जागरूक,विचारपरक पत्रकार थे मनोकामना सिंह- डॉ अत्रि भारद्वाज

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बलिया
पत्रकारिता के कुछ तय सिद्धांत है जिनमें विश्वसनीयता, सच्चाई, निष्पक्षता, सजगता, पूर्वाग्रहों से मुक्त होना, जनकल्याण, सामाजिक जिम्मेदारी, पाठकों की भागीदारी, उद्देश्यपूर्ण संप्रेषण, वर्तमान से जुड़ाव, खबरों और आलेखों में जीवंतता तथा उसके संकलन के लिए साहस आदि भी शामिल है। कुल मिलाकर खबरों, आलेखों और फोटोज़ के प्राप्त होने तथा उसमें संपादन का तड़का लगाने के बाद परोसा जाने वाला व्यंजन सुरुचिपूर्ण और जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। पत्रकारिता का काम है सूचना देना, घटना के पीछे छिपे कारणों की तलाश करना, घटना के प्रति पाठकों को जाग्रत करना ।इस सब में निपुण थे मनोकामना सिंह मगर आज वे हमारे बीच शरीर रूप में नहीं हैं।
मनोकामना सिंह उस दौर के पत्रकार थे जब पत्रकारिता को संस्कार के रूप में लिया जाता था।भौकाल नहीं बल्कि सरलता और अध्ययन उसके मूल में था।जयदेश और जनवार्ता के संपादकीय विभाग में उन्होंने अपनी सेवाएं दी। बाहर के अखबारों और पत्रिकाओं से भी वे जुड़े हुए थे।
मनोकामना सिंह का विचार यह रहता था कि आधुनिक दुनिया में जनसंसार के साधन के रूप में प्रेस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।प्रेस अपने पाठकों को उनके समुदाय,देश और दुनिया में बड़े पैमाने पर क्या हो रहा है, इसके बारे में निष्पक्ष सूचना देने का प्रयास करता है।यदि हम इन मानदंडों की कसौटी पर मनोकामना सिंह का ल्ृ मूल्यांकन करे तो शत-प्रतिशत वे खरे उतरते हैं।वे साहसी पत्रकार के रूपमें जाने जाते थे।समय का तकाजा है कि परिस्थितियां बदलतीं है लेकिन भावना प्रधान है। तब मोबाइल, लैपटाप का ज़माना नहीं था और समाचार संकलन श्रमसाध्य कार्य था। फिर भी पत्रकार पत्रकारिता को जीते थे