मथुरा सिविल कोर्ट में दाखिल हुआ सूट:वादी ने भगवान की प्रतिमा आगरा के लाल किले में होने का किया दावा

गोपाल चतुर्वेदी
ग्लोबल टाईम्स 7
मथुरा
मथुरा में सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में एक सूट दाखिल किया गया। भगवान केशव देव को वादी बनाते हुए उनके भक्त के रूप में अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह और श्यामानंद पंडित द्वारा दाखिल वाद में दावा किया गया है कि भगवान की बेशकीमती प्रतिमा आगरा लाल किले में स्थित दीवाने खास के पास बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी हैं। इससे भक्तों की भावना आहत हो रही है। सूट में पुरातत्व विभाग के 3 अधिकारी सहित 4 लोगों को प्रतिवादी बनाया गया है।

भगवान का मित्र बनकर दाखिल किया वाद
भगवान केशव देव महाराज की प्रतिमा आगरा लाल किले में दीवाने खास के पास बनी बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दवे होने का दावा करते हुए उनके मित्र के रूप में महेंद्र प्रताप और श्यामानंद ने सिविल जज सीनियर जज की कोर्ट में वाद दाखिल किया है। इस वाद में यूनियन ऑफ इंडिया के केंद्रीय सचिव,आर्किलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के जनरल डायरेक्टर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण आगरा के अधीक्षक और निदेशक मथुरा को प्रतिवादी बनाया गया है।
वाद में यूनियन ऑफ इंडिया के केंद्रीय सचिव,आर्किलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के जनरल डायरेक्टर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण आगरा के अधीक्षक और निदेशक मथुरा को प्रतिवादी बनाया गया है
भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र ने कराया था मंदिर का निर्माण
मथुरा कोर्ट में दाखिल किए गए वाद में दावा किया गया है कि भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने उसी स्थान पर मंदिर बनवाया जहां भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण का विग्रह विराजमान कराया गया। मंदिर बहुत भव्य और आकर्षक था जिसमें हिंदू धर्म से संबंधित कलाकृतियां ,गुंबद, मेहराब मौजूद थे।
सन 1670 में औरंगजेब ने ध्वस्त किया मंदिर
कोर्ट में दाखिल किए गए वाद के अनुसार इस मंदिर को सन 1670 में मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा ध्वस्त कर दिया गया। इसके बाद मंदिर में स्थापित बेशकीमती रत्न जड़ित छोटी बड़ी भगवान की प्रतिमाओं को आगरा ले जाया गया। जहां बेगम साहिबा की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया। वाद में दाखिल किए गए दावा के अनुसार यह विग्रह आज भी आगरा के लाल किले में दीवाने खास के पास बनी बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी हुई हैं।
दाखिल किए गए दावा के अनुसार यह विग्रह आज भी आगरा के लाल किले में दीवाने खास के पास बनी बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी हुई हैं
पुस्तकों में दर्ज है घटना
कोर्ट में दाखिल किए गए वाद में कुछ पुस्तकों का जिक्र किया गया है। दाखिल वाद में लिखा गया है कि इसका जिक्र औरंगजेब के दरबारी साकी मुस्तैक खान ने अपनी पुस्तक मासर ई आलमगिरी में किया गया है जिसका अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद सर दुनाथ सरकार द्वारा किया गया। इसी प्रकार का उल्लेख बी एस भटनागर द्वारा लिखित पुस्तक Emperor Aurangzeb And Destruction Of Temple में भी मिलता है। इसके अलावा कृष्ण दत्त बाजपई द्वारा लिखित पुस्तक ब्रज का इतिहास में भी इसका जिक्र है।
कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 23 जनवरी की डेट दी है
प्रतिवादियों से किया अनुरोध नहीं दिया जवाब
वादी महेंद्र प्रताप और श्यामानंद ने कोर्ट में दाखिल किए गए वाद में लिखा है कि इस मामले में प्रतिवादी अधिकारियों को देव विग्रहों के बारे में बताया गया और उन्हें निकलवा कर मूर्तियों को केशव देव मंदिर में स्थापित करने के लिए कहा लेकिन प्रतिवादियों ने कोई बात नहीं मानी। वादी ने इस मामले में दीवानी न्यायालय की प्रक्रिया संहिता की धारा 80 के अंतर्गत नोटिस भी दिया लेकिन प्रतिवादियों ने नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया। इस मामले में कोर्ट ने 23 जनवरी की डेट सुनवाई के लिए निर्धारित की है।






