उत्तर प्रदेश

साकेत धाम पर आयोजित रामलीला के तीसरे दिन की लीलाओं का हुआ मनोहारी मंचन


ग्लोबल टाइम्स-7 न्यूज नेटवर्क 0006
राकेश कुमार मिश्रा
उपजिला संवाददाता

                शिवली, कानपुर देहात | दशहरा महोत्सव के अवसर पर कस्बा शिवली स्थित साकेत धाम पर चल रही रामलीला के अंतर्गत तृतीय दिवस की लीलाओं का उत्तर भारत के ख्याति प्राप्त कलाकारों द्वारा मनोहारी मंचन किया गया | आज के सम्पन्न हुए कार्यक्रम में राम विवाह, कैकेई दशरथ संवाद ,केवट संवाद एवं चित्रकूट विश्राम आदि लीलाओं का सुंदर मंचन किया गया | रामलीला का सजीव मंचन देखकर उपस्थित दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए, तीसरे दिन के कार्यक्रम का आगाज साकेत धाम रामलीला कमेटी के अध्यक्ष अमित मिश्रा द्वारा भगवान के पावन स्वरूपों की आरती करते हुए किया गया इस दौरान कमेटी के अध्यक्ष अमित मिश्रा द्वारा अवध प्रांत के गौरक्षा प्रमुख मधुराम जी को अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया |बताते चलें कि नगर पंचायत शिवली स्थित साकेत धाम प्रांगण में दशहरा महोत्सव के अवसर पर रामलीला कमेटी के अध्यक्ष अमित कुमार मिश्रा  की देखरेख में आयोजित की जा रही रामलीला कार्यक्रम के तीसरे दिन अवध प्रांत के गौरक्षा प्रमुख मधुराम जी को रामलीला कमेटी द्वारा अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया, इस दौरान मधुराम जी ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के चरित्र का वर्णन करते हुए लोगों से कहा कि हम लोग भगवान राम को तो मानते हैं लेकिन उनके चरित्र और आदर्शों को आत्मसात नहीं करते हैं, भगवान श्रीराम ने अपने पिता द्वारा दी गई आज्ञा के अनुपालन में सम्पूर्ण राज्य का परित्याग करते हुए बन चले गए थे  लेकिन आज का युवा वर्ग अपने पिता का सम्मान भी करना नहीं जानता है |आयोजित रामलीला में भगवान राम और सीता का विवाह होने के कुछ समय बाद राजा दशरथ श्री राम को अयोध्या का राजा बनाना चाहते थे और उसकी घोषणा भी कर दी थी प्रभु श्रीराम को तो अपने उस उद्देश्य को पूरा करना था जिस कारण से धरा पर अवतरित हुए थे, उस उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए माध्यम बनाया मंथरा और कैकेई को | समयानुसार कैकेई के हठ के चलते पिता दशरथ को श्रीराम के लिए वनवास जाने का आदेश देना पड़ा, प्रभु श्रीराम पिता के आदेश पर  जानकी एवं भ्राता लक्ष्मण समेत वन को चले जाते हैं, पिता दशरथ की आज्ञा पाकर श्रीराम जी ने अपने धर्म का पालन किया और बनगमन किया,बन पहुँच कर रामचंद्र जी ने सुमंत्र जी से कहा कि आप अब वापस अयोध्या लौट जाए परन्तु आज सुमंत्र जी अयोध्या लौटने के लिए तैयार नही है और राजा दशरथ जी का आदेश पुनः रामचंद्र जी से कहा कि आपके पिता श्री जी ने जाते समय एक ही बात कही थी कि ऐसे वनखण्ड में सीता कैसे रहेगी अतः सीताजी को वापस कर दे इस पर सीताजी ने सुमंत्र जी से कहा मेरे पति वन में विचरण करे और हम राज सुख भोगे ये संभव नही है |  मंचन हुई लीला में प्रमुख रूप से कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष अनुराग त्रिवेदी ,रोहित मिश्रा ,पीयूष , मनीष सैनी, रामू दीक्षित, दुर्गा शंकर मिश्रा, कुलदीप बाजपेई ,अनिल तिवारी उर्फ पप्पू, रामविलास सविता, पंकज गुप्ता, रामजी मिश्रा ,शुभम द्विवेदी ,रामजी त्रिवेदी, दिनेश शुक्ला, बालाजी मिश्रा, विजय शंकर गुप्ता ,गंगाराम पांडेय, नीलू अवस्थी ,अभिनव तिवारी, शिवांग अवस्थी ,तेज सिंह ,धर्मेंद्र यादव ,विवेक द्विवेदी ,रमन दीक्षित , आदि सैकड़ो की तादात में लोग उपस्थित रहे |

Global Times 7

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