स्वास्थ्य केंद्रों पर लग रहे कैंप, विश्व ग्लूकोमा सप्ताह शुरू

जिले में 18 मार्च तक मनेगा विश्व ग्लूकोमा सप्ताह
आँखों के प्रति न करें लापरवाही नियमित जांच जरूरी-सीएमओ
ग्लोबल टाइम्स-7, डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क, समाचार संपादक डॉ धर्मेंद्र गुप्ता औरैया उत्तर प्रदेश।
औरैया। आँखों के प्रति किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं करनी चाहिए, ऐसा करना आंखों की परेशानी को और बढ़ा सकता है। इसलिए समय-समय पर इसकी जांच कराने और आंखों की देखभाल के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व ग्लूकोमा सप्ताह मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष 12 मार्च विश्व ग्लूकोमा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी क्रम में जनपद में भी शासन के दिशा- निदेशों के क्रम में मनाया जा रहा है। 13 वां विश्व ग्लूकोमा (काला मोतिया) सप्ताह 12 से 18 मार्च तक मनाया जा रहा है। जिसमें आंखों की जांच की जाएगी और काला मोतिया के बारे में जागरुक किया जाएगा। इस वर्ष ‘ आओ अदृश्य ग्लूकोमा को हराएं ‘ की थीम पर यह सप्ताह मनाया जा रहा है।
रविवार को जनपद के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर जागरूकता शिविर का आयोजन कर ग्लूकोमा सप्ताह का शुभारंभ किया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अर्चना श्रीवास्तव ने कहा कि ग्लूकोमा सप्ताह के तहत जिले के सभी प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जनमानस में आंखों में ग्लूकोमा रोग से संबंधित जागरूकता, चिकित्सकीय परामर्श, शिविर, रैली का आयोजन किया जाएगा। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य ऑप्टिक तंत्रिका परीक्षण सहित नियमित आंखों की जांच के लिए लोगों को प्रोत्साहित करके ग्लूकोमा द्वारा होने वाले अंधेपन को समाप्त करना है।
राष्ट्रीय दृष्टिविहीनता एवं दृष्टि दोष नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ राकेश सिंह ने बताया कि ब्लॉक स्तर पर ग्लूकोमा सप्ताह का आयोजन करने के लिए प्रत्येक ब्लॉक के कार्यक्रम प्रबन्धक, आशा संगिनी व सीएचओ एवं आशा कार्यकर्ता अपने क्षेत्र में सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक कर ग्लूकोमा स्क्रीनिंग (जांच) करने के लिए प्रेरित करेंगे। लोगों को जानकारी दी जाएगी कि इस समस्या के दौरान आंखों में तरल पदार्थ का दबाव बढ़ जाता है। ग्लूकोमा को आम भाषा में काला मोतिया भी कहते हैं। यह रोग ऑप्टिक तंत्रिका (दृष्टि के लिए उत्तरदायी तंत्रिका) में गंभीर एवं निरंतर क्षति करते हुए धीरे-धीरे दृष्टि को समाप्त कर देता है।
ग्लूकोमा होने का कारण
डॉ सिंह ने बताया कि आंख में उच्च आंतरिक दबाव (इन्ट्राओक्यूलर प्रेशर), पारिवारिक इतिहास, कुछ निश्चित चिकित्सीय स्थितियां जैसे कि मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और सिकल सेल एनीमिया, आंख की निश्चित स्थितियां जैसे कि मायोपिआ या दूर तक न देख सकना, कुछ निश्चित प्रकार की नेत्र शल्य चिकित्सा, लंबे समय के लिए दवाएं जैसे कि विशेष रूप से आई ड्राप का उपयोग करना मुख्य कारण हो सकता है। आंखों का नियमित चेकअप जरूरी है। डॉ सिंह ने बताया कि ग्लूकोमा की समस्या होने पर आंखों में तरल पदार्थ का दबाव बढ़ जाता है। शुरुआती अवस्था में न तो इस बीमारी के कोई लक्षण प्रकट होते हैं और न ही कोई संकेत। जांच में देरी से मरीज दृष्टि भी चली जाती है। काला मोतिया की पहचान यदि प्रारंभिक चरणों में कर ली जाए तो दृष्टि को कमजोर पड़ने से रोका जा सकता है। ऐसे में नियमित जांच कराएं और आंखों में होने वाले किसी भी नये बदलाव या लक्षण पर ध्यान देना अति आवश्यक है।