उत्तर प्रदेश

आन्दोलनरत अधिवक्ताओं ने जिलाधिकारी आलोक सिंह को पांच सूत्रीय ज्ञापन सौंपा*

कानपुर देहात


उपजिलाधिकारी का स्थानांतरण ही प्रमुख मुद्दा, इसके उपरांत ही कार्य करना संभव

*ग्लोबल टाइम्स- 7 न्यूज नेटवर्क 0006*
*राकेश कुमार मिश्रा*
*उपजिला संवाददाता*
*29 मार्च 2025*

                  शिवली, कानपुर देहात |
जब एक लोक सेवक अपने को शासक के रूप में स्थापित करते हुए संविधान प्रदत्त शक्तियों का दुरुपयोग करने लगे और जिनकी सेवा व समस्याओं के निस्तारण करने हेतु महत्वपूर्ण पद पर प्रतिष्ठित किया गया हो जब उनको ही गुलामों की दृष्टि से देखा जाने लगे तो उसका परिणाम इसी तरह से सामने आता है जैसा कि वर्तमान समय में मैंथा तहसील के अंतर्गत देखने को मिल रहा है | शासन के आदेशानुसार प्रातः 10 से 12 बजे के मध्य का समय सभी शासकीय कार्यालयों में अधिकारियों को जनता की समस्याओं के निराकरण हेतु जनसुनवाई करने को निर्धारित किया गया है किंतु मैंथा तहसील के अंतर्गत इस निर्धारित अवधि में उपजिलाधिकारी सुरभि शर्मा अपने चेंबर में बैठकर पता नहीं किन कार्यों को निपटाया करती हैं और गेट भी बंद रखा जाता है अपवाद स्वरूप छोड़कर इस अवधि में आए हुए फरियादी मायूस होकर भटक कर लौट जाते हैं | इनकी कार्य प्रणाली  आम जनमानस के प्रति बेहद ही निष्क्रियता से परिपूर्ण व विवादित किस्म की है, बातचीत करने का सलीका बहुत ही अटपटा है| जब अधिवक्ताओं के साथ भी इनका बर्ताव संतोषजनक नहीं है तो आम नागरिकों के साथ कैसा सलूक किया जाता होगा यह तो वही जान सकते हैं| उच्च अधिकारियों से कई बार उपजिलाधिकारी की इस कार्य प्रणाली की शिकायत करने के बाद भी उच्च अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही न करने के कारण उप जिलाधिकारी की मनमानी उनकी आदतों में शुमार हो गई जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण अधिवक्ताओं द्वारा अधिकृत जगह पर बनाए गए चैंबरों को बिना किसी सूचना के मनमानी तरीके से बुलडोजर चलवा कर क्षतिग्रस्त कर दिया गया जिसमें अधिवक्ताओं को काफी आर्थिक क्षति हुई है | उच्च अधिकारी ऐसे असंवैधानिक कार्य करने वाले उपजिलाधिकारी को मैंथा तहसील में रखकर यहाँ के जनमानस को आखिर क्या संदेश देना चाहते हैं? विगत दिवस प्रकरण के निस्तारण उद्देश्य से एडीएम प्रशासन तहसील में  आकर दोनों पक्षों की बातों को सुना किंतु वह भी उपजिलाधिकारी का ही पक्ष लेने का असफल प्रयास करते दिखे अधिवक्ताओं द्वारा दी गई दलीलों के समक्ष अपने आप को असहाय महसूस करते नजर आए और अन्ततः वार्ता का कोई हल नहीं निकल सका जिस कारण से अधिवक्ताओं की हड़ताल आज भी जारी रही और समर्थन में जिले के सभी तहसीलों व सत्र न्यायालय में कार्य बाधित रहा जिससे वादकारियों को बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ा, निबंधन कार्यालयों में कार्य न होने से राजकीय कोष को लाखों रुपए राजस्व का नुकसान हुआ यह सभी कुछ केवल एक अधिकारी की हठधर्मिता का परिणाम के कारण हो रहा है | जिला न्यायालय के पदाधिकारियों के साथ ही तहसील एसोसिएशन के पदाधिकारी व अधिवक्ताओं द्वारा आज जिलाधिकारी कानपुर देहात आलोक सिंह को पांच सूत्रीय ज्ञापन सौंपा गया जिसमें प्रमुख रूप से उपजिलाधिकारी के स्थानांतरण करने के उपरांत ही अधिवक्ताओं द्वारा कार्य करना सम्भव होगा का विशेषत: उल्लेख किया गया| राजस्व नियमावली की विपरीत किए गए आदेशों से संबंधित की गई शिकायतों पर कार्यवाही का आश्वासन देने पर उक्त मुकदमों की सूची को उपलब्ध करा दिया गया है | जिलाधिकारी ने दिए गए ज्ञापन की मांगों पर अपनी सहमति जताते हुए उपजिलाधिकारी के स्थानांतरण के लिए कुछ समय की मांग की लेकिन उपस्थित अधिवक्ताओं ने जब तक स्थानांतरण नहीं होगा तब तक कार्य के बहिष्कार करते हुए अपना आंदोलन जारी रखने की बात दोहराई गयी | इस अवसर पर जिला वार एसोसिएशन के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, उत्तर प्रदेश वार कांउसिल के सदस्य पद के उम्मीदवार शिवनाथ कटियार तथा राम प्रकाश गुप्ता, जिला वार एसोसिएशन के पदाधिकारी शैलेंद्र तिवारी, जनप्रतिनिधि जितेंद्र सिंह उर्फ गुड्डन सिंह, मैंथा तहसील एसोसिएशन के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह यादव, महामंत्री कुलदीप तिवारी उर्फ राजा तिवारी, उपाध्यक्ष अनुज पाल ,ऑडिटर शारदा शंकर शुक्ला , सौरभ पान्डेय, दिलीप श्रीवास्तव, उमाकांत त्रिपाठी, जितेंद्र सक्सेना, रणविजय सिंह, सुमित पाठक, गीतेश अग्निहोत्री, गौरव त्रिवेदी ,जयराम कमल, आशुतोष यादव , अमित यादव, ज्ञानेंद्र मिश्रा, बृजेंद्र दीक्षित , राजीव दीक्षित, राहुल दीक्षित, विपिन चंद्र दिक्षित ,रवि द्विवेदी , धर्मवीर सिंह आदि अनेक अधिवक्ता गण उपस्थित रहे |

Global Times 7

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