बीएड टेट 2011 अचयनित वेरोजगार एसोसिएशन की बैठक की गई आहूत

उपस्थित वेरोजगारों के साथ संगठन के संरक्षक राजीव अवस्थी नेटवर्क किया विचार विमर्श
ग्लोबल टाइम्स- 7 न्यूज़ नेटवर्क 0006
राकेश कुमार मिश्र
उपजिला संवाददाता
11 फरवरी 2024
शिवली, विगत लगभग 13 वर्षों से अपने हक को प्राप्त करने के लिए अनवरत संघर्ष कर रहे वेरोजगार नवयुवकों द्वारा आगामी रणनीति को असली जामा पहनाने के उद्देश्य को लेकर संगठन के संरक्षक राजीव अवस्थी की अध्यक्षता में आपात बैठक आहूत की गई जिसमें अनेक महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा की गई | बताते चलें कि शिक्षा अधिकार अधिनियम के लागू होने के उपरांत प्रदेश में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के चयन हेतु अध्यापक पात्रता परीक्षा अनिवार्य होने पर पहली पात्रता परीक्षा वर्ष 2011 में कराई गई थी और कुछ ही दिन बाद तत्कालीन सरकार द्वारा अध्यापक शिक्षा परिषद की गाइडलाइन के विपरीत एक सुनियोजित रणनीति के तहत टेट मेरिट के आधार पर 72825 प्रशिक्षु सहायक अध्यापकों के चयन हेतु एक विज्ञापन 30 नवम्बर 2011 को प्रकाशित किया गया जिसमें बीएड धारकों द्वारा आवेदन किया गया था, चूंकि चयन का आधार टेट मेरिट रखा गया था इसलिए टेट परीक्षा के आए प्रथम परिणाम में पदों के सापेक्ष में कम अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए थे, इधर टेट परीक्षा के कुछ प्रश्न विरोधाभासी होने के कारण मामला न्यायालय में पहुँच गया और फिर शुरू हुआ असली खेल, संशोधन के लिए अनेक चरणों में अनियमितताओं का वह सिलसिला चला जो सम्भवतः देश का पहला और अंतिम भ्रष्टाचार सावित हुआ हजारों अपात्र और अयोग्य ऐसे ही अभ्यर्थियों का चयन किया गया जो टेट 2011 की परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए तथा हजारों ऐसे अभ्यर्थियों को शिक्षक बना दिया गया जो परीक्षा में उत्तीर्ण ही नहीं थे, जिसका दंश आज भी हजारों पात्र अभ्यर्थी झेल रहे हैं और अपनी फरियाद शासन में बैठे जिम्मेदार ऐसे लोगों से कई बार कर चुके हैं जिन्होंने 2017 के चुनाव में सरकार बनते ही चयन करने का पूर्ण आश्वासन दिया था किन्तु अफसोस वह आज दूसरी पारी भी खेल रहे हैं लेकिन इन वेवस, संघर्षरत अभ्यर्थियों की समस्याओं के निराकरण हेतु कुछ भी नहीं सोंच रहे हैं इतना ही नहीं हमारे राष्ट्र का प्रथम स्तंभ न्यायपालिका भी इन मजबूर और असहाय बच्चों के साथ न्याय करने में अपने को असहाय समझ रही है | उच्च न्यायालय इलाहाबाद में वर्ष 2016 से माल प्रैक्टिस से सम्बन्धित याचिका आज भी लम्बित है जिसपर शासन द्वारा बहस नहीं की जा रही आखिर क्यों? क्या यही न्याय की परिभाषा है ? सर्वोच्च न्यायालय में भी उ० प्र० सरकार द्वारा एक सुनियोजित साजिश के तहत झूठा शपथ पत्र देकर याचिका को खारिज करा दिया गया, आखिर न्यायालय को उस शपथ पत्र के विषय में जानकारी तो करना ही चाहिए था, किन्तु एक पक्षीय निर्णय क्या इसी को पारदर्शिता कहा जाता है? कुछ भी हो संघर्षरत संगठन ने राजीव अवस्थी की अध्यक्षता में जुही गौशाला साईं धाम पार्क मे बैठक कर पूर्ण हौसले के साथ पुनः आगे बढ़ने की रणनीति बनाकर न्याय पाने के लिए कमर कस ली है |