बिना अनुमानित लागत राशि व प्रक्कलन राशि ही छप रही खुलेआम निविदाएं,VDO बोले गलत,ADO बोले सब चलता है!

चौबेपुर महाराजपुर पंचायत सचिव बोले १२ कार्य हैं, लगभग २० से २५ लाख की धनराशि से कराया जाएगा विकास कार्य ।
छोटे ठेकेदारों को नहीं लग रही पंचायतों में हो रहे कामों के टेंडरों की भनक!
Global Times7 News Network Lucknow,
Uttar Pradesh
जे पी मिश्रा
आये दिन सरकारी निविदाओं में भारी अनियमितता देखने मिल रही है,इसके चलते हो रहे लुकाछिपी के खेल में शामिल सरकारी अधिकारी और कर्मचारी की भी संलिप्तता देखने को आये दिन मिल रही है, वहीं सूचना विभाग भी बिल्कुल मौन दिख रहा है, ऐसे टेंडरों को बिना अनुमानित प्रक्कलन राशि के धड़ल्ले से छाप कर कुछ पेपर वाले भी अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। वहीं अधिकारी भी चुप्पी साध कर मनमानी कर कुछ नामी गिरामी ठेकेदारों टेंडर आवंटित कर रहे हैं!
ऐसे ही लगभग प्रदेश व जनपदों के ज्यादा से ज्यादा ब्लाकों में खुलेआम खेला हो रहा है,, और शासन स्तर से जारी होने वाले पैसों को जिम्मेदार लोगों द्वारा सीधे तौर हजम करने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं निविदा तो केवल खानापूर्ति है, बाकी तो खेल सेटिंग वाले अधिकारियों का होता है !
वहीं
ऐसे में छोटे GST वाले ठेकेदार आयकर विभाग का चक्कर लगा कर सिर्फ रिटर्न ही फाइल करते नजर आ रहें हैं। छोटे ठेकेदारों का कहना है,विभाग द्वारा जब तक अनुमानित राशि ही नहीं कन्फ़र्म होगी तो किस बात का टेंडर विभाग द्वारा सब बनावटी खेल हो रहा है, यदि ग्राम पंचायतों में कराये जाने वाले विकास कार्यों में जबतक खर्च धनराशि को नहीं दर्शाया जा सकता है तो फिर यह कैसे पता चलेगा कि कौन सी कार्य योजना में कितना खर्चा ग्राम पंचायत व ठेकेदार को उठाना पड़ रहा है, बात तो वहीं सामने आई कि जितना चाहो उतना लूटो खाओ, है तो पूरी हमारे घर की ही सरकार यहां कोई देखने सुनने वाला नहीं बैठा है।
अब ऐसे में एक तरफ सरकार दावा कर रही है, सबका साथ सबका विकास दूसरे तरफ विभाग द्वारा निविदा के नाम पर मनमानी कार्य विभाग द्वारा किया जा रहा है।
अब देखना यह की ऐसे प्रकरण पर वर्तमान सरकार द्वारा आने वाले समय में क्या प्रतिक्रिया होती है, सब कुछ ऐसे ही चलेगा या इस पर भी सरकार नकेल कसेगी ताकि छोटे लोग भी पनप सकें उनका भी कुछ विकास हो सकेगा, या फिर नामी गिरामी हस्तियों के आगे इनका अस्तित्व खत्म कर दिया जाएगा, और सिर्फ टेंडर निविदाएं प्रकाशित कराने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होकर ग्राम पंचायतो से धनराशि हड़पने का ही सिलसिला जारी रहेगा, यह भी एक बड़ा सवाल आम जनमानस का है और गहनता पूर्वक विचार करते हुए जांच का विषय भी बनता है।