महाकावि शिवकुमार मिश्र की जयंती पर संबोधन देते भाजपा नेता अरुण कुमार दीक्षित

ग्लोबल टाइम 7
न्यूज़ नेटवर्क
उन्नाव
फुन्नी त्रिपाठी
उन्नाव। प्रख्यात साहित्यकार पं० शिवकुमार मिश्र अब हम सबके बीच नहीं हैं। उनकी स्मृतियां बार-बार उल्लसित करती हैं। वह बहुत बड़ा सोचते थे। वह ऊर्जावान थे। वह जितने बड़े थे उतना ही सरल हृदय भी थे। वरिष्ठ साहित्यकारों कवियों लेखकों के बीच अतिरिक्त प्रिय थे। वह लोकप्रिय कवि थे। उन्होंने अपने जीवन काल में महाभारत के पात्र कर्ण चरित आधारित ‛अपौरुषेय’ महाकाव्य लिखा।दूसरी कृति ‛अपराजेय’ भीष्म पितामह पर 15 सर्गो में रचित है। इसके अतिरिक्त मन के मीत सीप के मोती, ग़ज़ल की रंगत कृतियां उल्लेखनीय हैं। मिश्र जी के जीवन काल में ही छत्तीसगढ़ भाटापारा में शिक्षा विभाग में बड़े अधिकारी रहे डॉ० राम मोहन त्रिवेदी ने उनकी जीवनी लिख डाली।

नाम है जीवनी का “पं० शिवकुमार मिश्र एक चिंतनशील साहित्यकार” हमारा सौभाग्य रहा कि अपराजेय सहित कई कृतियों के विमोचन का संयोजन मेरे द्वारा निराला प्रेक्षागृह में किया गया। श्री मिश्र सबसे ज्यादा पं० सूर्यकांत त्रिपाठी निराला से प्रेरित रहे। उनके बोलने में हितैषी जैसे साहित्यकारों के साथ अनेक नाम आते थे।
उत्तर प्रदेश सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव ने 14 सितम्बर वर्ष 06 में देश के जाने-माने गीतकार प्रख्यात कवि डॉक्टर सोम ठाकुर की उपस्थिति में श्री मिश्र को तुलसी अलंकरण से सम्मानित किया था। श्री मिश्र बैसवारा के शीर्ष रचनाकारो में रहे। वह भारतीय संस्कृति के प्रमुख तत्व काव्य ,गीत कविता के उत्कर्ष के लिए जीवन पर्यंत लिखते गुनगुनाते रहे। खासकर युवाओं और साहित्य से जुड़े मित्रों से आग्रह है, कि मिश्र जी के जीवन के बारे में और उनकी कविताओं और रचनाओं के साथ उनका अध्ययन करना चाहिए।
वे बीघापुर तहसील के पुरवा विकासखंड के रावतपुर गांव के निवासी थे। अध्यापक थे। किसान थे।
हम अवध क्षेत्र के छोटे से सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता/ पत्रकार हैं। मैं उन्हें उनके जन्मोत्सव पर पितृपक्ष में बारंबार प्रणाम करता हूं। श्रद्धांजलि देता हूं। वह हम सब को आज भी प्रेरित करते हैं। उनके परिजन श्री मुन्नर मिश्र व अन्य परिजन ९६वीं जयंती मना रहे हैं उन्हें बहुत शुभकामना।