उत्तर प्रदेशलखनऊ

मदरसा महमूदुल उलूम में हाफिज़ों की दस्तारबंदी हुई, मौलानाओं ने संबोधित किया !


ग्लोबल टाइम्स-7
न्यूज़ नेटवर्क
तौहीद अहमद
संडीला(हरदोई) नगर के उन्नाव रोड स्थित मदरसा महमूदुल उलूम में कल रात मौलाना इस्लाम कासमी के नेतृत्व में भव्य जलसा दस्तरबंदी का आयोजन किया गया।जिसकी अध्यक्षता मौलाना हबीब अहमद, मदरसा अरेबिया हाथोरा बांदा के संरक्षक और मैनेजर और संचालन मुफ्ती अब्दुल सुभान ने की।

मदरसा अशरफ अल मदारिस हरदोई के शेखुल हदीस मौलाना अफजालुर रहमान ने कहा कि अल्लाह ने मुसलमान बनाया है। इस्लामी जीवन जो अल्लाह ने दिया है। यह एक आवश्यकता और अधिकार है कि मुसलमानों का जीवन इस्लाम में पूरी तरह से रंगा हुआ हो। परिचय देने की आवश्यकता न हो देखने वाले को दूर से ही मुसलमान के रूप में पहचाना जा सकता है। हमें अपने जीवन की समीक्षा करनी चाहिए। क़रीब 95 फ़ीसदी समाज में ऐसा तबका है जो इस्लाम के बारे में सिर्फ़ इतना जानता है कि नमाज़ पढ़ सकता है, रोज़ा रखता है, ज़कात अदा करता है और हज करता है, वे इसे एक महान मुसलमान मानते हैं। हमारे मामले कैसे हैं, सभ्यता कैसी है और हमारे संस्कार कैसे हैं। अल्लाह ने हमें इस्लाम में पूर्ण रूप से दाखिल होने की नेमत दी है। मुसलमानों में नैतिकता के साथ-साथ पूजा और सामाजिक मामले भी पूरे होने चाहिए। उन्होंने कहा कि हाफ़िज़ का चुनाव भगवान की मर्जी है। बिना अल्लाह के हुक्म के कोई हाफिज नहीं बन सकता। मदरसे, स्कूल, धार्मिक स्कूल, मठ, ये सभी अल्लाह के रसूल के वारिस पैदा करते हैं। विद्वान और संरक्षक रसूलुल्लाह के उत्तराधिकारी हैं। अल्लाह सर्वशक्तिमान ने पवित्र कुरान को याद करने का आशीर्वाद दिया है। वह न केवल उनकी मेहनत का फल है, बल्कि अभिभावक माता-पिता, शिक्षकों और मदरसे के पूरे स्टाफ सहित सभी बधाई के पात्र हैं। उत्तर प्रदेश जमात उल उलमा के उपाध्यक्ष मौलाना अमीनुल हक अब्दुल्ला ने कहा, “आधी रोटी खाओ और अपने बच्चों को शिक्षा दो।” मदरसे में कुरान पढ़ाओ, स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाओ। कारी भी बनाओ और अच्छे डॉक्टर इंजीनियर भी बनाओ। शिक्षा प्राप्त करना इस्लाम और धर्म से बाहर की चीज नहीं है। इन सब में हमारी जिम्मेदारी भी शामिल है और समय की एक अहम जरूरत भी है। मानवता को एक अच्छे डॉक्टर की जरूरत है। ऐसे हालात में अपने देश और इंसानियत के प्रति हमदर्दी रखें। अल्लाह के प्यारे महबूब की उम्मत हैं। डरने या घबराने की कोई जरूरत नहीं है। सफलता और उत्कर्ष विश्वासियों की नियति है। अपने उत्तरदायित्वों पर डटे रहकर विश्वासी बनें। मुसलमानों और मानवता को लाभ पहुंचाना मुसलमानों की जिम्मेदारी है। इसके अलावा मौलाना अब्दुल अलीम फारूकी शूरा दारुल उलूम देवबंद के सदस्य, मुफ्ती महफूजुर रहमान ने भी संबोधितकिया। मदरसा के 51 विद्यार्थियों को कुरान कंठस्थ करने पर विद्वानों के हाथों दस्तार प्रदान किया गया। पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया। जमसा में भी दो लोगों की शादी हुई जिसका निकाह मौलाना ने पढ़ाया। जलसा का समापन मुफ्ती महफूजुर रहमान ने देश में अमन शांति की दुआ के साथ हुआ। इस मौके पर मौलाना दाउद कासमी, मौलाना यामीन कासमी, कारी मुबीन अहमद, मुफ्ती मुहम्मद यामीन, मुफ्ती अब्दुल कादिर नदवी, मौलाना वकील जमाली, अल्लाह बख्श, मुहम्मद आरिफ, मुहम्मद खालिद सहित मदरसे के सभी शिक्षक, छात्र और अभिभावक मौजूद रहे।

Global Times 7

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