चलो रे डोली उठाओ कहार…

दशकों बाद पालकी में सवार होकर विदा हुई दुल्हन
टिकी रह गई लोगों की निगाहें,सेल्फी लेने के लिए उमड़ी भारी भीड़
जीटी-7, डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क टीम औरैया कानपुर मंडलब्यूरो रिपोर्ट रामप्रकाश शर्मा। 15 फरवरी 2025
#औरैया। “चलो रे डोली उठाओ कहार” वक्त के साथ डोली का चलन खतम हुआ तो दिल को छू लेने वाला यह मीठा साथ गीत भी डीजे के शोर में खो गया। लेकिन शनिवार को शदियों की पुरानी परम्परा को एक बार फिर से लोगों ने जीवंत होते देखा। लग्जरी गाड़ियों को छोड़ पालकी में दुल्हन शिल्पी सवार होकर निकली तो देखने वालों का हुजूम रोड पर उमड़ पड़ा।
कहारों के कंधे पर इतराती डोली में बैठी नव विवाहिता को देखने के लिए पूरे मोहल्ले के लोग जुट गए। यह नजारा शनिवार को शहर के मोहल्ला नारायनपुर एक दलित समाज के परिवार से ताल्लुक था। यहां एक दलित परिवार ने अपनी बेटी की विदाई के लिए पालकी की व्यवस्था की थी। परिवार के मुखिया ने बताया कि वो अपनी बेटी के ब्याह को यादगार बनाना चाहते थे। इसलिए डोली और कहार के साथ बिटिया को विदा करने का इंतजाम किया था।
शहर के मोहल्ला नारायनपुर निवासी राजेंद्र कुमार की बेटी शिल्पी का विवाह इटावा ग्राम के बरा लोकपुर के रहने वाले सुरेंद्र के बेटे सोनू से हुआ। शुक्रवार को सोनू की बारात आई थी। सोनू और शिल्पी अपनी शादी को यादगार बनाने के लिए कुछ अलग करना चाहते थे। शादी की बाकी तैयारियों के साथ काफी समय तक दोनों परिवारों में इस पर विचार-विमर्श हुआ। आखिर में डोली में विदाई वाला आइडिया आया जो सबको भा गया। इसके बाद शनिवार को नवविवाहिता शिल्पी डोली में बैठकर विदा हुए तो रोड पर देखने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी और लोग सेल्फी और वीडियो लेने में जुटे रहे।
इन्सेट-01-
विलुप्त होती परम्परा को जीवंत करना भी था मकसद
घर के मुखिया ने बताया कि आधुनिकता के युग में जब युवा हेलीकॉप्टर से बारात जाने का सपना देखते हैं ऐसे में उनके बेटी और दामाद का विचार दोनों परिवार के दिल को छू गया। दोनों का कहना था कि हमारी पुरानी परम्पराएं खोती जा रही हैं इसीलिए जीवन में दिक्कतें बढ़ रही हैं। दोनों अपने नए जीवन की शुरूआत अपनी संस्कृति और परम्पराओं के साथ करना चाहते थे। उनका कहना है कि युवा पीढ़ी ऐसी ही सोच के साथ आगे बढ़े तो जिंदगी की तमाम समस्याएं खुद दूर हो जाएंगी।