उत्तर प्रदेशलखनऊ

विकास कोई नया शब्द नहीं बल्कि हमारी प्राचीन संस्कृत — प्रोफेसर व्यास

सतत विकास के विविधआयाम विषय पर राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन

GT–7 007
News Network
Anoop gaur
Kanpur dehat

#पुखरायॉ

कस्बा स्थित रामस्वरूप ग्राम उद्योग परास्नातक महाविद्यालय में शुक्रवार को एक दिवसीय सतत विकास के विविध आयाम विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर प्रोफेसर मीनाक्षी व्यास एसएन सेन कॉलेज कानपुर ने प्रतिभाग कर संगोष्ठी को संबोधित किया संगोष्ठी की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर आरपी चतुर्वेदी जीने की कार्यक्रम के संयोजक डॉ अंशुमान उपाध्याय ने विषय का प्रवर्तन किया कार्यक्रम का संचालन डॉ निधि अग्रवाल विशिष्ट वक्ता के तौर पर डॉक्टर हेमेंद्र सिंह डॉ हरीश कुमार सिंह श्री जितेंद्र कुमार श्री इदरीश खान डॉक्टर पर्वत सिंह अतिथियों का स्वागत डॉ कमलेश कुमार सिंह विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र ने किया मुख्य अतिथि के तौर पर संगोष्ठी को उद्बोधन करते हुए प्रोफेसर व्यास जी ने कहा कि विकास कोई नया शब्द नहीं बल्कि हमारी प्राचीन संस्कृति में भी अनेक ग्रंथों उपनिषदों आदि ने विकास की परिधि को परिभाषित किया गया है जहां तक सतत विकास का प्रश्न है की तत्काल आवश्यकता की पूर्ति के साथ भविष्य भी संरक्षित रहे इस हेतु पर्यावरण का संरक्षण एक विशेष आयाम है जिसको संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा एसडीजी के 17 सूत्रीय एजेंडा पर कार्य करना है पर बल दिया यह कार्य संपूर्ण विश्व से मानव के अंदर व्याप्त गरीबी से छुटकारा पाना शून्य भुखमरी स्वच्छ जल गुणवत्ता युक्त शिक्षा औद्योगिक नवाचार स्वच्छ शहर स्वच्छ जल पृथ्वी पर जीवन सामूहिक साझेदारी आदि एजेंडा पर कार्य करना है प्रकृति हमारी तब मदद करती है जब हम आगे बढ़कर दृढ़ता के साथ समस्याओं का मुकाबला करते हैं डॉक्टर कमलेश कुमार सिंह ने सतत विकास के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर चर्चा करते हुए रामचरितमानस में वर्णित सतत विकास के अनेक सोपान पर चर्चा की पत्रकार जगत की ओर से प्रतिनिधित्व करते हुए डॉ अनूप कुमार सचान ने मानव मूल्यों पर चर्चा के साथ सतत विकास की संभावना पर बल दिया डॉ हरीश कुमार सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि महर्षि पतंजलि द्वारा सतत विकास के क्रम में जो अष्टांग योग की चर्चा की यदि हम उसको आत्मसात करें तो उस उद्देश्य को प्राप्त करेंगे जिसमें हम प्रकृति का विदोहन संरक्षक के साथ करें डॉक्टर हेमेंद्र सिंह ने सतत विकास के इतिहास के क्रम में पश्चिमी सभ्यता उपभोक्तावादी 1947 से 1973 तक औद्योगिकरण प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुन प्रयोग आदि पर बल दिया जितेंद्र कुमार ने कविता के माध्यम से सतत विकास को परिभाषित करने का प्रयास किया इदरीस खान ने माननीय प्रधानमंत्री के उस मुहिम जिसमें सबका साथ सबका विकास पर विस्तार से चर्चा करते हुए सतत विकास की अवधारणा को जोड़ा डॉक्टर पर्वत सिंह ने गांधी जी के विचार को कोर्ट करते हुए प्रकृति मनुष्य के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त साधन देती है लालच को छोड़कर प्राचार्य जी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में वैदिक काल से वर्तमान समय तक विकास के क्रम को उद्धृत करते हुए युवाओं के वर्तमान दायित्व पर भी विस्तार से चर्चा की कहां आज जिस वस्तु को हम देखते हैं उसमें दो पार्ट नजर आते हैं एक उसका सकारात्मक पहलू दूसरा नकारात्मक पहलू हमें चाहिए सकारात्मक पहलू पर आत्म मंथन करें एवं अपने आप को आत्म केंद्रित करें तथा उसको अपने आचरण में उतारें यदि ऐसा करते हैं तो आपका भविष्य उज्जवल होगा अब आप राष्ट्र निर्माण में बड़े सिपाही के तौर पर अपने आप को पाएंगे। पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए पॉलिथीन जैसी घातक वस्तु के प्रयोग से दूर रहना के लिए प्रेरित किया तथा कम से कम विशेष अवसरों पर वृक्षारोपण कर उस अवसर को भी विशेष बनाएं एवं प्रकृति को भी संतुलित रखने में सहयोग करें की आशा व्यक्त की इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त कर्मचारी संजय शिव नारायण एवं छात्र छात्राएं मौजूद रहे

Global Times 7

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