उत्तर प्रदेशलखनऊ

ग्राम सचिवालयों से जुड़ी योजनाएं जनपद में साबित हो रही ढाक के तीन पात !

मैथा विकास खंड में जिम्मेदारों की अनदेखी से पंचायत भवन हो रहे बे मकसद साबित!

ग्लोबल टाइम्स
न्यूज़ नेटवर्क
शिव शंकर पाण्डेय

23नवम्बर
योगी सरकार द्वारा जारी निर्देशों के मुताबिक गांवों की समस्याओ को ग्रामीण गांव की ही दहलीज पर निपटारा कर सके, और ब्लाक, तहसील आदि कार्यालयों में अनर्गल दौड़ न लगाएं, जिसके चलते गांव गांव पंचायत भवनों को ग्राम सचिवालयों का दर्जा दिया जा चुका है।


ब्लॉक व तहसील जैसी सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से शासन द्वारा पूर्व से ही गांव गांव पंचायत भवन बनाने के आदेश दिए जा चुके हैं, जिससे ग्रामीणों को ब्लॉक व तहसील के चक्कर न लगाने पड़ें, इसको लेकर पंचायत भवनों में ग्राम पंचायत सहायक की भी तैनाती भी की गई, लेकिन कई ग्राम पंचायतें अभी भी ऐसी हैं जहां पंचायत भवनों में न तो दरवाजे हैं न ही खिड़कियां, यहां तक न ही फर्श व भवनों का दुरस्तीकरण कराकर रंगाई पुताई की गई है ।

जो आज भी अधूरे पड़े हैं जो जिम्मेदारों की अनदेखी से बे मकसद साबित हो रहे हैं,
बताना है कि जहां ग्राम सहायक सचिव दूसरी जगह बैठकर अपने काम कर रहे हैं जिससे ग्रामीणों का उसका सही लाभ नहीं मिल पा रहा है और लोग आज भी ब्लॉक व तहसील के चक्कर लगा रहे हैं।
मालूम हो कि विकासखंड मैथा क्षेत्र के सिंहपुर शिवली, बड़ा गांव, नेवादा देवराय सहित कई गांव में पंचायत भवन आज भी अधूरे पड़े हैं, जहां सिंहपुर शिवली में न तो भवन की पुताई की गई है न ही फर्श पर मिट्टी डालकर पक्का किया गया और ना ही खिड़कियां लगाई गई हैं जो मीडिया टीम द्वारा मौके पर पहुंचकर असिलियत देखी गई। जहां कागजों पर खर्च व धरातलीय नजारे तो और ही गितनी लगाते नजर आते हुए दिखाई पड़े।अब सवाल यह उठता है कि ऐसे में अधिकारी कहा बैठते होंगे, और तो और नवीन चयनित सहायक सचिव अपने-अपने घरों में बैठकर मुफ्त की पगार उठा रहे हैं, जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते लाखों रुपए की लागत से तैयार किए गए पंचायत भवन बे मकसद साबित हो रहे हैं ।जहां ग्रामीणों को अपने कार्यों के लिए ब्लॉक व तहसील में भटकना पड़ रहा है। सरकार द्वारा दी गई महत्वाकांक्षी योजनाओं का जिम्मेदार अधिकारी पलीता लगाते नजर आ रहे हैं। जहां मुख्य विकास अधिकारी सौम्या पांडेय बराबर बैठक कर अधिकारियों को दिशा निर्देश दे रही हैं ।वही उनके जिम्मेदार कुंभकर्णी निद्रा में सोए हुए हैं।
पिछली पंचवर्षीय योजना में प्रारंभ कराए गए पंचायत भवन इस पंचवर्षीय योजना के 2 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। जहां आज भी पंचायत भवन अधूरे के अधूरे ही पड़े हैं आखिर इन पंचायत भवनों को सरकार ने जिस उद्देश्य के लिए बनवाये थे वह धरातल पर धड़ाम होते नजर आ रहे हैं , अब यह देखना होगा कि क्या जनपद के जिम्मेदार अधिकारी ऐसे मामलो में को गम्भीरता पूर्वक संज्ञान में लेते हुए लापरवाह लोगों पर कार्यवाहियां सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे, या फिर योजनाओ के लिए बैठकें व औचक निरीक्षणों में महज़ खाना पूर्ति तक सीमित रखने का प्रयास किया जाएगा ।

Global Times 7

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