उत्तर प्रदेशलखनऊ

कृष्ण रुक्मणी विवाह सुदामा चरित की कथा का वर्णन सुनकर भाव विभोर हुए श्रोता

जीटी-70025, ओम कैलाश राजपूत संवाददाता फफूँद।
26 नवंबर 2023

#फफूँद,औरैया।

श्रीमद् भागवत पुराण कथा में अंतिम दिन आचार्य आशीष शुक्ला ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाया। फफूँद मुरादगंज तिराहा पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य कृष्णानंद ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के साथ हमेशा देवी राधा का नाम आता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं में यह दिखाया भी था। श्रीराधा और वह दो नहीं बल्कि एक ही रूप में है। लेकिन देवी राधा के साथ श्रीकृष्ण का लौकिक विवाह नहीं हो पाया। देवी राधा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय देवी रुक्मणी हुईं। देवी रुक्मणी और श्रीकृष्ण के बीच प्रेम कैसे हुआ इसकी बड़ी अनोखी कहानी है। इसी कहानी से प्रेम की नई परंपरा की शुरुआत भी हुई। देवी रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुक्मिणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्यायप्रिय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थीं।
रुक्मिणी का पूरा बचपन श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की कहानियां सुनते हुए बीता था। जब विवाह की उम्र हुई तो इनके लिए कई रिश्ते आए लेकिन उन्होंने सभी को मना कर दिया। उनके विवाह को लेकर माता-पिता और भाई चिंतित थे। बाद में रुक्मणी का श्री कृष्ण से विवाह हुआ। जन्मदिन कथा प्रसंग सुनाते हुए पूज्य आचार्य कृष्णानंद जी महाराज ने कहा भगवान तो भाव भक्त के भूखे हैं अपने भक्तों की आवाज सुनकर ही तुरंत नंगे बहुत दौड़े चले आते हैं। दोस्ती में जब जब भी किसी का नाम आएगा तो उसमें सुदामा कृष्ण की दोस्ती कुछ सबसे पहले पुकारा जाएगा ।दो मुट्ठी चावल खाकर दो लोको का राज्य सुदामा के नाम कर दिया। एक क्षण में ही अपने प्रिय भक्त मित्र सखा की सारी गरीबी हरली, और मित्र को मालामाल कर दिया। ऐसे ही परम मित्रता को बार-बार प्रणाम किया जाता है भक्तों यह किसी से मित्रता करनी है। तो प्रभु जैसी निस्वार्थ मित्रता करें स्वार्थ में रहकर लोग सब कुछ गवा देते हैं कथा प्रसंग आगे सुनाते हुए कहां भगवान ने गोपियों के साथ भी लीला का वर्णन किया है महाभारत के युद्ध के दौरान जब अर्जुन को बहरा गूंगा तो भगवान श्री कृष्ण गीता का उपदेश देकर जनमानस को ही संदेश और मानव की समस्याओं का हल बता दिया ।जिससे प्रभु सभी भक्तों का ध्यान रखते हैं ।आप अगर सच्चे मन से प्रभु की भक्ति करेंगे तो प्रभु का आपका अवश्य ध्यान रखेंगे। एक बार सच्चे मन से प्रभु को बुला करके तो देखिए प्रभु पल भर में आपकी पीड़ा को हर देते हैं। इस तरह आज राधा कृष्ण की फूलों की होली के बाद श्रीमद् भागवत कथा का अंतिम दिन था। कल दोपहर 2 बजे से विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा जिसमें सभी से भगवान का प्रसाद ग्रहण करने की अपील की गई।

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