सच्ची श्रद्धा और भक्ति से परमपिता परमात्मा को बनाया अपना पिता
अटूट श्रद्धा व लगन से ध्रुव को मिला सर्वोच्च स्थान
Gt 7 news network विकास अवस्थी दिबियापुर
सच्चे मन से प्रभु की भक्ति की जाए तो प्रभु अवश्य दौड़े आते हैं, और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।सच्ची भक्ति के कारण राजा उत्तानपाद के पुत्र ध्रुव को आज सच्ची भक्ति के लिए सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ। कथा का रसपान कराते हुए आचार्य पंडित पुनीत मिश्र ने बताया कि 5 वर्ष की उम्र में सच्ची भक्ति के बल पर वह कर दिखाया।जहां बड़े-बड़े ऋषि तपस्वी मुनि ज्ञानी नहीं कर पाते हैं।
राजा उत्तानपाद की दो पत्नियां थी सुनीति और सुरुचि, सुनीति के पुत्रध्रुव अपने पिता की गोद में खेलने गए।तो छोटी मां सुरुचि ने हाथ पकड़कर उतार दिया, और कहा यदि पिता की गोद में बैठने का इतना ही शौक था।तो हमारी कांख में जन्म क्यों नहीं लिया? तू अभागा है चल भाग दोबारा से मत आना
यह सुनकर ध्रुव को बहुत बुरा लगा और अपनी माता सुनीति के पास गए ,और कहा माता आप कहती हो कि राजा जी हमारे पिता है पर छोटी मां ने हमें पिता की गोद से उतार दिया। जिस पर दु:खी होकर सुनीति मां ने कहा बेटा तुम भगवान का भजन करो और परम पिता जगदीश्वर की गोद में बैठो जहां से कोई नहीं तुम्हें उतार सकेगा।इतना ही सुनते 5 वर्ष की उम्र का बालक ध्रुव जंगल में चला गया और वहां परम पिता परम ब्रह्म की उपासना की। जिस पर प्रसन्न होकर भगवान जगदीश्वर ने दर्शन दिए और भक्त ध्रुव को अपनी गोद में उचित स्थान दिया जहां आज भी उत्तर में तटस्थ तारा के नाम से भक्त ध्रुव भक्त की पहचान होती है।जिसे आज भी ध्रुव तारा कहा जाता है। श्रीमद् भागवत कथा भाग्यनगर ब्लाक क्षेत्र के महाराजपुर गांव में कहते हुए आचार पंडित पुनीत मिश्रा राधे राधे ने तीसरे दिवस में बखान किया। आचार्य पुनीत पंडित ने बताया भक्त ध्रुव महान इसलिए बने ।उसके दो कारण हैं एक परिस्थितियों में ही जीव महान बनता है यह तो किसी संत के पास चला जाए या किसी दुष्ट की बात बर्दाश्त ना हो कथा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने वामन अवतार की कथा का वर्णन किया ।कथा का श्रवण रसपान करते हुए परीक्षित सुमित्रा देवी व भारत सिंह से कहा मनुष्य को जीवन में कभी घमंड नहीं करना चाहिए। प्रभु हमेशा घमंडी का सिर नीचा करते हैं ।इसलिए महान बनना है तो संत और बुजुर्ग लोगों की सेवा करना सीखा जाए। इससे भगवान बहुत ही प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं।
फोटो परिचय
भागवत कथा का रसपान कराते हुए आचार्य पुनीत पंडित व भक्त गण रसपान करते हुए