हे साहब! शायद नहीं मिल सका आज का गुड़,चना व दाना चारा—–

चलो साथियों छोड़ कर, अपनी अपनी हमेशा के लिए स्थाई/अस्थाई गौशाला —–
भरी महफ़िल में बेजज्ती बहुत हुई छोड़ दिया अपना घर द्वार समझ बेशकीमती आज के भोज की गौशाला–
भोर से लेकर शाम तलक इंतजार ही करते रहे,पूरी भरी महफ़िल में बेजज्ती हुई,नहीं नसीब हुआ एक भी केला,गुड,चना का दाना—-
गुमराह कर हमें गौशालाओं में बुलाया गया, सारे दिन भूखे बैठे रहे,अब भूख लगी है हमको भारी—–
खेतों ,गांवों में पहुंच कर अब हम बतायेंगें सभी को, इसीलिए पहुंचना है घर जल्दी से ,कर रहे इंतजार हम सडकों पर बस सवारी* —-
क्रोधाग्नी की ज्वाला में वैसी ही जल रहे, अगर सड़कों पर जो हमारे साथियों से टकरायेगा, उसकी यमपुरी की सैर साथी अवश्य ही टीम करवायेगी —
गुड़ बांटो चाहे केला व चना,अब हम कभी ऐसे झांसे में नहीं है फंसने वाले,आगे की रणनीति टीम खेतों पर धावा बोल बनावेगी —-
नेता जी हो चाहे अधिकारी,किसान हो चाहे,राहगीर वाहन जो भी हो सड़कों पर दौड़ लगाने वाले —-

गौशालाओं की ऐसी की तैसी,क्योंकि अब हम है स्वच्छंद विचरण करने वाले—-
बजट – बजट की हमेशा गाल बजाकर नेता व अधिकारी, कर्मचारियों ने हमारे साथियों को भूखे पेटों यार गौशालाओं में है मार डाला ——
अब तो देखो आगे क्या क्या होता है, किसान भी चिल्लाते होगें हाय दईया हमारी फसलों को तो पूरी चौपट ही कर डाला—–
सिर्फ हमारे खाने में तीस से पैंतीस रूपयों के कमीशनबाजी व बजट अभाव के चक्कर में —
हमेशा थोथी गाल बजाकर,लाली पाप दिखाकर ऐ सफेद टोपी वाले, हमेशा कुर्सियों पर बैठ हुक्म चलाने वाले अब न आना हमारे सामने कभी टक्कर में —-

नेता,अधिकारी हमारे साथियों गले में खूब फूल माला लादने का प्रयास कर अच्छी खासी व्यवस्था के लिए फोटो खूब खिंचवा रहे—–
क्या सिर्फ एक दिन के लिए ही हमें केला गुड चना खिलाने का प्रयास,सेल्फी पोज खूब खिंचवा रहे—– ,
हे सिर्फ आज भर के सेल्फ़ी पोज खिंचवाने वाले बजट प्रिय नेता जी काश ! कहना यह है, रोज हमें भूखे पेटों मरना पड़ता है,
खेतों पर यदि धोखे से भी पहुंच जाओ तो किसानों का भारी डंडा पीठ हमारे साथियों पर धम्म से पड़ता है—–
यदि इतने है हम साथी प्रिय तो गौशालाओं में अभी भी कैद साथियों को रोज भूखे प्यासे तड़पते हुए नही है मरने देना—-

क्योंकि आज के महफ़िल की चाटुकारिता देख हम कुछ साथी वहां निकल लिए है,और नहीं है अब हमें कुछ गौशालाओं से लेना देना——
अब देखना है कि क्या रोज ऐसे ही हमारे साथियों की याद रहेगी, और उन्हें तमाम फोटो के साथ हमेशा साहब खिलाते रहेंगे आप लोग गुड़ चना व केला—-
अब समझ लें,हमने एकता बना ली है,अब नहीं जायेगा कोई साथी उन दुर्दशा पूर्ण गौशालाओं में ——
सिर्फ लम्बी चौड़ी बातें हांकने वाले,बजट बजट की गाल बजाकर जम कर आज सेल्फी खिंचवाई आज उन जलभराव वअव्यवस्था पूर्ण गौशालाओं में —–
कान खोलकर सुन ले लें! यदि नहीं हुआ हमारे साथियों की देखरेख की ठोस व्यवस्था——
अब आज के बाद गांव गली गली मुहल्ले, सरकारी दफ्तरों, खेतों सड़कों पर हमारे भागे हुए उन भूख प्यास से व्याकुल साथियों का भारी बहुमत से हू हल्ला ——-
क्योंकि कहां तहसीलों में शिकायत दर्ज करायें,थानों में भी खाकी पुलिस का हम ही साथियों पर चलेगा भारी भरकम वाला डंडा——-
इसीलिए गौशालाओं में बजट के पन्नों की जिम्मेदारी बकरी दीदी को सौंपने का पुनः विचार कर मचवायेंगे सरकारी दफ्तरों में हू हल्ला ——
परेशान मत हो साहब ! अब हमारे सभी साथी ही निरीक्षण कर तैयार करेंगें रिपोर्ट, कमीशन बाज अधिकारी व ठेकेदारों द्वारा निर्मित गौशालाओं की !
सुनो कान खोलकर नेता जी व कुर्सियां पर बैठकर हुक्म चलाने वाले सरकारी बाबू जी, आख़िरकार जाता कहां है हमारा लाखों करोड़ों खर्च बुल्डोजर बाबा के गौशालाओं की ——-
इसीलिए हम सभी ने गौशालाओं से भागने का प्लान है बनाया आज——
हम सभी पैदल या बस सवारियां भरकर पहुंचेगें लखनऊ, लगायेंगे अपने बुल्डोजर बाबा से टेर आज —
अपने सूबे के मुखिया बुल्डोजर बाबा से अपनी अपनी पीड़ा सुनाकर एक एक का काला चिट्ठा खुलवायेंगे हम साथी आज—
क्योंकि गोपाष्टमी पर्व पर हमारे सूबे के मुखिया बुल्डोजर बाबा ने हमें है किया याद —-
सिर्फ एक बार हम साथियों को वहां पहुंच मात्र की देरी ही है, भ्रष्टाचार की जड़ों में जकड़े हुए, कमीशनखोरी का कार्य करने वाले सभी सिर्फ सम्भल जाओ लगायेंगे हम तुम सबकी अब क्लास—
बुल्डोजर बाबा बड़े दयालु हैं , सुनेंगे जरूर हम सबकी इस करूणा भरी कष्टों की अरदास—-
साथियों बुरा मानो क्यों कि गोपाष्टमी पर्व है सिर्फ आज—-
साथियों ! बेजुबानों की आवाजों के साथ, सूबे के गोपाष्टमी पर्व पर
आलोक मिश्रा की कुछ चंद पंक्तियों के साथ –
ग्लोबल टाइम्स-7 न्यूज नेटवर्क टीम परिवार की ओर से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के परिपक्ष्य में गोपाष्टमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ —–
हर कदम सच के साथ