उत्तर प्रदेशलखनऊ

बाढ़ ने बढ़ाई मुसीबत, पॉलीथीन के नीचे रहने को मजबूर

जानवरों का चारा बना बड़ी समस्या, हजारों एकड़ फसलें जलमग्न

ग्लोबल टाइम्स-7, डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क, जिला संवाददाता राम प्रकाश शर्मा औरैया।

औरैया। यमुना नदी में आई भयंकर बाढ़ से किनारे बसे लोग अपना घर छोड़कर खेतों में पॉलीथीन के नीचे रहने को मजबूर है। लोगों के सामने जानवरों को खिलाने के लिए चारे की मुसीबत पैदा हो गई है। जिले के आला अधिकारी बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा कर लोगों की मदद करने में जुटे हैं।
कोटा बैराज से छोड़े गए पानी से यमुना नदी भयंकर उफान पर है। पानी अजीतमल तहसील क्षेत्र के सिकरोड़ी, बडेरा, गुहानी कला, गढ़ा कासदा, असेवा, असेवटा, रमपुरा, कैथौली, जुहीखा, बड़ी गूंज, छोटी गूंज, फरिहा, बीझलपुर, अस्ता, नौरी व औरैया तहसील क्षेत्र के गांवों में घुसकर भयंकर तबाही मचा रहा है। पानी घरों में भर जाने से लोग अपनी जरूरत का सामान, जानवरों व भूसा-चारा लेकर गांव के बाहर ऊंचे स्थानों पर पॉलिथीन के नीचे रात गुजारने को मजबूर है।

वहीं बहुत सी गृहस्थी का सामान घरों में डूबने से बर्बाद हो गया। खेतों में पानी भर जाने तहसील क्षेत्र की सैकड़ों एकड़ फसलें जलमग्न होकर बर्बाद हो गयी। बाढ़ के पानी में भूसा बह जाने की वजह से लोगों के सामने जानवरों को खिलाने की समस्या खड़ी हो गयी। वहीं हैंडपंप पानी से डूब जाने की वजह से लोगों को पीने के पानी की किल्लत का भी सामना करना पड़ रहा है। जिले के आलाधिकारी बाढ़ प्रभावित गांवों पर पैनी नजर बनाए रखे हैं। गांवों में कर्मचारियों, स्वास्थ्य, पशु चिकित्सा व एनडीआरएफ/एसडीआरएफ की तैनाती के साथ प्रभावित गांवों में जाकर बाढ़ पीड़ितों की मदद में जुटे है। शनिवार को एसडीएम अजीतमल अखिलेश कुमार सिंह, तहसीलदार हरिश्चंद्र, नायब तहसीलदार अभिनव वर्मा, सीओ प्रदीप कुमार, बीडीओ औरैया सर्वेश कुमार रवि, भाजयुमो जिलाध्यक्ष मोनू सेंगर, सदर विधायक प्रतिनिधि आर्यन कठेरिया ने बाढ़ पीड़ित गांव जुहीखा में राहत सामग्री वितरित की।


भूसे की समस्या को लेकर किसान चिंतित
बाढ़ का पानी घरों में भर जाने की वजह से किसानों के घरों में भरा भूसा व खेत में खड़ा हरा चारा बर्बाद हो गया। किसान कुछ ही मात्रा सुरक्षित कर पाए है। किसानों का कहना है कि पशुओं को खिलाने के लिए चारा नहीं बचा है। पिछली साल अधिकारियों व नेताओं ने भूसा देने का अस्वासन दिया था लेकिन बाढ़ जाने के बाद उनका वादा भी चला गया। किसानों ने जिला प्रशासन से भूसा उपलब्ध कराने की मांग की है।
हाल पूछने भी नहीं पहुँचे नेता
ग्रामीणों का आरोप है कि पिछले वर्ष वर्ष बाढ़ के दौरान चुनाव पास में होने की वजह से बहुत से नेता व उनके समर्थक उनका हाल जानने के लिए आये थे और उनकी मदद की थी, लेकिन इस बार बाढ़ आने के दौरान चुनाव सम्पन्न हो जाने की वजह से नेताओं को उनकी मुसीबत नहीं दिख रही। इस बार महज इटावा सांसद रामशंकर कठेरिया, भाजयुमो जिलाध्यक्ष मोनू सेंगर व अन्य एक दो नेताओं के अलावा कोई भी उनका हाल पूछने नहीं आया।

Global Times 7

Related Articles

Back to top button