प्राकृतिक संसाधन एवं जागरूकता फखवाड़ा का हुआ आयोजन

अपेक्षा महिला एवं बाल विकास समिति के द्वारा किया गया जागरूक
जीटी-70017, राम प्रकाश शर्मा ब्यूरो रिपोर्ट औरैया।
15 दिसंबर 2023
#औरैया।
प्राकृतिक संसाधन संरक्षण एवं आजीविका संरक्षण जागरूकता पख़वाडा में सलेमपुर गांव जनपद औरैया के स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओ ने ली शपथ। आज 15 दिसंबर शुक्रवार को सलेमपुर में जागरूकता पखवाडा में महिलाओ ने बढ़-चढ़कर की भागीदारी। अपेक्षा महिला एवं बाल विकास समिति के संयुक्त तत्वाधान में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मीडिया के सहयोग से समुदाय की महिलाओ को विज्ञान मीडिया के प्रति जागरूक किया गया। महिलाए अपने घर से बाहर चार दीवारी से बाहर जाकर आजीविका के लिए जाना चाहती है, महिलाए उत्साहित है, निष्ठा है, समर्पण है, जज्बा है, परन्तु सदियों से महिलाओ के प्रति समाज की परिवार की जो मानसिकता रही है उसको नकारने में आज भी महिलाएं पीछे हैं। ग्रामीण वंचित परिवार में माहौल न मिलने के कारण समझ ही नही पाती है। अभी भी उनको जागरूक और संवेदित करने की जरूरत है।
ग्रामीण परिवेश में रहने वाली हासिये की महिलाए अभी भी अपने अधिकारों को नही जानती। सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक मुद्दों की पहचान महिलाओ को है ही नही, महिलाए अपनी आजीविका के प्रति संवेदित होगी तभी ग्रामीण विकास तभी सम्भव है। इसी परिप्रेक्ष्य में समिति द्वारा जनपद के 35 गांव में जागरूकता पखवाड़ा के माध्यम से महिलाओ को विज्ञान मीडिया के सहयोग से प्राकृतिक संसाधन एवं आजीविका संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। अभियान में महिलाओ को संबोधित करते हुए सन्दर्भ ब्यक्ति धीरज सिंह द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के प्रति संवेदित करते हुए कहा कि संसाधन देश की अर्थव्यवस्था के आधार का निर्माण करते हैं। प्राकृतिक संसाधन हमे पर्यावरण से प्राप्त होते है, भूमि, जल, वन, वायु, खनिज के बिना कोई भी कृषि व उद्योग का विकास नहीं कर सकता। इन प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से मनुष्य ने घरों, भवन एवं संचार के साधनों, उद्योगों आदि का निर्माण किया है। बिना संसाधन के विकास संभव नहीं है। लेकिन संसाधनो का विवेकहीन उपभोग तथा अति उपयोग कई तरह के सामाजिक, आर्थिक तथा पर्यावरणीय समस्या उत्पन्न कर देते हैं। अत: संसाधन का संरक्षण अति आवश्यक हो जाता है। संसाधन के संरक्षण के लिए विभिन्न जननायक, चिंतक, तथा वैज्ञानिक आदि का प्रयास विभिन्न स्तरों पर किया जा रहा है। जैसे- महात्मा गाँधी के शब्दों में “हमारे पास हर व्यक्ति की आवश्यकता पूर्ति के लिए बहुत कुछ है, लेकिन किसी के लालच की संतुष्टि के लिए नहीं। अर्थात हमारे पेट भरने के लिए बहुत है लेकिन पेटी भरने के लिए नहीं।इन संसाधनों का दोहन न किया जाए जिससे आने वाली पीढ़ी भी संसाधनों का उपयोगइसी तरह से कर सके। गांव में प्रायः देखा जाता है कि पर्यावरणीय समस्याओं में जनसंख्या वृद्धि, घटिया कृषि पद्धतियां है और इनके कारण प्राकृतिक वातावरण में अत्यधिक मानवीय परिवर्तन हो रहा है।
एक अनुमान के अनुसार खेती योग्य भूमि का 60 प्रतिशत भूमि कटाव, जलभराव और लवणता से ग्रस्त है। यह अनुमान है कि मिट्टी की ऊपरी परत में से प्रतिवर्ष 4.7 से 12 अरब टन मिट्टी कटाव के कारण खो रही है। 1947 से 2002 के बीच, पानी की औसत वार्षिक उपलब्धता प्रति व्यक्ति 70 प्रतिशत कम होकर 1822 घन मीटर रह गयी है तथा भूगर्भ जल का सबसे अधिक दोहन हरियाणा, पंजाब व उत्तर प्रदेश में एक समस्या का रूप ले चुका है। बढ़ती हुई जनसंख्या एक गंभीर समस्या है, बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ भोजन की व्यवस्था के लिए सभी लोग अधिक पैदावार लेने के लिए तरह-तरह की रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग कर रहे है जो पूरे सिस्टम को प्रभावित करता है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति खराब हो रही है, साथ ही वातावरण प्रदूषित होता है इससे तमाम प्रकार की बीमारियों का शिकार हो रहे है। इस लिए जैविक विधि का इस्तेमाल करे पहले के समय मे जो खेती होती थी वह स्वास्थ्य के अनुकुल तथा प्राकृतिक वातावरण के अनुरूप ही खेती की जाती थी, जिससे जैविक और अजैविक पदार्थो के बीच आदान-प्रदान का चक्र निरन्तर चलता रहता था, जिससे जल, भूमि, वायु तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता था। अपने यहां तो पूर्वजो से कृषि के साथ-साथ गौ पालन भी किया जाता था, जिसके प्रमाण हमारे ग्रंथो में भी है, परन्तु बदलते परिवेश में गौ पालन धीरे-धीरे कम हो गया तथा कृषि में तरह-तरह की रसायनिक खादों व कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा है जिससे जैविक और अजैविक पदार्थो के चक्र का संतुलन बिगड़ता जा रहा है, और वातावरण प्रदूषित होकर, सभी के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। अब हम रसायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों के उपयोग के स्थान पर, जैविक खादों एवं दवाईयों का उपयोग कर, अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं जिससे भूमि, जल एवं वातावरण शुध्द रहेगा और हम सब स्वस्थ रहेंगे। आज के कार्यक्रम संयोजक विष्णु हरि द्वारा सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम समापन की घोषणा की गई। इस कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष वंदना समिति सह सचिव विनीता, प्रतीक शुक्ला, अंकिता, शिप्रा, सोनम, राधा, राम देवी, सुनीता, राधा, रजनी, ओम नारायण, सुमन, सुशील के सहित 122 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।