रुक्मणी विवाह सुनने से अच्छे वर की होती है प्राप्ति-आचार्य मनोज अवस्थी

*कथकार श्री अवस्थी जी महाराज को भक्तों द्वारा चांदी का पहनाया मुकुट*
*जीटी-7, डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क टीम औरैया, कानपुर मंडलब्यूरो रिपोर्ट, राम प्रकाश शर्मा। 09 नवंबर 2024*
*#औरैया।* शहर के मोहल्ला सत्तेश्वर ब्लॉक गेट के पास में आयोजित हो रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ समारोह में अंतर्राष्ट्रीय कथाकार एवं समाज सुधारक आचार्य मनोज अवस्थी जी महाराज ने छठवे दिन श्रोताओं को रसपान कराते हुए कहा कि महारास में पांच अध्याय है। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण है। जो भी ठाकुर जी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस वध, उधव गोपी संवाद, उधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना द्वारका की स्थापना एवं रुकमणी विवाह के प्रसंग कर संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। भारी संख्या में भक्तगण दर्शन हेतु शामिल हुए। .कथा के दौरान कथाकार ने श्री अवस्थी जी महाराज ने ने श्रोताओं से कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया। भगवान श्रीकृष्ण रुकमणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया।। भागवत कथा के छठवें दिन कथा स्थल पर रुकमणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। श्री कृष्ण रुकमणी की वरमाला पर जमकर फूलों की
बरसात हुई। श्री अवस्थी जी महाराज ने ने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण स्वमणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है कथा श्रवण के दौरान स्थानीय महिलाओं पर पांडवों के भाव अवतरित हुए, कहा कि जीव परमात्मा का अंश है इसलिए जीव के अंदर अपारशक्ति रहती है यदि कोई कमी रहती है यह मात्र संकल्प की होती है संकल्प एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे उन्होंने महारास लीला श्री उद्धव चरित्र श्री मधुरा गमन और श्री रुक्मणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर विस्तृत विवरण दिया। .रुक्मणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर व्याख्यान करते हुए उन्होंने कहा कि रुकमणी के भाई स्कमि ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ सुनिश्चित किया था लेकिन रुक्मणी ने संकल्प लिया था कि वह शिशुपाल को नहीं केवल गोपाल को पति के रूप में वरण करेंगे उन्होंने कहा शिशुपाल असत्य मार्गी है और द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण सत्य मार्गी है। इस लिए वो असत्य को नहीं सत्य को अपनाएगी अंत भगवान श्री द्वारकाधीश जी ने रुक्मणी के सत्य संकल्प को पूर्ण किया और उन्हें पति के रूप में वरण करके प्रधान पटरानी का स्थान दिया रुक्मणी विवाह प्रसंग पर आगे श्री महाराज ने कहा इस प्रसंग को श्रद्धा के साथ श्रवण करने से कन्याओं को अच्छे घर और वर की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन सुखद रहता है। इस दौरान भक्तों द्वारा कथाकार श्री अवस्थी जी महाराज को चांदी का मुकुट पहनाकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर परीक्षित ममता पत्नी शिव कुमार पुरवार सहित पुरवार पोरवाल महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश पुरवार, राष्ट्रीय महामंत्री हरिहर नाथ पोरवाल, अनिल पुरवार, पोरवाल महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र गुप्ता, अर्चना पुरवार, ज्योति पुरवार, नेहा पुरवार, राधा पुरवार, स्वाती पुरवार,आकांक्षा पुरवार, विपिन पोरवाल, विवेक पुरवार, विनय पुरवार, रामवीर चौहान, कमल वर्मा, विशाल चौहान, विपिन पुरवार, बृजेश यादव, विजयकांत पुरवार, संजू राठौर, अमित बरसैंया, उमेश विश्नोई, नीरज पोरवाल, कई अनेक श्रोता मौजूद रहे।