नालंदा विश्वविद्यालय का जीर्णोद्धार,,देश विदेश के विद्यार्थी प्राप्त कर सकेंगे उच्च शिक्षा!
PM मोदी में दिखी उत्सुकता जनिए कैसे हुआ जीर्णोद्धार!
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Nalanda University
Nalanda University Inauguration: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार के नालंदा जिले के राजगीर स्थित अंतर्राष्ट्रीय नालंदा यूनिवर्सिटी के नए परिसर का उद्घाटन किया। नालंदा पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने सबसे पहले प्राचीन नालंदा यूनिवर्सिटी का भग्नावशेष देखा और उसके इतिहास की पूरी जानकारी ली।
नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास, शिक्षा के प्रति भारतीय दृष्टिकोण और इसकी समृद्धि को दर्शाता है। इसका महत्व न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए अनमोल धरोहर के रूप में है।
नालंदा: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को बिहार के राजगीर में नालंदा यूनिवर्सिटी के नए परिसर का उद्घाटन किया। विश्वविद्यालय का नया परिसर विश्व धरोहर स्थल प्राचीन नालंदा महाविहार स्थल के करीब है। विश्वविद्यालय के नये परिसर का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को भी संबोधित करेंगे। इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल राजेंद्र वी आर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री विदेश मंत्री एस जयशंकर और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे। नालंदा यूनिवर्सिटी के उद्घाटन समारोह एक महिला पीएम मोदी के साथ परछाई की तरह दिखी। सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा हो रही है कि आखिर वह महिला कौन है। आइए जानते हैं कौन है यह महिला जो पीएम मोदी को नालंदा यूनिवर्सिटी के बारे में एक-एक बात बताती दिखीं।
नालंदा पहुंचते ही पीएम मोदी ने नालंदा यूनिवर्सिटी के पुराने खंडहर का मुआयना करने की इच्छा जताई। खंडहर को समझने के लिए पीएम को बेहद एक्सपर्ट गाइड मुहैया कराया गया। इसके लिए पटना सर्किल हेड गौतमी भट्टाचार्य पीएम मोदी की गाइड बनीं। गौतमी भट्टाचार्य ने पीएम नरेंद्र मोदी को नालंदा यूनिवर्सिटी के बारे में एक-एक बात बताई। वह पीएम के साथ खंडहर में उनके साथ-साथ घूमती रहीं।
नालंदा यूनिवर्सिटी के नए परिसर के उद्घाटन से पहले प्रधानमंत्री ने राजगीर में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल नालंदा महाविहार का भ्रमण और अवलोकन किया। नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना पांचवी शताब्दी में हुई थी, जिसने दुनिया भर से छात्रों को आकर्षित किया। विशेषज्ञों के अनुसार 12 वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों की ओर से नष्ट किए जाने से पहले यह प्राचीन विश्वविद्यालय 800 वर्षों तक फलता-फूलता रहा।
नालंदा यूनिवर्सिटी ने 2014 में 14 छात्रों के साथ एक अस्थायी स्थान पर काम करना शुरू किया। विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य 2017 में शुरू हुआ। इस विश्वविद्यालय में भारत के अलावा 17 अन्य देशों ऑस्ट्रेलिया , बांग्लादेश , भूटान , ब्रुनेई , दारुस्सलाम , कंबोडिया , चीन , इंडोनेशिया , लाओस , मॉरीशस , म्यांमा , न्यूजीलैंड , पुर्तगाल , सिंगापुर , दक्षिण कोरिया , श्रीलंका , वियतनाम और थाईलैंड की भागीदारी है। इन देशों ने विश्वविद्यालय के समर्थन में समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।
नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति अभय कुमार सिंह ने कहा कि नए परिसर को मौजूदा प्राचीन संरचना के साथ मिलाने के लिए सावधानीपूर्वक तकनीक अपनाई गई है। निर्माण कार्य के लिए एक तालाब की खुदाई की गई थी। खुदाई से प्राप्त मिट्टी से कच्ची ईंटें तैयार की गई थीं। निर्माण कार्य में पानी के लिए बोरिंग नहीं की गई थी, बल्कि इस उद्देश्य के लिए विशेष रूप से खोदे गए तालाब में वर्षा के पानी को इकट्ठा करके निर्माण कार्य किया गया था।
नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति अरविंद पनगढ़िया ने कहा, ‘इस विश्वविद्यालय में दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी भी बनाई गई है। इसमें तीन लाख से अधिक पुस्तकें और पांडुलिपियां रखी जाएंगी। कई देशों के छात्र पहले से ही यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।’ नालंदा विश्वविद्यालय की आधारशिला 2016 में रखी गई थी। नालंदा विश्वविद्यालय में 1,749 करोड़ रुपये की लागत से 24 बड़ी इमारतें बनाई गई हैं।
नालंदा यूनिवर्सिटी की नई बिल्डिंग में 550 छात्रों का हॉस्टल
परिसर में 40 कक्षाओं वाले दो शैक्षणिक ब्लॉक हैं, जिनकी कुल बैठने की क्षमता लगभग 1900 है। इसमें 300 सीटों की क्षमता वाले दो सभागार हैं। इसमें लगभग 550 छात्रों की क्षमता वाला एक छात्र छात्रावास है। इसमें अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, 2000 व्यक्तियों तक की क्षमता वाला एम्फीथिएटर, फैकल्टी क्लब और खेल परिसर सहित कई अन्य सुविधाएं भी हैं।
यह परिसर एक ‘नेट जीरो’ ग्रीन कैंपस है। यह सौर संयंत्र, घरेलू और पेयजल शोधन संयंत्र, अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग के लिए जल पुनर्चक्रण संयंत्र, 100 एकड़ जल निकाय और कई अन्य पर्यावरण अनुकूल सुविधाओं के साथ आत्मनिर्भर रूप से कार्य करता है।