कंचौसी का नव गठित हिस्सा न्यू कंचौसी केवल नाम का ही है औधोगिक क्षेत्र।

4 साल पहले 5 राजस्व गांव को मिलाकर शासन ने घोषित किया था औधोगिक क्षेत्र तब से भूमि हो गई महगी जमीन की खरीद फरोख्त पर लग रहा अधिक स्टाम्प।
ग्लोबल टाईम्स 7 डिजिटल न्यूज नेटवर्क टीम कंचौसी कानपुर देहात उप्र विशेष संवाददाता सुरेश यादव।
आजादी के लंबे अंतराल के बाद भी कानपुर देहात औरेया जनपदो की सीमा पर बसा कंचौसी प्रदेश व देश की विकास रफ्तार से अभी कोसो दूर है, जहां जनता की मूल भूत साधनो के लाले है आज जब कंचौसी का कानपुर देहात हिस्सा नगर पंचायत बन गया है जिस का बडा भाग पहले से न्यू कंचौसी रेलवे स्टेशन जो बान परजनी गांव के मध्य नया बना डीएफसी का स्टेशन है उसी नाम से राज्य सरकार द्वारा औधोगिक क्षेत्र नगर पंचायत बनने से पहले सरकरी अभिलेखो मे बना दिया गया था । लेकिन आज भी यह क्षेत्र गांव है। और यहां के वाशिंदे ग्रामीण परिवेश मे मेहनत मजदूरी कर गुजर बसर कर रहे है ।आज तक यहां कोई उधोग धंधे की शुरुआत तक नही हुई है । इसके लिए यहां की जनता दोषी नही है , दोष केवल सरकारी तंत्र व जनता द्वारा चुने गए विधायक ,सासंद ,व अन्य जन प्रतिनिधियो का है जो इलाके के इस पिछडेपन को दूर करने मे या तो ध्यान नही दे रहे है या उदासीन है ।
कंचौसी बान बाजार रानेपुर रसूलाबाद जिस्टामऊ , सड़रामऊ, पुरवा हुलासी ,धौकलपुरवा ,आदि गांव उसकी लगभग 5 हजार एकड भूमि इस औधोगिक गलियारे मे विकसित होना है। दिल्ली हावड़ा डी एफ सी रेल ट्रेक के दोनो तरफ यह उधोग फैलेंगे जहां सरकारी और निजी छोटे बडे कई उधोग लगाने की योजना है जिस पर चार सौ करोड रूपये से अधिक खर्च होगा ।लेकिन कब इसका अभी कोई निश्चित समय नही।जब कि भूमि की मालियत अधिक होने से बिक्री खरीद पर स्टांप ड्यूटी औधोगिक क्षेत्र की सरकार द्वारा बसूली जा रही है। जो कम आय के लोगो के लिए मुसीबत है। जो भूमि प्लाट मकान खरीदने से पहले लिखा पढी कराने के लिए बीस बार सोचते है,अभी केवल औधोगिक क्षेत्र लोगो के कहने के लिए है ।