गर्मी और लू से बचकर रहें-मुख्य चिकित्साधिकारी

अधिक से अधिक पानी का करें सेवन तथा बाहर के गरिष्ठ भोजन से करें परहेज
खान- पान से लेकर पीने के स्वच्छ पानी तक का रखे खास ध्यान
जीटी- 70017 राम प्रकाश शर्मा ब्यूरोचीफ औरैया।
20 अप्रैल 2023
#औरैया।
जनपद में दिन का पारा आजकल लगभग 40 डिग्री के करीब रहा। ऐसे में संक्रामक बीमारियां जोर पकड़ रही हैं। इसके साथ ही दिन प्रतिदिन लू भी चल रही है। जनपद में दस्त, उल्टी और डायरिया के मरीज बढ़ रहे हैं। यह कहना है मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ अर्चना श्रीवास्तव का। मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि लू के प्रमुख लक्षणों में तेज बुखार के साथ मुँह का सूखना तथा सिर में तेज दर्द होना, अधिक प्यास लगना, पेशाब कम होना व जलन होना, पसीना नहीं आना व भूख कम लगना, चक्कर आना तथा कभी-कभी बेहोश हो जाने जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तत्काल ही उपचार कराना चाहिए।तेज गर्मी के कारण लू लगने के अलावा मांसपेशियों में दर्द, थकावट व बेहोशी भी हो सकती है।इसमें बुखार नहीं होता है।लू से प्रभावित होने वालों का तत्काल उपचार करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से सुझाव दिए गये हैं।लू से प्रारंभिक उपचार के तहत मरीज को छायादार एवं हवादार स्थान पर रखना चाहिए। मरीज को ठंडे पानी या बर्फ से तब तक गीला करते रहना चाहिए जब तक तापमान कम न हो जाए। मरीज को तापमान नियंत्रण प्रणाली सामान्य होते तक आराम करना चाहिए।
उन्होंने आगे बताया कि अधिक पानी या अन्य उपलब्ध पेय पदार्थ जैसे कच्चे आम का पना, जल-जीरा, मठ्ठा, शर्बत, नीबू पानी आदि पिलाते रहना चाहिए। ओआरएस का घोल या स्वयं बनाया गया जीवन रक्षक घोल (एक ग्लास पानी में एक चम्मच शक्कर व एक चुटकी नमक) देना अधिक उपयोगी होता है। उन्होंने सभी से अपील की है कि इस बदलते मौसम में अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहे और खुद को संक्रामक रोगों से बचाएंIसीएमओ ने लू से बचाव लू से बचाव के लिए बताते हुए कहा कि प्रचार माध्यमों पर हीट वेव/लू की चेतावनी पर ध्यान दें।अधिक से अधिक पानी पिये, यदि प्यास न लगी हो तब भी पानी पीते रहे। हल्के रंग के पसीना शोषित करने वाले वस्त्र पहने। धूप के चश्मे, टोपी, गमछा इत्यादि का प्रयोग करें। खुले में कार्य करने वाले सर, चेहरा, हाथ पैर को गीले कपड़ों से ढके रहे। यात्रा करते समय पीने का पानी साथ रखे।ओआरएस व घर में बने हुए पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी, नींबू पानी, छाछ आदि का उपयोग करें। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होगी। हीट स्ट्रोक, हीट रेश, हीट क्रेम्प के लक्षणो जैसे- कमजोरी, चक्कर आना, सिर दर्द, उल्टी आना, मूर्छित होना आदि को पहचाने एवं तुरंत डॉक्टर से परामर्श ले। जानवरों को छायादार स्थानो पर रखे एवं पीने के लिए पर्याप्त पानी दें। घरो को ठंडा रखे। दिन भर दरवाजे, पर्दे आदि बंद कर के रखे एवं शाम बाद घर को ठंडा एवं ताजी हवा के लिए इन्हे खोल दें। कार्य स्थल पर गर्भस्थ महिला कर्मी एवं रोग ग्रस्त कर्मियों पर अतिरिक्त ध्यान दें। अधिक दस्त, त्वचा सूख रही है तथा पैरों में ऐंठन हो तो नींबू की शिकंजी तथा ओआरएस के घोल का प्रयोग करें। भोजन के पूर्व स्वच्छता का ध्यान रखते हुए हाथ साबुन से अवश्य धोए। हेंडपम्प के पानी का प्रयोग करें, तथा कम जल भराव वाले कुएं/श्रोतों/उथले हेंडपम्प के पानी का प्रयोग न करेंI मस्तिष्क ज्वर की सूचना तत्काल नियंत्रण कक्ष/ निकट के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को दें। संक्रामक रोग के फैलने की सूचना अपने निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर दें। मच्छरों से बचाव के पूरे इंतेजाम करें, रात में सोते समय मच्छरदानी अवश्य लगाएं। संक्रामक रोगों के फैलने की सूचना नियंत्रण कक्ष पर देI अंत में उन्होंने कहा कि ऐसा करने से बीमारियों से बचा जा सकता है।