं खेती के तौर तरीकों में क्या परिवर्तन आया है  इस पर समुदाय आधारित सहभागिता आंकलन  किया गया।  इस पार्टिसिपेटरी अप्रेजल में ग्रामीण परिवेश की महिलाओं ने  विचार मंथन किया और रिसोर्स पर्सन के माध्यम से एक गाँव 20 वर्ष पहले का चित्रण किया और एक चित्रण वर्तमान का किया। जिसमे समूह चर्चा के माध्यम से महिलाओं ने आंकलन करके प्रस्तुत  किया।  20 वर्ष पहले और अब का क्या व्यवहार है, पहले लोग पैदल चलते थे और  अब मोटर साइकिल से चलते है, पैदल चलना बंद कर दिया। अब लोग जानवरों का चारा भी लेने मोटर साइकिल से जाने लगे हैं। घर में पशुपालन बहुत बड़े पैमाने पर था। कृषि हल बैल से होती थी और अब बैल कही किसी के यहाँ  देखने को नहीं मिलते हैं।                                                  . पहले दूध और मट्ठा का भोजन में उपयोग था और अब चाय पीते है।  पहले कम खर्चे में काम चलता था अब अधिक खर्चे हो गए हैं। 20 वर्ष पहले  की अपेक्षा अब इस  समय मे खेती किस प्रकार घाटे का सौदा बन गयी है, उससे क्या नुकसान है। समाज मे महिलाएं एनिमिक है कई तरह की गम्भीर बीमारियों का शिकार हो रही है। प्रस्तुतिकरण करते हुए बताया कि 20 वर्ष पहले खेत से सब्जी अनाज भूषा ईंधन घर आता था। हल बैल से खेती होती थी। सबके घर कच्चे खपरैल के होते थे और जो गाय के गोबर और मिट्टी से उसकी छपाई होती थी। पहले कुआं से पानी भरकर घर आता था। खेती की सिचाई नहर से रेडी से भरकर होती थी, अब समर हो गयी। जानवर को पहले घर की बनी हुई  दाना खली खिलाते थे और अब बाजार से पशु आहार दाना लेकर जानवर को खिलाते है। लखनऊ के प्रशिक्षक डा0 मजहर  रसीदी द्वारा सहभागिता आधारित आँकलन  के निष्कर्ष पर चर्चा की। आज कल एकाकी परिवार हो गयें है। बच्चे जानवरों का काम करने के लिए तैयार नहीं है। कृषि कार्य के लिए बड़ी बड़ी मशीने आ गई है। पराली जला दे रहे इस कारण ग्लेशियर पिघलने से गर्मी का टेम्परेचर अधिक बढ़ गया हैं। मानव शरीर में  अब गर्मी में 5 मिनट खड़ा होने के लिए क्षमता नहीं रह गई है। कृषि में जो लागत लग रही है उसके अनुसार पैदावार नहीं हो रही है। इस लिए कृषि घाटे का सौदा बन गई है। गाँव में समुदाय में 80 प्रतिशत परिवार गरीब है, जो बटाई पर जमीन करते है आर आर ए ( रैपिड रुरल अपरेजल )  छोटे किसान है इनको आगे आने के लिए अपनी जानकारी का स्तर बढ़ाना पड़ेगा, जिससे परिवार का विकास होगा और आप छोटे समूह से बड़े समूह मे पहुंचेगे। इस लिए सभी को अपने तौर तरीके कुछ बदलने ही होंगे। संदर्भ व्यक्ति डा0 मजहर  रसीदी ने गाँव में व्यवहार का एनालिसिस करने के लिए विभिन्न प्रकार के टूल्स बताए ट्रांजेक वाक, पीआरए, पीएलए, एचआरबीसी  आदि के बारे में बताकर विभिन्न प्रकार के जोखिम क्या है और कौन जोखिम में है इसमे चर्चा की गई। गरीबी से बाहर आने के लिए विकास खंड मे काम कर रहे सोशल वर्कर को गाँव का एक नक्शा बनाकर संवेदित  किया गया और आने वाले समय मे एक स्वस्थ समाज की परिकल्पना को साकार करने के लिए क्षमता वृद्धि की गई। इस अवसर पर समिति सचिव रीना पांडेय, सामाजिक कार्यकर्ता शिप्रा, ब्रम्हा, सुशील, अतुल, चमेली, दिव्या, नीरज, अर्चना, श्यामा देवी, विष्णु, वंदना गौतम, पुष्पा देवी आदि मौजूद रही।

Global Times 7

Related Articles

Back to top button