कंचौसी रेलवे पावर हाउस पर उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने लगाई रोक

*अगले आदेश तक निर्माण कार्य रहेगा बंद*
*ग्लोबल टाईम्स 7 डिजिटल न्यूज नेटवर्क टीम कंचौसी औरैया उप्र विशेष संवाददाता सुरेश यादव*
कंचौसी रेलवे स्टेशन के पश्चिमी किनारे पर निर्माणाधीन 132 केबीए रेल बिजलीघर को विद्युत सप्लाई देने वाली नई खडी की जा रही बडी टावर लाइन हरतौली सूखमपुर घसा का पुरवा ढिकियापुर अमरपुर नौगवा कंचौसी 6 किलोमीटर 18 टावर लाइन को ढिकियापुर के किसान बृजेश कुमार परिहार कुछ अन्य किसानो की रिट पर माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने अंतरिम रोक लगाते हुए 3 जुलाई 2025 को जवाब दाखिल करने को कहा है।
याचिकर्ता के अधिवक्ता धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ने भारत सरकार रेलवे उर्जा मंत्रालय आदि को पार्टी बनाते हुए माननीय न्यायालय को बताया कि उनके मुवक्किल की भूमि पर बिना किसी नोटिस दिये बिजली विभाग ने टावर खडे करने के लिए पैतृक भूमि पर बीचो बीच कुछ जगह अधिग्रहण करली है, जब कि उनकी जमीन के दोनो तरफ सरकारी भूमि खाली पडी हुई है, जिसका उपयोग टावर लगाने के लिए किया जा सकता था, और किसी तरह का किसानो को मुआवजा भी भुगतान नही करना पडता जिसकी लिखित शिकायत किसानो द्वारा रेलवे बिजली विभाग के अलावा जिलाधिकारी सीएम पीएम व भूतपूर्व सैनिक कल्याण निगम के वरिष्ठ अधिकारियो को भेज कर रोक लगाने की मांग की थी। जिस पर कोई उचित समाधान नही हुआ । क्योकि उनका मुवक्किल बृजेश कुमार परिहार पूर्व भारतीय वायु सैनिक है, जिनकी समस्या पर ध्यान न देकर सरकार द्वारा मनमानी की जा रही है जिस पर शीघ्र रोक लगाने की आवश्यकता है।
जिस पर पिछले 9 मई को माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद डबल बैन्च के जज अरिंदम सिन्हा व अवनीश सक्सैना ने प्रतिवादी के वकील एएसजीआई की दलील सुनने के बाद अस्थाई रोक लगाते हुए 3 जुलाई की तारीख निहित की है।
जिससे किसानो को बडी राहत मिली है उनका कहना है कि भूमि अभी खाली होने के कारण इस समय टावर लगाने का समय चल रहा था जुलाई के आदेश तक बारिश शुरू होने धान रोपने एवम उसके बाद गेंहू बोआई कटाई के बाद इन्ही दिनो खेत खाली हो सकगे। कृषक यह अनुमान लगा रहे है। तभी टावर लगाने तार खीचने आदि का काम शुरू हो सकेगा ।
कंचौसी बिजली घर निर्माण शुरू से विवादों मे रहा है। रेलवे इटावा फफूंद के निर्माण अधिकारियो द्वारा किसानो की जबरन भूमि कब्जाने उनकी शिकायत पर ध्यान न देने गलत चारदीवारी आदि के आरोप लगते रहे है। जिसमे कुछ किसान पहले से ही उच्च न्यायालय की शरण मे है ।