उत्तर प्रदेशलखनऊ

फसल अवशेष जलाने पर लगेगा जुर्माना

ग्लोबल टाइम्स-7
डिजिटल
न्यूज नेटवर्क
अनूप गौङ
जिला प़शासनिक संवाददाता
कानपुर देहात
11 नवंबर 2022

जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग द्वारा व्यापक प्रचार-प्रसार किये जाने से जनपद में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं में काफी कमी आयी है। जिलाधिकारी नेहा जैन के मार्ग-निर्देशन में अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) जेपी गुप्ता की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय मानीटरिंग समिति द्वारा जनपद में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं की रोकथाम हेतु प्रभावी कदम उठाये जा रहे है । इसी क्रम में दिनांक 11.11.2022 को उप कृषि निदेशक विनोद कुमार यादव एवं जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी राघवेन्द्र सिंह द्वारा ग्राम औरंगपुर गहदेवा, विकासखण्ड एवं तहसील रसूलाबाद में बिना फसल अवशेष प्रबन्धन यंत्र/सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम में कम्बाईन हार्वेस्टर द्वारा फसल कटाई की सूचना प्राप्त होने पर पुलिस चौकी तिस्ती थाना रसूलाबाद को सूचित किया गया तथा पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच कर कम्बाइन हार्वेस्टर को बन्द कराया गया तथा कम्बाइन हार्वेस्टर चालक द्वारा सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम लगाने के उपरान्त ही फसल कटाई की अनुमति प्रदान की गयी। उप कृषि निदेशक द्वारा कम्बाइन चालकों को कठोर चेतावनी दी गयी कि यदि कोई भी कम्बाइन मशीन बिना सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम अथवा अन्य फसल अवशेष प्रबन्धन यंत्रों के प्रयोग के फसल कटाई करती हुयी पायी जाती है तो उसे सीज करा दिया जायेगा। उप कृषि निदेशक, द्वारा अवगत कराया गया कि फसल अवशेष पराली जलाने से जहॉ एक ओर पर्यावरणीय क्षति, मृदा स्वास्थ्य एवं मित्र कीटों पर कुप्रभाव पडता है वही दूसरी ओर फसलों एवं ग्रामों में अग्निकाण्ड होने की भी सम्भावना होती है। फसल अवशेष जलाने से मिट्टी के तापमान में वृद्धि होने से मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशा पर विपरीत प्रभाव पडता है, मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्म जीव नष्ट होते है जिससे जीवांश के अच्छी प्रकार से सडने में भी कठिनाई होती है। पौधे जीवांश से ही पोषक तत्व लेते है तथा इससे फसलों के उत्पादन में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फसल अवशेष जलाये जाने पर पूर्णतः रोक लगाते हुए इस दण्डनीय अपराध की श्रेणी में रखा है तथा यदि किसी व्यक्ति द्वारा फसल अवशेष/पराली जलाने की घटना घटित की जाती है तो मा0 राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम की धारा-24 एवं 26 के अन्तर्गत उसके विरूद्ध पर्यावरण क्षतिपूर्ति हेतु 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए रु0 2500/- प्रति घटना, 02 से 05 एकड़ के लिए रु0 5000/- प्रति घटना और 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए रु0 15000/- प्रति घटना की दर से अर्थदण्ड वसूले जाने का प्राविधान है। अतः जनपद के समस्त कृषक भाइयों से अनुरोध है कि वह फसल कटाई उपरान्त फसल अवशेष/पराली न जलाये। पराली प्रबन्धन हेतु कृषक भाई निम्न उपाये अपना सकते

  1. फसल कटाई उपरान्त मल्चर, एम0बी0प्लायू, हैप्पी सीडर, सूपर सीडर, आदि इन-सीटू कृषि यंत्रों के माध्यम से जुताई कर दें, जिससे फसल अवशेष छोटे-छोटे टुकडों के कट कर मिट्टी में मिल जायेगा, तदोपरान्त यूरिया/वेस्ट डिकम्पोजर का छिडकाव कर खेत में पानी लगा दे, जिससे फसल अवशेष का प्रबन्धन होने के साथ-साथ खेत को जैविक उर्वरक की प्राप्ति होगी एवं अगली फसल के उत्पादन में वृद्धि होगी।
  2. फसल अवशेष से कम्पोस्ट या वर्मी कम्पोस्ट खाद बना कर जैविक उर्वरक के रूप में प्रयोग कर सकते है।
  3. किसान भाई फसल अवशेष/पराली को पशु चारे के रूप में भी प्रयोग कर सकते है अथवा निराश्रित गौ वंश स्थलों पर दान कर सकते है।
  4. जिला प्रशासन द्वारा जनपद में स्थापित गौशालाओं पर पराली दो खाद लो कार्यक्रम का संचालन वृहद रूप से किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत दो ट्राली पराली देकर कृषक भाई उसके बदले एक ट्राली गोबर खाद प्राप्त कर सकते है।
    उप कृषि निदेशक द्वारा अवगत अतः समस्त सम्मानित किसान भाईयों से अनुरोध है कि फसल अवशेष/पराली कदापि न जलायें।
Global Times 7

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