उत्तर प्रदेशलखनऊ

यमुना महारानी का हुआ दिव्य-भव्य चुनरी मनोरथ !

Praveen mishra
Global Times-7news
Mathura (UP)

मथुरा वृन्दावन छीपी गली स्थित ठाकुरश्री प्रियावल्लभ कुंज में श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के तत्वावधान में त्रिदिवसीय श्रीराधा जन्मोत्सव के अंतर्गत दूसरे दिन श्रीराधा अष्टमी के सम्बन्ध में प्रवचन करते हुए संस्थान के अध्यक्ष व मन्दिर के सेवायत आचार्य विष्णुमोहन नागार्च ने कहा कि राधा रानी की उपासना करने से उनकी व भगवान श्रीकृष्ण की प्राप्ति सुनिश्चित होती है।कृष्ण की शक्ति राधा हैं और कृष्ण की आत्मा भी राधा हैं।श्रीकृष्ण और राधा दोनों हीं अभिन्न हैं।यह दोनों अलग-अलग होते हुए भी एक हैं।राधा रानी भगवान श्रीकृष्ण की आल्हादिनी शक्ति हैं।
महोत्सव के समन्वयक व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की वंशी के अवतार श्रीहित हरिवंश महाप्रभु ने श्रीराधा को भगवान श्रीकृष्ण से भी अधिक प्रधानता दी है।यहां तक कि उन्होंने अपने सम्प्रदाय तक का नाम “श्रीराधावल्लभ सम्प्रदाय” रखा।
रस भारती संस्थान के निदेशक डॉ. जयेश खंडेलवाल ने कहा कि ब्रज में राधा रानी की श्रीकृष्ण से भी अधिक मान्यता है। उन्होंने यशोदा नंदन श्रीकृष्ण तक को पूर्णत्व प्रदान किया था।इसीलिए ब्रज में चारों ओर उन्ही का साम्राज्य है।
प्रमुख शिक्षाविद् डॉ. चंद्र प्रकाश शर्मा ने कहा कि श्रीराधा रानी की महिमा अपरंपार है।वह ब्रजवासियों की जीवन धन हैं।उनका नाम लेने से यहां सभी के अधूरे काम पूरे हो जाते हैं।गर्ग संहिता एवं अन्य पुराण श्रीराधा रानी की महिमा से ओतप्रोत हैं।
इस अवसर पर श्यामा कुंज के अनन्य हित सखी परिकर के द्वारा ठाकुर प्रिया बल्लभ लाल महाराज का व्याहुला महोत्सव अत्यंत धूमधाम व गाजे-बाजे के साथ सम्पन्न हुआ।जिसमें प्रख्यात राधावल्लभीय संतों की वाणियों व ठाकुरजी के विवाह सम्बन्धी पदों का गायन किया गया।साथ ही पुरुषोत्तम शाह व अलवेली सखी द्वारा ढाड़ी – ढाडीन नृत्य की मनोहारी प्रस्तुति दी गई। इससे पूर्व केशीघाट पर यमुना महारानी का दिव्य व भव्य चुनरी मनोरथ किया गया।जिसमें ठाकुर प्रिया वल्लभ कुंज से केशीघाट तक देश के विभिन्न प्रांतों से आए सैकड़ों भक्तों व श्रद्धालुओं के द्वारा बैंड-बाजों के साथ शोभायात्रा निकाली गई।इस शोभायात्रा का नगर वासियों ने जगह-जगह पुष्प वर्षा कर व आरती उतार कर भव्य स्वागत किया।साथ ही यमुना घाट पर भजन संध्या का आयोजन किया गया।
महोत्सव में पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ,आचार्य श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च,पार्षद रसिक वल्लभ नागार्च, जयपुर की प्रख्यात साहित्यकार डॉ. सरोज गुप्ता, मोहन लाल मोही,युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा,महंत मधुमंगल शरण शुक्ल, डॉ. सुनीता अस्थाना, श्रीहित राजीव बंसल, श्रीमती किरण साहू,तरुण मिश्रा, भरत शर्मा,जुगल किशोर शर्मा, रासबिहारी मिश्रा, प्रिया मिश्रा, कीर्ति नागार्च, शेषाद्रि नागार्च, चित्रा शर्मा, हितवल्लभ नागार्च, हितानंद, रसानंद, प्रेमानंद, दिव्यानंद, ऋचा नागार्च, निर्मला देशमुख, गोपी गुप्ता,विशाखा गुप्ता, आचार्य ईश्वर चंद्र रावत आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे

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