बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधने का प्रयास करे,अजब गजब कहानी

पंचायतीराज
:- आईएएस बीडी
ओ की जांच रिपोर्ट सही,याफिर शासनादेश का पालन करने वाला पंचायत सचिव सही,फंसा पेंच
:- प्रकरण-दोपहिया वाहन स्वामियों व मक्के मकान धारकों को पंचायत सचिव ने आवास पात्रता सूची से कर दिया था बाहर !
:-तत्कालीन आईएएस बीडीओ की जांच रिपोर्ट पर सीडीओ ने सचिव पर की थी निलंबन की कार्रवाई!
यदि शासनादेश के मुताबिक पंचायत सचिव ने जांच कर कार्य किया तो वह अपनी जगह सही – बीडीओ प्रभार डी सी मनरेगा
ALOK MISHRA
Global Times7 News Network
Lucknow, Uttar Pradesh
कभी कभी कुछ कहावतों की पंक्तियां भी अपने आपको सही चरितार्थ करती हुई प्रतीत होती हुए दिखाई पड़ती है, आखिरकार बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे, यह पंक्ति जनपद के विकास खंड शिवराजपुर में से सटीक बैठती नजर आ रही है,जहां एक प्रकरण पर आईएएस बीडीओ की जांच रिपोर्ट के आधार पर आनन फानन में सीडीओ द्वारा पंचायत सचिव पर निलंबन की कार्रवाई कर सवाल खड़े कर दिए,
विदित हो कि विकास खंड क्षेत्र के भौसाना गांव में तैनात पंचायत सचिव प्रशांत बाजपेई के द्वारा शासनादेश व ज़िले अधिकारियों के निर्देश पत्रों का पालन करते हुए गांव सर्वे के दौरान कुछ अपात्र यथा दोपहिया वाहन स्वामियों,पक्के मकान धारकों व धनाढ्य वर्ग लोगों को लाभार्थियों के साक्ष्यों के आधार पर उन्हें पात्रता सूची से पृथक कर दिया था,और जांच आख्या रिपोर्ट अपने जिले व के अधिकारियों को प्रेषित कर दिया था। आवास पात्रता सूची से बाहर होने की सूचना पर लाभार्थियों ने इसकी शिकायत ब्लाक व जिले के अधिकारियों से कर दी, ग्रामीणों की शिकायतों को मद्देनजर रखते हुए सीडीओ सुधीर कुमार ने तत्कालीन आईएएस बीडीओ हिमांशु गुप्ता को जांच कर रिपोर्ट प्रेषित करने का निर्देश जारी कर दिए,जिस पर आईएएस बीडीओ हिमांशु गुप्ता की जांच में भौसाना पंचायत सचिव को अनियमितता पूर्ण इसे आवास योजना से लाभार्थियों को आवास सूची से नाम पृथक किये जाने पर दोषी पाया गया। और आईएएस बीडीओ हिमांशु गुप्ता ने अपनी जांच रिपोर्ट सीडीओ को प्रेषित कर दी । आईएएस बीडीओ की जांच आख्या रिपोर्ट के आधार पर सीडीओ ने विना स्पष्टीकरण मांगे ही सीधे तौर पर निलंबन की कार्रवाई सुनिश्चित कर दी ।
नहीं मांगा गया कोई स्पष्टीकरण जवाब, हुई सीधे निलंबन की कार्रवाई पंचायत सचिव का आरोप
विकास खंड शिवराजपुर के पंचायत सचिव ने उच्च अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि मेरे द्वारा जो भी आवास योजना सूची में लाभार्थियों के नाम प्रथक किये जाने की प्रक्रिया अपनाई गई है वह पूर्णतया शासनादेश व ज़िले के अधिकारियों के द्वारा ही जारी किये निर्देश के मुताबिक ही है, अफसोस यह है कि हमारे द्वारा गांव सर्वे के दौरान आवास योजना से सम्बंधित पात्र व अपात्र लाभार्थियों की जांच आख्या रिपोर्ट थी वह भी ब्लाक व जिले के उच्च अधिकारियों को भेजी जा चुकी थी। मेरे ऊपर निलम्बन प्रक्रिया अपनाने के पहले विना स्पष्टीकरण मांगे बगैर ही जहां सीधे तौर पर मुझे सस्पेंशन पत्र ही जारी कर दिया गया।
यदि शासनादेश के मुताबिक कार्य किया गया तो सही है – बीडीओ प्रभार डीसी मनरेगा
पूरे प्रकरण को लेकर बीडीओ प्रभार डीसी मनरेगा रमेश चंद्र से वार्ता कर जानकारी एकत्रित की गई तो उन्होंने बताया कि फिलहाल मामला मेरे संज्ञान में नहीं है, यदि पंचायत सचिव ने शासनादेश में जारी मानकों के मुताबिक कार्य किया है, तो वह अपनी जगह सही है यदि कोई अन्य विषय है तो मैं नहीं बता सकता हूं। पंचायत सचिव अपनी बात उच्च अधिकारियों के सम्मुख रखें, यदि मेरे पास मामला आयेगा तो जरूर दिखवाया जाएगा।
कानपुर पीडी डीआरडीए का कहना है कि हमें इस विषय पर कोई जानकारी नहीं है,जो भी अपात्र लाभार्थी योजना का लाभ प्राप्त करने का प्रयास करता है उससे धनराशि की रिकवरी कराये जाने का भी प्रावधान चल रहा है । पंचायत सचिव से सम्बंधित ऐसा प्रकरण मेरे जानकारी में नहीं है जांच रिपोर्ट प्राप्त होती है तभी हम अपने वक्तव्य पेश कर सकते हूं।इधर, सीडीओ सुधीर कुमार का सीयूजी सम्पर्क सूत्र नं स्विच ऑफ जाता रहा जिसके कारण कोई वार्ता नहीं हो सकी ।
प्रकरण में पुनः जांच कमेटी गठित कैसे हो,कैसे सिद्ध हो आखिर दोषी कौन ?
यदि बात की जाए तो विकास खंड के इस पूरे प्रकरण को लेकर तो ब्लाक स्तरीय अधिकारी व कर्मचारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है, दबी हुई ज़ुबां से सभी इतना जरूर कहते हैं कि भैय्या मामला बहुत टेढ़ा व पेचीदा फंसा हुआ है,
क्योंकि एक आईएएस अधिकारी ने जांच कर रिपोर्ट जिले अधिकारियों को सौंपी है। जिसके आधार पर पंचायत सचिव पर सस्पेंशन जैसी कार्रवाई हुई है, इस मामले में पुनः जांच कमेटी कैसे गठित हो सकती है, क्योंकि एक आईएएस अधिकारी व शासनादेश व ज़िले के अधिकारियों द्वारा जारी किए आदेश पत्र के मुताबिक कार्य करने वाले पंचायत सचिव के बीच मामला पूर्णतया फंसा हुआ है, देखो शायद आगे क्या होता है ।
क्या आईएएस बीडीओ द्वारा आवास सम्वंधित शासनादेश पर कोई ध्यान नहीं दिया गया
अब पूरे प्रकरण में लेकर एक सवाल यह उठता है कि जब आईएएस बीडीओ ने ग्राम सभा के आवास सूची के मुताबिक लाभार्थियों के वास्तविकता की जांच की उसके पहले शासनादेश व अपने ही ज़िले के अधिकारियों द्वारा जारी किए गए निर्देशों की तरफ ध्यान नहीं देना उचित समझा, जिसके कारण आज यह एक पूरा मामला फंसा हुआ है, और दूसरी अन्य ग्राम पंचायतों के दोपहिया वाहन स्वामी व पक्के मकान धारक ग्रामीणों द्वारा भी अब पंचायत कर्मियों व ब्लाक स्तरीय अधिकारियों से आवास दिलाने की मांग कर रहे हैं,
नहीं चेते जिले अधिकारी व शासन, विकास खंड खड़ा हो सकता है एक अजीब सा मोड़ पर
यदि विकास खंड का पंचायत सचिव निलंबन का मामला शासन व जिले जिम्मेदार अफसरों द्वारा अतिशीघ्र संज्ञान में नहीं लिया जा सका तो बेहद गम्भीर विषय बन सकता है,अब यह देखना होगा कि क्या कानपुर डीएम, सीडीओ व शासन इस विषय को गम्भीरता पूर्वक संज्ञान में लेते हुए कोई ठोस फैसला लेने का प्रयास करेगा या फिर प्रकरण ठंडे बस्ते में डाल कर , विकास खंड शिवराजपुर को एक भयावह मोड़ पर खड़ा कर मामला तूल पकड़ने की कगार पहुंचा देंगे,