होली नजदीक आते मिलावट खोरी का गोरखधंधा जोरों पर हुआ शुरू

मुनाफे के लालच में जनस्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, खाद्य सुरक्षा नियम तार-तार
ग्लोबल टाइम्स -7, न्यूज नेटवर्क, जिला ब्यूरोचीफ राम प्रकाश शर्मा औरैया।
औरैया। होली के त्यौहार के नजदीक आने के साथ शादी विवाह की सहालग के चलते जिले में खाद्य वस्तुओं में मिलावट खोरी का गोरखधंधा जोरों पर शुरू हो गया है। खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते खाद्य वस्तुओं में कृत्रिम नकली खोए पनीर व जहरीले रसायनों की मिलावट से जन स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है। जिससे क्षेत्रीय बुद्धिजीवी बेहद चिंतित हैं। यूं तो शादी विवाह की सहालग का समय चल रहा है इसमें लोगों को खोए पनीर बेसन दूध आदि खाद्य सामग्री की बड़े पैमाने पर आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर होली का त्योहार भी जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे उपरोक्त खाद्य सामग्री की मांग बढ़ती जा रही है, ऐसे में दूध की जिले में भारी कमी के बावजूद प्रतिदिन शादी विवाह आदि विभिन्न समारोहों की दावतों के लिए धंधेबाजों के पास हर समय कुतंलों खोया, पनीर व दूध आदि उपलब्ध मिल रहा है।
होली पर मोटी कमाई के चक्कर में औरैया नगर समेत दिबियापुर, बिधूना, फफूंँद, अछल्दा, नेविलगंज, रुरुगंज, उमरैन, एरवाकटरा, कुदरकोट, वैवाह, याकूबपुर, बेला, मल्हौसी, पुर्वा सुजान, रामगढ़, हरचंदपुर, अजीतमल, बाबरपुर कस्बों में अधिकांश मिठाई विक्रेताओं द्वारा कृत्रिम मिलावटी दूध के साथ मिलावटी खोया व पनीर बनाकर धड़ल्ले पर बेचा जा रहा है। इस समय तमाम धंधेबाज नकली खोए की गुजिया बनाकर भंडारण करने में अभी से जुट गये हैं। सबसे दिलचस्प और गौरतलब बात तो यह है कि एक किलोग्राम खोया बनाने में 4 से 5 लीटर दूध की आवश्यकता होती है वहीं ईंधन समेत लगभग 300 रुपए का खर्च आता है। इसके बावजूद यदि खोए में मिलावट नहीं है तो बाजार में खोया 225 से 250 रुपए प्रति किलोग्राम आखिर कैसे मिल जाता है? इस समय बेसन, सरसों के तेल, घी के साथ ही पिसे मिलावटी मसालों की भी बिक्री जोरों पर जारी है। कृत्रिम मिलावटी खाद्य सामग्री की बिक्री से जन स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है इसके बावजूद खाद्य निरीक्षण विभाग के अधिकारी इस ओर से चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि खाद्य सामग्री में मिलावट पाए जाने पर 100000 रुपए तक के जुर्माने व 6 माह तक की सजा का भी प्रावधान है। इसके बाद भी मिलावट का गोरखधंधा जिले में चरम पर है। जनचर्चा तो आम यह है कि खाद्य सुरक्षा निरीक्षण विभाग के अधिकारियों की मिलावटखोरों से मिलीभगत है और वह धंधेबाजों से मोटी मासिक बधौरी वसूल रहे हैं शायद इसी कारण इस पर अंकुश नहीं लग रहा है।