कर्नलगंज में बारिश ने खोली जलनिकासी और विकास कार्यों की पोल, उठे सवाल

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कर्नलगंज (गोंडा)। रविवार- सोमवार की बारिश ने कर्नलगंज की जलनिकासी व्यवस्था और विकास कार्यों की हकीकत को बेनकाब कर दिया। कर्नलगंज ब्लॉक परिसर तालाब में तब्दील हो गया, जहां घुटनों तक पानी भरने से कर्मचारियों और आगंतुकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। परिसर में खड़ी गाड़ियों के चक्के पानी में डूब गए, और कर्मचारियों को पानी में हिल-हिलकर कार्यालय पहुंचना पड़ा। एक कर्मचारी अपनी मोटरसाइकिल को पानी से निकालते देखा गया, जो व्यवस्था की बदहाली का जीवंत उदाहरण बन गया। इसी के साथ ही कर्नलगंज कस्बे की सड़कें और मोहल्ले भी जलमग्न हो गए। घंटाघर, मौर्य नगर चौराहा, स्टेशन रोड, बालूगंज, कैलाश बाग, सदर बाजार, गाड़ी बाजार और सब्जी मंडी रोड जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भारी जलभराव देखा गया। गोंडा-लखनऊ हाईवे पर भी पानी भरने से राहगीरों को दिक्कत हुई।

कोतवाली कर्नलगंज को जाने वाली सड़क की हालत बदहाल है, जहां गंदा पानी जमा है। कस्बे के मुख्य मार्ग, बैंक, कॉलेज और थाने की सड़कों पर भी जलभराव की स्थिति बनी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी हालात बदतर हैं। खेत, खलिहान और कई गांव-मजरों में पानी भर गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नगरपालिका, नगर पंचायतों और ग्राम पंचायतों में जलनिकासी की व्यवस्था केवल कागजों तक सीमित है। क्षेत्र के 70 फीसदी तालाबों का अस्तित्व मिट चुका है, और अधिकांश पर अवैध कब्जे हो गए हैं, जिससे जलनिकासी का संकट और गहरा गया है। मौसम विभाग ने भारी बारिश की चेतावनी दी है, जिससे कस्बे के कई मोहल्लों के जलमग्न होने का खतरा बढ़ गया है। प्रशासनिक तंत्र बाढ़ से निपटने के लिए तैयार नहीं दिख रहा। कुछ वर्ष पहले गोंडा में आपदा प्रबंधन के लिए सरकार ने लाखों रुपये आवंटित किए थे,लेकिन धरातल पर कोई कार्य दिखाई नहीं दे रहा है। लोगों का आरोप है कि आपदा प्रबंधन का बजट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया, और इसका कोई हिसाब पूछने वाला नहीं है। स्थानीय लोग और कर्मचारी आक्रोशित हैं और प्रशासन से ब्लॉक परिसर सहित कस्बे और गांवों में जलनिकासी की समुचित व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। वे जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई और समस्या के त्वरित समाधान की मांग उठा रहे हैं। ब्लॉक परिसर की यह दुर्दशा विकास की नींव रखने वाले कार्यालय की बदहाली को दर्शाती है, जिससे ग्रामीण विकास की योजनाओं पर भी सवाल उठ रहे हैं।