धनुष भंग के बाद क्रोधित हुए परशुराम!

*धनुष भंग देखने को उमड़ी भारी भीड़*
*जीटी-7, डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क टीम औरैया, कानपुर मंडलब्यूरो रिपोर्ट, राम प्रकाश शर्मा। 23 अक्टूबर 2024* *#सहार,औरैया।* सैकडों वर्ष पुरानी पड़ी हुई प्रथा सहार में अनवरत चल रही है बुजुर्गों द्वारा डाली गई परम्परा आज भी जिंदा है हर वर्ष की भाँति गत वर्ष भी ग्यारह दिवसीय रामलीला का मंचन सहार में चल रहा है जिसमें बीती रात्रि धनुष भंग की लीला का आयोजन हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ बिधूना विधायक रेखा वर्मा द्वारा मार्यादा पुरषोत्तम भगवान श्री राम की आरती पूजन कटके किया गया। जब प्रभु श्रीराम भगवान शिव का धनुष तोड़ देते हैं धनुष का टूटना सुनकर भृगुकुल रूपी कमल के सूर्य परशुरामजी आए। परशुरामजी का भयानक वेष देखकर सब राजा भय से व्याकुल हो उठ खड़े हुए और पिता सहित अपना नाम कह-कहकर सब दंडवत प्रणाम करने लगे।
जिस कारण सब राजा आए थे, राजा जनक ने वे सब समाचार कह सुनाए। जनक के वचन सुनकर परशुरामजी ने फिरकर दूसरी ओर देखा तो धनुष के टुकड़े पृथ्वी पर पड़े हुए दिखाई दिए। अत्यन्त क्रोध में भरकर वे कठोर वचन बोले-रे मूर्ख जनक बता धनुष किसने तोड़ा उसे शीघ्र मुझे बताओ नहीं तो अरे मूढ़ आज मैं जहाँ तक तेरा राज्य है वहाँ तक की पृथ्वी उलट दूंगा ।लक्ष्मणजी ने हँसकर कहा-हे देव सुनिए हमारी जानकारी में तो सभी धनुष एक से ही हैं। पुराने धनुष के तोड़ने में क्या हानि-लाभ श्री रामचन्द्रजी ने तो इसे सिर्फ छुआ था और ये तो छूते ही टूट गया इसमें रघुनाथजी का भी कोई दोष नहीं है। मुनिवर आप बिना ही कारण किसलिए क्रोध करते हैं परशुरामजी अपने फरसे की ओर देखकर बोले- अरे दुष्ट तूने मेरा स्वभाव नहीं सुना। मैं तुझे बालक जानकर नहीं मारता हूँ। अरे मूर्ख क्या तू मुझे निरा मुनि ही जानता है। मैं बालब्रह्मचारी और अत्यन्त क्रोधी हूँ। क्षत्रियकुल का शत्रु तो विश्वभर में विख्यात हूँ।
लक्ष्मणजी हँसकर कोमल वाणी से बोले- अहो, मुनीश्वर तो अपने को बड़ा भारी योद्धा समझते हैं। बार-बार मुझे कुल्हाड़ी दिखाते हैं। फूँक से पहाड़ उड़ाना चाहते हैं। यहाँ कोई कुम्हड़े की बतिया (छोटा कच्चा फल) नहीं है, जो तर्जनी अँगुली को देखते ही मर जाती हैं। कुठार और धनुष-बाण देखकर ही मैंने कुछ अभिमान सहित कहा था। भृगुवंशी समझकर और यज्ञोपवीत देखकर तो जो कुछ आप कहते हैं उसे मैं क्रोध को रोककर सह लेता हूँ। देवता, ब्राह्मण, भगवान के भक्त और गो- इन पर हमारे कुल में वीरता नहीं दिखाई जाती। क्योंकि इन्हें मारने से पाप लगता है और इनसे हार जाने पर अपकीर्ति होती है, इसलिए आप मारें तो भी आपके पैर ही पड़ना चाहिए। आपका एक-एक वचन ही करोड़ों वज्रों के समान है। धनुष-बाण और कुठार तो आप व्यर्थ ही धारण करते हैं। जिसमें राम की भूमिका में गोलू द्विवेदी फतेहपुर, लक्ष्मण की भूमिका में आदर्श पांडे हमीरपुर, परशुराम की भूमिका में राम जी शुक्ला बिल्हौर ने अपने-अपने संवाद से आई हुई जनता को मनमुक्त किया इस मौके पर रमेश अवस्थी, संजय शुक्ला, महेंद्र दोहरे, छोटे गुप्ता, मोहित अग्निहोत्री, रानू पांडे, विमलेश शर्मा, धनंजय द्विवेदी, आलोक पांडे, केके यादव, हिमांशु शर्मा, नीरज शर्मा सहित कमेटी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद रहें।