गेहूं आलू लहसुन की बुवाई हुई तेज डीएपी की किल्लत से किसान परेशान
1350 रुपए की डीएपी 1700 में व 266 रुपए की यूरिया 350 में रही बिक
ग्लोबल टाइम्स-7, डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क, जिला संवाददाता राम प्रकाश शर्मा टीम औरैया।
बिधूना,औरैया। किसानों को रबी समेत विभिन्न फसलों की बुवाई के लिए इन दिनों बड़े पैमाने पर डीएपी खाद की जरूरत है ऐसे में सहकारी समितियों पर खाद की किल्लत होने से अधिकांश प्राइवेट खाद विक्रेता डीएपी खाद की कमी होने का राग अलाप कर मनमाने मूल्य पर डीएपी व यूरिया बेचकर किसानों का सरेआम शोषण करने में जुट गए हैं। वहीं नकली व मिलावटी खाद की बिक्री किए जाने की भी आमतौर शिकायतें आ रही हैं जिससे किसान परेशान है और शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई न किए जाने से कालाबाजारी में लिप्त दुकानदारों के हौसले बुलंद हैं जिससे किसानों में भारी आक्रोश भड़क रहा है।
इन दिनों किसानों को आलू सरसों गेहूं जो चना मटर लहसुन सब्जी की फसलों की बुवाई व फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए डीएपी व यूरिया खाद की बड़े पैमाने पर आवश्यकता है के बावजूद जिले की अधिकांश सहकारी समितियों पर डीएपी का अकाल पड़ गया है और डीएपी की इसी बढ़ी मांग और सहकारी समितियों पर डीएपी की किल्लत होने का फायदा उठा कर प्राइवेट खाद विक्रेताओं द्वारा 1350 रुपए की डीएपी की बोरी 1650 से लेकर 1700 रुपए तक में सरेआम बेची जा रही है। यही नहीं डीएपी बोरी के साथ खाद विक्रेता किसानों को 250 से लेकर 350 तक का एक जैविक खाद बताकर उसका झोला भी जबरन सौंप रहे हैं और यह झोला न लेने पर यह प्राइवेट खाद विक्रेता किसानों को डीएपी देने से भी इंकार करते देखे जा रहे हैं। यही नहीं 266 रुपए मूल्य प्रति बोरी की यूरिया खाद 350 रुपए तक में सरेआम बेंची जा रही है। सबसे दिलचस्प और गौरतलब बात तो यह है कि मनमाने मूल्य पर खाद बिक्री नहीं की जा रही है बल्कि किसानों द्वारा नकली मिलावटी खाद की बिक्री किए जाने की भी आमतौर पर शिकायतें की जा रही है। खाद विक्रेताओं द्वारा की जा रही कालाबाजारी की शिकायतें किए जाने के बावजूद संबंधित अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं जिससे खाद विक्रेता बेखौफ होकर कालाबाजारी कर किसानों के शोषण में जुटे हुए हैं। किसान नेता प्रवीण पालीवाल डॉ धीरेंद्र सिंह भाकियू के जिलाध्यक्ष विपिन राजपूत धीरेंद्र सिंह अनिल कुमार सिंह श्याम सुन्दर शाक्य आदि किसान नेताओं व पीड़ित किसानों द्वारा खाद की कालाबाजारी के संबंध में जिलाधिकारी को भी शिकायती पत्र भेजा जा चुका है किंतु इसके बावजूद आज तक कालाबाजारी पर अंकुश नहीं लग सका है जिससे शोषण से आजिज किसानों में कृषि विभाग के अधिकारियों के प्रति नाराजगी भड़क रही है। इस संबंध में पूछे जाने पर जिला कृषि अधिकारी ने कहा है कि खाद की कालाबाजारी का मामला फिलहाल उनके संज्ञान में नहीं है यदि शिकायतें मिलेंगी तो जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी किसी भी कीमत पर खाद की कालाबाजारी नहीं होने दी जाएगी। वैसे नकली मिलावटी खाद की बिक्री व कालाबाजारी के विरुद्ध लगातार छापामारी अभियान भी चलाया जा रहा है।