आवारा गोवंशों के बेहतरीन पालन पोषण के लिए रीनू यादव का सुझाव बना कानून, हुआ पारित
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का लोगों लगाने के लिए भी मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को दिया जा चुका है सुझाव
जीटी-70017, राम प्रकाश शर्मा ब्यूरोचीफ औरैया।
30 अक्टूबर 2023
#औरैया।
उत्तर प्रदेश के जिलों से गुजरने वाली नदियों, नहरों, चरागाह की पड़ी भूमि, झीलों के किनारों तथा अन्य स्थानों पर ग्राम पंचायतों की बड़ी तादाद मे बेकार पड़ी भूमि पर आवारा गोवंशों के बेहतरीन एवं स्थाई संरक्षण के लिए मूल रूप से जिला औरैया के ग्राम हीरानगर कंचौसी निवासी वर्तमान मे सिविल लाइन फिरोजाबाद मे रह रही रीनू यादव एचडीएफसी बैंक की वित्तीय सलाहकार द्वारा शासन व प्रशासन को पूर्व मे उपलब्ध कराये गये प्रस्ताव को प्रदेश में सर्व प्रथम फिरोजाबाद के विकास खण्ड की ग्राम पंचायत मौंढा द्वारा लोकहित मे नया कानून बनाकर सर्व सम्मति से पारित किया गया। रीनू यादव के सुझाव के अनुसार आने वाले समय में एक तरफ आवारा गोवंश पूर्णतया स्वस्थ रहेंगे, वहीं दूसरी तरफ किसानों को खेतों की कभी रखवाली नहीं करनी पड़ेगी, साथ ही खेतों के किनारे किसी प्रकार के तार नही लगाने होंगे। जिससे किसानों का खर्च व समय बचेगा व सड़क पर होने वाली दुर्घटनायों पर पूर्णतया रोक लग जायेगी।
रीनू यादव ने गोवंश सुझाव पत्र माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ को भेजा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि सर्व विदित है कि उत्तर प्रदेश में प्रमुख रूप से कृषि उत्पादन व यातायात सुरक्षा के दृष्टिगत आवारा गोवंश बहुत बड़ी समस्या है। जिसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के समस्त जनपदों में विभिन्न स्थानों पर गौशालाओं का निर्माण कराया गया है। जिसमें सरकार आवारा गोवंशों को संरक्षित कर उनके पोषण के लिए व्यापक स्तर पर कार्य कर रही है। सरकार द्वारा गौशालाओं में संरक्षित गोवंश के पोषण के लिए भारी बजट भी खर्च कर रही है। उत्तर प्रदेश में प्रमुख रूप में यमुना, शारदा, रामगंगा, घाघरा, राप्ती, गंडक, गोमती, चंबल, बेतवा आदि ऐसी नदियाँ वह रही है जिनके किनारों पर बेहड़ क्षेत्र स्थित है, इन क्षेत्रों में जानवरों के पोषण के लिए प्राकृतिक रुप में पर्याप्त घास व पानी की समुचित उपलब्धता सभी ऋतुओं में रहती है। उपरोक्त के लिए रीनू यादव ने सुझाव पत्र में कहा है कि उत्तर प्रदेश में प्रमुख रूप में वह रही ऐसी नदियाँ जैसे यमुना, शारदा, रामगंगा, घाघरा, राप्ती, गंडक, गोमती, चंबल बेतवा आदि जिनके दोनों किनारों पर उपयुक्त स्थानों का चयन कर लगभग 01 किलोमीटर तक साधारण तार द्वारा बैरीगेटिंग करा दी जाये।नदियों के किनारे स्थाई रूप से टीनशेड बनवाये जाये, गोवशों में बीमारियों की रोकथाम व अन्य किसी समस्या के निदान के लिए पशु-चिकित्सालय खोले जायें, साथ ही उपयुक्त स्थानों पर छोटे-छोटे तालाबों का स्थाई रूप से निर्माण कर उसमें पानी भरने की नई तकनीकी का उपयोग किया जाये तथा तालाबों के आसपास कुछ तेजी से वृद्धि करने वाले झाड़दार वृक्ष लगाये जायें, प्रदेश में चरागाह की अनुपयोगी भूमि को इस कार्य के लिए उपयोग में लाया जाये, कृषि एवं अन्य कार्यों हेतु गोवंशों के गोवर आदि से बनने वाले विभिन्न उत्पादों के निर्माण के लिए आवश्यक सयंत्र स्थापित किये जायें। प्रदेश के विभिन्न गौशालाओं में संरक्षित किये गये आवारा गोवंशों एवं ग्रामों से आने वाले नवीन आवारा गोवंशों को ग्राम पंचायतों के माध्यम से व्यवस्था कर नदियों के किनारे की गयी बरीगेटिंग के अन्दर खुला छोड़ दिया जाये।
इनसैट-
सुझावों से मिलने वाले लाभ
औरैया। प्रदेश में प्रमुख रुप से कृषि व यातायात सुरक्षा से सम्बन्धित सम्पूर्ण समस्या का स्थाई रूप से हल निकलेगा। गौशालाओं का निर्माण कराने की कोई आवश्यकता नहीं पडेगी, जिससे निर्माण में आने वाला भारी व्यय बचेगा। गौशालाओं में संरक्षित गोवंश के पोषण के लिए चारा, पानी आदि की व्यवस्था नहीं करनी पडेगी जिससे पोषण में आने वाला भारी व्यय बचेगा।गौशालाओं का निर्माण कार्य, गोवंश के पोषण के लिए चारा- पानी आदि की व्यवस्था में आने वाले व्यय के सापेक्ष नदियों के किनारे करायी गयी बरीगेटिंग, टीनशेड, पशु-चिकित्सालय, तालाबों का निर्माण कार्य एवं झाडदार वृक्षों को लगाने में व्यय न के बराबर होगा। विपरीत परिस्थितियों में गोवंश उपयुक्त स्थानों पर बनवाये गये तालाबों में पानी पी सकेंगे, साथ ही लगाये गये झाड़दार वृक्षों की छाया में आसानी से चरेंगे व विचरण कर सकेंगे, झाड़दार वृक्षों के होने से पर्यावरण की दशा में व्यापक सुधार होगा एवं विलुप्त होते हुये पक्षियों एवं अन्य वन्य प्राणियों की संख्या में वृद्धि होगी, साथ ही गोवंशों के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में पूर्णतः विराम लगेगा तथा गोवर आदि से बनने वाले विभिन्न उत्पादों के विक्रय से सीधा राज्यकोषीय लाभ होगा। नदियों के किनारे बेहड़ क्षेत्र में छोड़े गये आवारा गोवंशों को पर्याप्त मात्रा में चारा-पानी मिलने पर वे स्वयं स्वस्थ व सहज महसूस करेंगे। उक्त दिये गये सुझावों से प्रदेश की कृषि व परिवहन व्यवस्था पूर्ण रूप से सुदृढ़ होगी, जिससे कि प्रदेश कृषि व परिवहन के क्षेत्र में निश्चित रूप से खुशहाल होगा।