श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुन झूम उठे श्रोतागण

श्रीमद् भागवत कथा में आचार्य ने विभिन्न मार्मिक प्रसंगों का किया व्याख्यान
ग्लोबल टाइम्स-7, डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क, जिला संवाददाता राम प्रकाश शर्मा औरैया।
औरैया। विकासखंड भाग्यनगर क्षेत्र के ग्राम बरौआ औरैया में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में आज रविवार को आचार्य मनोज अवस्थी ने कहा कि सनातन चार आश्रम होते हैं, ब्रम्हचर्य, गृहस्थ, वानपप्रस्थ और संन्यास आचार्य ने कहा कि मनुष्य को घर में तो रहना चाहिए लेकिन घर को अपने में नहीं रखना चाहिये घर के प्रति आशक्ति नहीं होनी चाहिए। आगे समुद्र मंथन की कथा को सुनाया और फिर वली वमन चरित्र को सुनाया और आचार्य ने कहा कि हमें अपने सब कुछ भगवान के प्रति समर्पित कर देना चाहिए तो भगवान उस धन को भी द्वारपाल बन के रखायेगा। इसीलिए भगवान वली के यहाँ द्वारपाल बने और महाराज ने बताया कि व्यक्ति को दूसरों से कुछ कहने से पहले अपने आप को देखना चाहिए।
कहा कि पहले खुद को बदलना चाहिए, तभी वह दूसरों से कुछ कह सकता है। आगे सूर्यवंश का वर्णन किया, फिर भगवान रामजी के चरित्र को सुनाया।आचार्य ने कहा कि रामजी का जीवन ही अनुकरणीय है। रामजी का जीवन ही मनुष्य जीवन जीने की कला है और रामजी ने संसार को बताया की व्यक्ति का व्यवहार क्या होना चाहिए? पुत्र का पिता के प्रति, माता का पुत्र के प्रति, भाई का भाई के प्रति राम के मर्यादा और भारत की सभय्ता के प्रतीक है, और आचार्य ने ये भी कहा की रामजी का चरित्र हमको बताता है कि कोई गरीब व्यक्ति भी हो तो उससे हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए। भगवान ने केवट के यहाँ भी जाकर नाव मांगी, रामजी धर्म के साक्षात् श्रीविग्रह है। किसी को धर्म जानना हो तो वह रामजी का जीवन देखे। इसके बाद बताया कि रामजी के जीवन में कैकई का भी योगदान है। रामजी जीवन पूजनीय है। आज व्यक्ति को रामजी के पदचिंन्नोहो पर चलने की जरूरत है, और ये भी कहा की आज के राजनेताओं को भी राम जी के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए राम जी 14 वर्ष के बाद राजा बने क्यों की रामजी ने पहले अपने राज्य को पूरा देखा और अपनी प्रजा की समस्यायों को समझा तब 14 वर्ष बाद राजा बनकर उनकी समश्या को दूर किया आज राज नेताओ को रामजी से शिक्षा लेनी चाहिए फिर इसके बाद श्रीकृष्ण जन्म की कथा को सुनाया कृष्ण जन्मोत्सहव में सभी श्रोता झूम उठे इस मौके पूर्व मंत्री रामजी शुक्ला एवं क्षेत्र का आम जानमानस उपस्तिथ रहा।