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सच समाज को भाता नहीं, इसलिए अदम बार बार धरती पर आता नहीं!


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समाजवाद की सतह पर टीस मारती अदम जी की कविता!
आज ही के दिन गोण्डा धरती पर जन्मे समाजवादी कवि अदम जयंती पर कुछ यादें!


अदम गोंडवी की रचनाओं की भाषा जनता के बीच की है ,, सहज है, वह जनता के बीच में जनता की बात रखते थे वह खड़ी बोली के लोक कवि थे,, एक नजर अदम पर गोण्डा जिले के एक छोटे से गांव आटा पूरे गजराज 22 अक्टूबर 1947 को एक साधारण किसान परिवार में रामनाथ सिंह (अदम) का जन्म हुआ पारिवारिक पृष्ठभूमि कमजोर होने के कारण केवल प्राइमरी तक की शिक्षा पाने के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी बचपन से ही कविता पाठ की और उनका झुकाव था वह आस-पास के मुशायरा व कवियों सम्मेलनों में जाने लगे उन्होंने तीन रचनाएं लिखी वर्ष 2021 में 18 दिसंबर को उनका निधन हो गया।

उन्हें 1998 में दुष्यंत पुरस्कार नोएडा से नागरिक सम्मान माटी रत्न पुरस्कार मिला 19 नवंबर को अदम गोंडवी पदम विभूषण पुरस्कार देने की तत्कालीन डीएम राम बहादुर की संस्तुति फाइलों में दबी हुई है!


रामनाथ सिंह अदम गोंडवी यह ना यह वह नाम है ,जो दुष्यंत कुमार नागार्जुन धूमिल की परंपरा कवियों में शुमार है, उनकी रचना में आम आदमी खासकर दलित शोषित वंचित उत्पीड़ित व्यक्तियों की व्यथा है, और वो उनकी आवाज बने उन्होंने आजादी के 30 साल बाद देश के शासकों को से यह सवाल पूछा की ,सौ में सत्तर आदमी फिलहाल नाशाद है ,दिल पर रख के हाथ कहिए देश क्या आजाद है !


वह जनता का आवाहन करते थे ,, उस पर फिर लिखा छेड़िए एक जंग मिलजुल के गरीबी के खिलाफ ,, दोस्त और मजहबी नगमात को मत छेड़िए ! आगे अदम गोंडवी लिखते हैं ! जब सियासत हो गई है पूंजी पतियों की रखैल आम जनता को बगावत का खुला अधिकार है!


उन्होंने जन समस्याओं को जमीन से उठा कर मंच तक पहुचाया ,, आदम की शायरी का राजनीति से गहरा वास्ता है,, वह राजनीति और राजनेताओं को आईना दिखाते हुए कहते हैं !कि, काजू भुने पलेट में विस्की गिलास में उतरा है रामराज विधायक निवास में !


आदम की तीन रचनाएं गर्म रोटी की महक समय से मुठभेड़ धरती की सतह पर इन सभी की वैचारिक भूमि एक ही है !

अदम उन कवियों में से थे जो शायरी भी जो एक मकसद की तरह लेते थे जो समाज में हो रहे वह उन्हें अपनी रचनाओं के माध्यम से उठाते थे !

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