GT ~7 कमीशनखोरी के चलते लेखाकारों ने बनाई लाखों रुपए की चल अचल संपत्तियां ! Chitrakoot

अनिल सिंह
ग्लोबल टाइम्स 7
न्यूज नेटवर्क उत्तर प्रदेश
भुगतान के नाम पर लेखाकारों द्वारा की जाती जमकर कमीशनखोरी, चहेते ठेकेदारों के किए जाते ज्यादातर भुगतान
स्थानान्तरण होने के बाद भी लेखाकार नहीं किया जा रहा कार्यमुक्त
समाजसेवी ने लोक आयुक्त महोदय को पत्र लिखकर लेखाकारों की संपत्तियों की जांच कराए जाने की मांग
अनिल सिंह
ग्लोबल टाइम्स 7
न्यूज नेटवर्क उत्तर प्रदेश
चित्रकूट. शासन द्वारा वित्तीय लेखाजोखा रखने के लिए प्रत्येक विकास खण्ड में लेखाकर की नियुक्ति की गई है लेकिन यही लेखाकार जिम्मेदार अधिकारियों व ठेकेदारों की मिलीभगत से मनमाने तरीके से भुगतान करते हैं और जमकर कमीशनखोरी करते हैं जिसके कारण यह लेखाकार लाखों रुपए की चल अचल संपत्तियों के मालिक बन बैठे हैं
जिले के पहाड़ी विकासखंड में लेखाकार का कार्यभार संभालने वाले रमेश कुशवाहा द्वारा अपने चहेते ठेकेदारों के नाम पर भुगतान करते हुए जमकर कमीशनखोरी की जाती हैं
लेखाकार का कार्यभार संभालने वाले रमेश कुमार कुशवाहा द्वारा ख़ूब फर्जीवाड़ा करते हुए लाखों रुपए की चल अचल संपत्तियां बनाई गई हैं l
इन लेखाकारों द्वारा मनरेगा योजना, क्षेत्र पंचायत,पंचम वित्त, पंद्रहवां वित्त, केंद्रीय वित्त, सांसद निधि, विधायक निधि,बुंदेलखंड विकास निधि, नीति आयोग, अटल भूजल योजना इत्यादि योजनाओं का कार्य देखा जा रहा है जिसमें जिम्मेदार अधिकारियों व ठेकेदारों की मिलीभगत से भुगतान करने के नाम पर जमकर कमीशनखोरी करते हुए लाखों रुपए की चल अचल संपत्तियां अर्जित की गई हैं l
लेखाकार रमेश कुमार कुशवाहा का स्थानान्तरण अन्य ज़िले में हो चुका है लेकिन इनका चित्रकूट ज़िले से मोह भंग नहीं हो रहा है वहीं लेखाकारों का ट्रांसफर होने के बाद भी ज़िला विकास अधिकारी द्वारा कार्यमुक्त नहीं किया जा रहा है जबकि शासन के नियमों के अनुसार एक सप्ताह के अंदर कार्यमुक्त होना ज़रूरी है लेकिन जिला विकास अधिकारी के कमाऊ पूत की भूमिका निभा रहे लेखाकारों का ट्रांसफर होने के बाद भी कार्यमुक्त नहीं किया जाना शासन के नियमों का खुलेआम उलंघन है l
सूत्रों के अनुसार पता चला है कि जिला विकास अधिकारी कुछ माह बाद ही रिटायर्ड होने वाले हैं जिसके कारण लेखाकारों का ट्रांसफर होने के बाद भी कार्यमुक्त नहीं करना चाहते हैं और लेखाकारों की आड़ में जिला विकास अधिकारी भी अपनी संपत्तियों में भी इज़ाफा करना चाहते हैं जिसके कारण लेखाकार बिना किसी भय के विभिन्न योजनाओं में जमकर कमीशन खोरी करते हुए भुगतान कर रहे हैं