बाछिंल माता की 12 वर्ष तपस्या से जाहरवीर गोगा जी का हुआ प्रादुर्भाव

गोरक्षटीला में प्रतिवर्ष मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं देश के करोड़ों भक्त
जीटी-70017 राम प्रकाश शर्मा ब्यूरोचीफ औरैया।*
*15 अप्रैल 2023
#बिधूना,औरैया।
गुरु गोरखनाथ जी की गद्दी नौलखा बाग गोरक्ष टीला ददरेवा बांगड धाम राजस्थान के मठाधीश बालयोगी महंत श्रीकृष्णनाथ जी महाराज ने शनिवार को बिधूना कस्बे के लोहा मंडी में सजे दरबार में प्रवचन करते हुए बताया है कि बांछिल माता ने 12 वर्ष तक पुत्र प्राप्ति के लिए घोर तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर वहां गुरु गोरखनाथ नेपाल से भ्रमण करते ददरेवा धाम आए थे और पहल इस पावन भूमि का नाम ददरेडा था जहां पर उन्होंने धूनी लगाई और उसी स्थान का नाम आज नौलखा बाग गोरक्षटीला तपोभूमि के नाम से जाना जाता है।
गोरखनाथ ने बांछिल माता को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया जिससे उन्होंने गोगा जी जाहरवीर महाराज को जन्म दिया था। उन्होंने कहा कि जाहरवीर गोगा जी महाराज कलिकाल के साक्षात देवता है और इस धाम की रज का भी विशेष महत्व है। इस रज के लगाने से बिषधर के दंश जैसे दुष्प्रभाव भी दूर हो जाते है। मठाधीश श्रीकृष्ण नाथ जी महाराज ने कहा कि गुरु गोरखनाथ जी महाराज ने ददरेवा में गोरख गंगा का भी प्रादुर्भाव किया और उसी गोरख गंगा के जल से खीर बनाकर श्रद्धालु मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना कर लाभ प्राप्त करते हैं। मठाधीश महाराज ने बताया है कि गुरु गोरखनाथ जाहरवीर गोगा जी महाराज धाम में भारत देश के सभी प्रांतों से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती हैं लेकिन भाद्रपद माह में 1 माह तक दो चरणों में लगने वाले मेले में देश के करोड़ों श्रद्धालुओं की दर्शन पूजन के लिए अपार भीड़ जमा होती है। प्रथम चरण में उत्तर प्रदेश के श्रद्धालु यहां आते हैं वही दूसरे चरण चरण में पंजाब हिमाचल प्रदेश गुजरात हरियाणा महाराष्ट्र दिल्ली उत्तराखंड मध्य प्रदेश बिहार जम्मू कश्मीर पश्चिम बंगाल आदि देश के सभी प्रांतों से बड़े पैमाने पर श्रद्धालुओं की भीड़ यहां उमड़ती है। उन्होंने कहा कि जाहरवीर गोगा जी महाराज इस कलिकाल में भक्तों का कल्याण कर रहे हैं और इसी का परिणाम है कि गुरु गोरखनाथ जाहरवीर गोगा जी महाराज धाम गोरक्षटीला में श्रद्धालुओं के मेले उमड़ रहे हैं। इस अवसर पर सुशील भगत राजपुरोहित विजय सिंह अरविंद सैनी सेवादार प्रमोद गुप्ता कृष्णा देवी आचार्य राकेश कुमार शिवांशु गुप्ता अनमोल गुप्ता उज्जवल गुप्ता आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे।