संपन्न हुआ अभिव्यक्ति का आरंभ!

ग्लोबल टाईम्स 7 डिजिटल न्यूज नेटवर्क लखनऊ समाचार संपादक डॉ धर्मेन्द्र गुप्ता।
युगधारा फाउंडेशन लखनऊ उत्तरप्रदेश द्वारा सूतगद्दी मंदिर निकट चक्रतीर्थ , नैमिष सीतापुर में षष्ठम स्थापना दिवस के अवसर पर वैचारिक संगोष्ठी, पुस्तकों का विमोचन, कवि गोष्ठी किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग सदस्य डॉ अंजू बाला के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ। कार्यक्रम के प्रारंभ में वैचारिक संगोष्ठी की शुरुआत हुई जिसमें युगधारा फाउंडेशन द्वारा पिछले 5 वर्षों से किए गए कार्यों का विवरण दिया गया और आगामी कार्यक्रम की रूपरेखा का निर्धारण किया गया। वैचारिक संगोष्ठी में हिंदी कविता में राष्ट्रीयता के स्वर पर विवेचना करते हुए चंद्रिका प्रसाद मिश्र ने लेखकों की रचना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वातन्त्र्य का जो बीज १८५७ में मंगल पांडे ने डाला था, उस बीज को पौधा या वृक्ष बनाने में सबसे अधिक महत्वपूर्ण योगदान वीर सावरकर व बंकिमचन्द्र। चटर्जी का है। हिन्दी साहित्य में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने समाज के यथार्थ को स्वीकार कर लोकगीतों व लोककथाओं के माध्यम से उसे अधिक पुष्ट किया। प्रताप नारायण मिश्र जी ने भी महत्वपूर्ण कार्य किया। सोहन लाल द्विवेदी व माखन लाल चतुर्वेदी के उल्लेख के बिना स्वतन्त्रता का इतिहास अधूरा रह जाएगा। माखनलाल चतुर्वेदी की “पुष्प की अभिलाषा” से तो सभी परिचित है, किन्तु “क़ैदी और कोकिला” पर कम चर्चा की जाती है।

“चमक उठी सन सत्तावन मे—-“ का उल्लेख करना आवश्यक समझता हूँ, जिसे सुभद्रा कुमारी चौहान जी ने अपनी लेखनी से अमर बना दिया है तथा महादेवी वर्मा की साहित्यिक गुरु के पद पर भी आसीन है। डॉ श्रीनिवास शुक्ल ने अपने वक्तव्य में कहा कि रचनाकार, अपने सृजन का विषय बस्तु अपने आसपास से खोज कर उसे भाव और शिल्प के ढाचे में रूपायित करता है। मुख्य अतिथि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग सदस्य डॉ अंजू बाला के कर कमलों द्वारा पुस्तकों के विमोचन में उमा शंकर शुक्ल जी द्वारा सद्य काजल काजल हुआ शहर , प्रो विश्वंभर शुक्ल द्वारा सद्य शब्दों की तरनी लहरों पर, डॉ प्रेमलता त्रिपाठी द्वारा सद्य महुआ महके भोरे, शिव मोहन सिंह द्वारा सद्य ताल किनारे आदि पुस्तकें विमोचित हुई । मुख्य अतिथि उद्बोधन में डॉ अंजू बाला द्वारा साहित्य संवर्धन के लिए युगधारा द्वारा निरंतर आयोजित कार्यक्रमों को करने के लिए बधाई प्रेषित की। इस आयोजन पर उपस्थित अतिथि साहित्यकार डॉ श्रीनिवास शुक्ल सरस , प्रो विश्वंभर शुक्ल , डॉ अमिता दुबे, डॉ उमाशंकर शुक्ल शितिकंठ, अरुणेश मिश्र , डॉ प्रेमलता त्रिपाठी, सुशील खरे, विनोद दुबे, राज कुमार यादव, डॉ चंद्रिका प्रसाद मिश्र, संजय दिवेडी, डॉ अनिल जैन , नूतन जैन, झंकार नाथ शुक्ल, रजनीश , राम स्वरूप साहू, रामचंद्र सहस्रबुद्धे, वंदना श्रीवास्तव, विनीत मिश्रा , बबलू गुप्ता, आशुतोष पांडेय, आकाश अवस्थी उपाध्यक्ष युगधारा फाउंडेशन, सौम्या मिश्रा महासचिव युगधारा फाउंडेशन, संरक्षक रामकृष्ण सहस्रबुद्धे, संयोजक आदित्य दिवेदी, प्रणव मिश्रा आदि उपस्थित रहे।