नशा नाश की जड इसकी लत से मुक्त हो समाज-रीनू यादव

नशा की लत से समाज में होते हैं अपराध, खासकर युवा पीढ़ी हो रही बर्बाद
जीटी-7, डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क कानपुर मंडलब्यूरो रिपोर्ट, रामप्रकाश शर्मा।
22 फरवरी 2024
#औरैया।
जनपद के हीरानगर कंचौसी निवासी एचडीएफसी बैंक की वित्तीय सलाहकार रीनू यादव ने नशा से होने वाले दुष्परिणाम के विषय में समाज को जागरूक करने के लिए अपील करते हुए कहा है कि समाज आज नशा की ओर तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण समाज में जहां एक और अपराध बढ़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर मार्ग दुर्घटनाओं में इजाफा हो रहा है। आज अपने देश में अधिकतर लोग नशे की चपेट में आ चुके हैं। पहले नशा ज्यादातर हमारे समाज के पुरुष वर्ग में देखने को मिलता था। लेकिन अब यह हर वर्ग-स्त्री, पुरुष, बच्चे, युवा, बूढ़ों सभी में देखा जा सकता है। युवा पीढ़ी खास तौर पर नशा के प्रति आकर्षित हो रही हैं। लेकिन यही आदत बाद में लत बन जाती है और बहुत ही गंभीर बीमारियां दे देती है। एक बार मनुष्य अगर इन लतों का शिकार हो जाता है तो उन्हें इनसे छुटकारा पाने में बहुत मुश्किल हो जाती है। नशा इंसान को अंदर से खोखला कर देता है, वह शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह से कमजोर हो जाता है। नशे में इंसान अपनी सोचने समझने की शक्ति को खो देता है। हम सब ने कई बाहर सुना होगा कि किसी व्यक्ति ने जब जुर्म किया तब वह नशे में था। नशा करने वाला व्यक्ति आर्थिक रूप से भी कमजोर हो जाता है। नशा मुक्ति के लिए राज्य सरकार भी पूरी कोशिश कर रही है, पर यह जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं अपितु हम सब की है।
औरैया जिले के गांव हीरानगर निवासी एचडीएफसी बैंक की वित्तीय सलाहकार रीनू यादव ने बताया कि उन्होंने स्वयं एक गाँव के बाहर रास्ते में देखा कि एक महिला अपने छोटे से बच्चे को गोद में लिए जा रही थी और बीड़ी पी रही थी जबकि दूसरी महिला गुटखा स्वयं खाने को लिए थी। पूछने पर बताया कि उसके पेट में गैस बनती थी इसलिए वह बीड़ी पीती थी। पर अब आदत पड़ गई है वह क्या करे आदत छूटती ही नहीं है, जब गुटखा खाने वाली महिला से पूछा तो उसने बताया कि मैंने छोटी उम्र में एक बार दादा की जेब से तंबाकू निकाल कर खा ली थी तब से वह गुटखा खाने लगी और लत लग गई। पर अब इसे छोड़ना मुश्किल है। श्रीमती रीनू ने आगे कहा कि उनका ऐसा मानना है कि आज जिन घरों में नशा के नाम पर अपने बच्चों के समक्ष बड़ी शान से बड़े बुजुर्ग बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू आदि कुछ भी सेवन कर रहे हैं और अपने बच्चों को नशा मुक्ति का उपदेश दे रहे हैं। भविष्य में उन परिवारों में शिक्षा और अर्थ (धन) के अभाव में अंधकार के अलावा कुछ ना होगा। नशा मुक्त व्यक्ति शिक्षा के प्रति गंभीरता और लगन को बढ़ावा देता है। नशे के बिना विद्यार्थियों का मन अध्ययन में लगता है और उनके रोजगार के अवसरों में सुधार होता है। नशा मुक्त व्यक्ति अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति भी अधिक सजग रहता है। नशा मुक्त व्यक्ति अपनी योग्यता और क्षमता अनुसार काम पा सकता है और उचित कैरियर बना सकता है। नशा मुक्ति के लिए शासन और प्रशासन के अलावा हम सभी समाज के जागरूक लोगों को नशा मुक्ति के लिए जनहित में समाज को जागरुक करते हुए प्रेरणा देने की मह़ती आवश्यकता है। अंत में कहा कि नशा छोड़ने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति होनी चाहिए।





