उत्तर प्रदेशलखनऊ

खनन माफिया सक्रिय, एनजीटी के नियमों को ताक पर रखकर हो रहा मौरंग का अवैध खनन !


प्रशासन अवैध मौरंग खनन पर अंकुश लगाने में नाकाम

Ashish singh
District correspondent
Global times 7news network, fatehpur

फतेहपुर जिले में खनन माफिया बेखौफ होकर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के नियमों को ताक पर रखकर यमुना नदी का सीना चीरकर बीच धारा से मौरंग का अवैध खनन कर रहे है। नदी से मौरंग निकालने के लिए प्रतिबंधित भारी भरकम पोकलैंड मशीनों का प्रयोग कर रहे हैं। नदी का सीना चीरकर लगातार दोहन कर रहे हैं। बतादें कि, असोथर थाना क्षेत्र स्थित मौरंग खदान रामनगर कौहन में खनन माफिया दिन-रात यमुना नदी की जलधारा में खनन कर रहे है। वहीं ललौली थाना क्षेत्र के ओती, में भी नदी की जल धारा में पानी को रोककर खनन हो रहा है। किशनपुर थाना क्षेत्र स्थित गाजीपुर में खनन माफिया यमुना नदी से जोरों पर अवैध खनन कर करोड़ो रुपये के व्यारे न्यारे कर रहे है। प्रशासन की लाख कार्रवाई के बाद भी खनन माफियाओं के हौसले कम होने का नाम नहीं ले रहे है।

असोथर थाना क्षेत्र के रामनगर कौहन में संचालित मौरंग खदान में भारी मात्रा में प्रतिबंधित मशीनों का प्रयोग कर नदी की बीच धारा में कई फुट नीचे से अवैध खनन बदस्तूर जारी है। एनजीटी के नियमों को माफियाओं द्वारा लगातार चुनौती दी जा रही है। यमुना नदी में संचालित इन खदानों में जल धारा को रोककर अवैध खनन किया जा रहा है। यहां से रत-दिन बेखौफ मौरंग माफिया सैकड़ो ओवरलोड ट्रकों को निकालते हैं। जिससे करोड़ों के मिलने वाले राजस्व की क्षति के साथ सड़को का भी सत्या नाश हो रहा है।

एनजीटी के नियमों को ताक में रखकर होता है खनन

एनजीटी के अनुसार, किसी भी मौरंग खदान में नदी के बीच में खनन नहीं किया जाएगा, सिर्फ नदी के किनारे स्थित मौरंग को ही उठाया जाएगा, पोकलैंड जैसी भारी मशीनों का प्रयोग खनन कार्य में नहीं किया जाएगा। खनन के दौरान यह ध्यान रखा जाएगा कि खनन से जलीय-जीवों और पर्यावरण को कोई नुकसान न हो। साथ ही साथ तीन मीटर से अधिक गहराई से मौरंग की निकासी नहीं की जाएगी। लेकिन आलम यह है कि मौरंग माफिया लगातार इन नियमों को चुनौती देकर अवैध खनन में मस्त हैं।

खनन से नदी का बदल रहा है स्वरूप

दोआबा क्षेत्र में अवैध खनन आम लोगों के जीवन में परेशानी का सबब बन रहा है। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि यहां के जल स्तर को और नीचे पहुंचाया जा रहा है। खनन से नदियों का वाटर लेवल कम होने से अधिकांश गांवों और कस्बो में पीने के पानी की किल्लत का सामना भी करना पड़ रहा है। साथ ही साथ नदियों में स्थित जलीय जीव-जंतु और औषधीय वनस्पतियां भी नष्ट हो रही हैं। बावजूद इसके जिले में अभी भी खनन माफिया प्रशासन की आंखों में धूल झोककर यमुना नदी का अस्तित्व बिगाड़ने में लगे हैं। शिकायतों के बाद भी जिला प्रशासन अवैध खनन मौरंग खनन माफियाओं पर अंकुश लगने में नाकाम साबित हो रहा है।

Global Times 7

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